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ये है डॉक्टर हनुमान का मंदिर सिर्फ भभूति से ही हो जाता है कैंसर का ईलाज
ग्वालियर मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर और भिंड जिले में स्थित दंदरौआ सरकार पूरे देश में विख्यात हैं। यहां हनुमान जी को डॉ. हनुमान के नाम से जाना जाता है।
ग्वालियर के आसपास सटे गांव वाले जब कभी बीमार पड़ते है तो किसी नामी डॉक्टर या अस्पताल के पास जाने के अलावा ये लोग भगवान हनुमान डॉक्टर के पास जाते हैं, और उनका ये मंदिर ही इनके लिए अस्पताल से कम नहीं हैं। सिर्फ भभूति लगाने मात्र से ये लोग ठीक हो जाते हैं।
चाहे कितनी बड़ी बीमारी ही क्यूं ना हो ? मान्यता है कि इस मंदिर के हनुमान स्वयं अपने एक भक्त का इलाज करने डॉक्टर बनकर पहुंचे थे। इस मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। श्रद्धालुओं का मानना है कि, डॉ. हनुमान के पास सभी प्रकार के रोगों का कारगर इलाज है। आइए जानते है भगवान डॉक्टर हनुमान मंदिर के बारे में-
ग्वालियर मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर और भिंड जिले में स्थित दंदरौआ सरकार पूरे देश में विख्यात हैं। यहां हनुमान जी को डॉ. हनुमान के नाम से जाना जाता है। यहां देश-विदेश के हजारों श्रद्धालु रोज भगवान के दर्शन के लिए आते हैं और डॉ. हनुमान उनके सभी असाध्य रोगों का सटीक इलाज करते हैं।
भभूती से करते हैं इलाज
डॉ. हनुमान के पास सभी प्रकार के रोगों का कारगर इलाज है। यहां भक्त दूर-दूर से आते हैं और हनुमान जी की भभूती से रोगों से मुक्ति पाते हैं। डॉ. हनुमान सभी प्रकार की बीमारियों के डॉक्टर हैं, लेकिन फोड़े, मुहांस और त्वचा संबंधी रोगों के लिए हनुमान जी की भभूती कारगर इलाज है।
एक और काहानी
इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि एक साधु शिवकुमार दास को कैंसर था। उसे हनुमान जी ने मंदिर में डॉक्टर के वेश में दर्शन दिए थे। वे गर्दन में आला डाले थे, जिसके बाद साधु पूरी तरह स्वस्थ हो गया।
नृत्य की मुद्रा में है दंदरौआ सरकार
यहां हनुमान जी की जो मूर्ति है वो नृत्य की मुद्रा में है। यह देश की अकेली ऐसी मूर्ति है, जिसमें हनुमान जी को नृत्य करते हुए दिखाया गया है। यह मूर्ति करीब 300 साल पुरानी है और यह दिव्य मूर्ति एक तालाब में मिली थी।
दर्दहरौआ शब्द से पड़ा नाम
दंदरौआ धाम के महंत रामदास जी महाराज बताते हैं कि प्रभु की मूर्ति लगभग 300 साल पूर्व यहां के एक तालाब से निकली थी, जिसे बाद में मिते बाबा नाम के एक संत ने यहां मंदिर में स्थापित करवाया। तब से मूर्ति की पूजा-अर्चना शुरू की गई।
श्रद्धालुओं के विशेष रूप में मुंहासें, अल्सर और कैंसर जैसी बीमारियां भी मंदिर की पांच परिक्रमा करने पर ठीक हो जाती हैं। श्रद्धालुओं का दर्द दूर करने वाले हनुमान जी को पहले दर्दहरौआ कहा जाने लगा, जो कि अपभ्रंश होकर दंदरौआ हो गया।