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जानिये शिव जी की तीन पुत्रियों का रहस्य

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हमने अपने पिछले लेख में आपको शिव जी और माता पार्वती के तीसरे पुत्र अंधक के विषय में बताया था। आज हम आपको उनकी तीन पुत्रियों का रहस्य बताएंगे जिसके बारे में शायद काफी कम लोगों को जानकारी है। जी हाँ महादेव और देवी पार्वती की एक नहीं बल्कि तीन तीन पुत्रियां थीं। अशोक सुंदरी, ज्योति और मनसा, इन तीनों देवियों की पूजा देश के विभिन्न हिस्सों में की जाती है।

आइए जानते हैं इन तीनों के जन्म से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

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अशोक सुंदरी

शिव जी और माता पार्वती की पहली पुत्री का नाम अशोक सुंदरी है। अशोक सुंदरी का उल्लेख पद्मपुराण में मिलता है। एक कथा के अनुसार एक बार देवी पार्वती ने शिव जी के समक्ष संसार के सबसे सुन्दर उद्यान में घूमने की इच्छा जताई तब भोलेनाथ पार्वती जी को नंदनवन ले गए। वहां देवी पार्वती को कल्पवृक्ष नामक एक पेड़ से बेहद लगाव हो गया। कहते हैं वह मनोकामना पूर्ण करने वाला पेड़ था इसलिए माता उसे अपने साथ कैलाश ले आयी और अपने उद्यान में उसे स्थापित कर लिया।

एक दिन पार्वती जी बहुत ही अकेलापन महसूस कर रही थीं क्योंकि महादेव अपनी तपस्या में लीन थे। तब माता अपने उद्यान में घूमने गई। उन्हें अपना अकेलापन खाए जा रहा था तब मन ही मन उन्हें एक पुत्री की इच्छा हुई, अचानक उन्हें कल्पवृक्ष की याद आयी और उन्होंने तुरंत उसके समक्ष जाकर एक पुत्री की कामना की। कल्पवृक्ष ने माता की मनोकामना स्वीकार कर उन्हें एक पुत्री प्रदान की क्योंकि वह बहुत ही सुन्दर थी इसलिए उसका नाम अशोक सुंदरी रखा गया।

अशोक सुंदरी का विवाह राजा नहुष के साथ हुआ था। कहते हैं अशोक सुंदरी को अपने विवाह की बात बचपन से ही पता थी क्योंकि उसे भविष्य का सारा ज्ञान था। इसके आलावा देवी पार्वती ने भी अशोक सुंदरी को आशीर्वाद दिया था कि उसका विवाह इंद्र जैसे शक्तिशाली युवक से होगा।

कहते हैं एक बार अशोक सुंदरी अपनी सखियों के साथ नंदनवन में घूम रही थीं तभी वहां हुंड नामक एक राक्षस आया। वह अशोक सुंदरी की सुन्दरता से इतना मोहित हो गया कि उससे विवाह करने का प्रस्ताव रख दिया। तब अशोक सुंदरी ने हुंड का प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया कि राजकुमार नहुष के साथ होना तय हुआ है यह सुनकर हुंड क्रोधित हो उठा और नहुष को मारने की ठान ली।

इस पर अशोक सुंदरी ने हुंड को श्राप दे दिया कि उसकी मृत्यु उसके पति के हाथों ही होगी। उस राक्षस ने नहुष का ही अपहरण कर लिया। कहा जाता है कि नहुष उस वक़्त बालक थे, राक्षस की एक दासी ने राजकुमार की जान बचा कर उन्हें ऋषि विशिष्ठ के आश्रम पहुंचा दिया जहाँ उनका पालन पोषण हुआ। बाद में जब नहुष बड़े हुए तब उन्होंने हुंड का वध कर दिया और अशोक सुंदरी के साथ उनका विवाह सम्पन्न हुआ।

नहुष राजकुमार से राजा बन गए उन्हें और अशोक सुंदरी को ययाति जैसा वीर पुत्र और सौ रूपवान कन्याओं की प्राप्ति हुई।

गुजरात और कुछ पड़ोसी राज्यों में व्रतकथाओं में अशोक सुंदरी का वर्णन किया गया है।

देवी ज्योति

देवी ज्योति महादेव और माता पार्वती की दूसरी पुत्री है। प्रकाश की देवी के रूप में पूजे जाने वाली इन देवी के जन्म से जुड़ी दो कथाएं प्रचलित है जिनमें से पहली कथा के अनुसार देवी ज्योति भोलेनाथ के प्रभामंडल से निकली थीं और वे भगवान की भौतिक अभिव्यक्ति है। वहीं दूसरी कथा यह कहती है कि इनका जन्म माता पार्वती के माथे से निकली हुई चिंगारी से हुआ था। देवी ज्योति सामान्यतः अपने भाई कार्तिकेय से जुड़ी हुई थी। देश के कुछ हिस्सों में इन्हें देवी रेकी के रूप में जाना जाता है जो वैदिक राक के साथ जुड़ा हुआ है। उत्तर भारत में देवी ज्योति को माता जवालाईमुची के रूप में पूजा जाता है।

तमिलनाडु के कई मंदिरों में देवी ज्योति की पूजा की जाती है।

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देवी मनसा

मनसा देवी को शिव जी की तीसरी पुत्री के रूप में जाना जाता है। कहते हैं जब महादेव के वीर्य ने राक्षसी कदरू द्वारा बनाई गई मूर्ति को छुआ था तो मनसा देवी का जन्म हुआ था। माना जाता है कि इनका जन्म साँप के विष का इलाज करने के लिए हुआ था। देवी मनसा को नागराज वासुकी की बहन के रूप में भी जाना जाता है। देवी मनसा केवल शिव जी की ही पुत्री कहलाती हैं, पार्वती जी को इनकी माता नहीं कहा जाता है।

सांप काटने और चेचक जैसे मामलों में देवी मनसा की पूजा की जाती है और इनका प्रसिद्ध मंदिर हरिद्वार में है।

English summary

three daughters of lord shiva and parvati

We all know that Lord Shiva had three sons: Kartikeya, Ganesha and Ayyappa, but very few people might know that he had three daughters too. Their names are Ashok Sundari, Jyoti, and Mansa.
Story first published: Thursday, May 3, 2018, 16:24 [IST]
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