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एक राजा जिसने भारत को बनाया सोने की चिड़िया
आपने बचपन से कई बार एक बात जरूर सुनी होगी की भारत पहले सोने की चिड़िया था और भारत को सोने कहा जाता था। परह पर क्या आप ये जानते है कि भारत को सोने कि चिड़िया आखिर किसने बनाया था। नहीं ना तो हम बताते है कि वो राजा थे विक्रनादित्य।
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बड़े ही शर्म की बात है कि महाराज विक्रमदित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी , सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य।
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बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी , जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द , आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए। विक्रमादित्य का इतिहास भारत के स्वर्णिम इतिहास का प्रतीक है आइए जानते हैं विक्रमादित्य के बारे में....
ऐसे देश बना सोने की चिड़िया
विक्रमादित्य के समय में हमारे देश की आर्थिक दशा काफी अच्छी थी। वो ऐसा समय था जिसने भारत को सोने की चिड़िया बनाया और सबसे आगे लाकर खड़ा कर दिया था। महाराज विक्रमदित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है।
विदेश जाता था कपड़ा
विक्रमदित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमदित्य काल में सोने की सिक्के चलते थे। इसी कारण वो कपड़े का व्यापार और सोने के सिक्कों के टलन ने भारत को सोने की चिड़िया का नाम दिया गया था।
न्याय के लिए प्रसिद्ध था ये काल
आपने शुरु से ही किताबों में राजा विक्रमादित्य के न्याय की कहानियां जरूर सुनी होंगी। ऐसा माना जाता है कि उनके न्याय से प्रसन्न होकर कई बार तो देवता भी उनसे न्याय करवाने आते थे, विक्रमदित्य के काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे, न्याय, राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था विक्रमदित्य का काल राम राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनि और धर्म पर चलने वाली थी। इसी कारण राजा विक्रमादित्य को न्याय का प्रतीक माना जाता है।
खो गए थे रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ
क्या आप जानते है कि कुछ काम उनके समय में ऐसे हुए जो कि ना होते तो आज रामायण और महाभारत जैसे महान ग्रंथ आपके पास ना होते। रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया।
राजा के नौरत्नों में एक थे कालिदास
विक्रमदित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा, जिसमे भारत का इतिहास है अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रो हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे। विक्रमादित्य के इतिहास को सदा के लिए याद किया जाता रहेगा।
जनता भूलती जा रही है
इस समय तो ऐसा देखने को मिल जाएगा कि जनता विक्रमादित्य को भूलती जा रही है। जिसने भारत को सोने की चिड़िया बनाने के लिए इतना संघर्ष किया आज उसी राजा का नाम हमारी पीढी नहीं जानती है। किताबों से उनका नानम मिटता जा रहा है। जो कि आने वाली पीढ़ी के लिए चिंता का विषय है।