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सेक्‍सुअल असॉल्‍ट हुई महिलाओं के कपड़ों से बनाया इस महिला ने म्‍यूजियम, वजह जान हैरान रह जाएंगे आप!

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आए दिन लड़कियों के साथ बलात्‍कार के मामले सुनने को मिलते है, ये खबरें महिलाओं को मानसिक रुप से झकझोर देते है। जमाना चाहे कितना ही बदल गया हो या एडवांस तकनीकी मे उन्‍नति कर रहा हो लेकिन महिलाओं के लिए हालात कभी न बदलने वाले ही रहेंगे। कितने ही कानून बन गए लेकिन लड़कियों से जुड़ी समस्याएं खत्म होने की जगह बढ़ती जा रही हैं।

लोगों की मानसिकता आज भी नहीं बदली, जब भी रेप या छेड़खानी जैसी वारदाते होती है तो सबसे पहले लोग इस बात का जिम्‍मेदार लड़कियों के पहनावे को ही मानेंगे। शायद इसी तकलीफ को बैंगलुरु की जैस्‍मीन पाथेजा ने समझा और लोगों को इससे वाकिफ कराने की कोशिश कर रही हैं कि इन क्राइम्स का कपड़ों से कुछ लेना-देना नहीं होता है। जैस्मीन एक आर्टिस्ट एंड एक्टिविस्ट है। वो महिलाओं के कपड़ों से जुड़ी लोगों की मानसिकता के खिलाफ काम करती है। आइए जानते है कैसे?

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सेक्सुअली असॉल्टेड लड़कियों के कपड़ों से बनाया म्‍यूजियम

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इसके लिए जैस्मीन सेक्सुअली असॉल्टेड लड़कियों के कपड़ों को जमा करती हैं। इनके घर का एक रूम म्यूजियम बन चुका है जहां हर तरफ ऐसे कपड़े दिखेंगे जो आम लड़कियां डेली लाइफ में पहनती हैं, लेकिन इन कपड़ों की अपनी-अपनी कहानी हैं। इन कपड़ों में रखा एक ब्लैक एंड रेड जम्पसूट उस लड़की का है, जो पिछले साल बैंगलोर में न्यू इयर पर छेड़छाड़ की शिकार हुई थी। आपको यहां ऐसी ही लड़कियों के कई कपड़ें मिल जाएंगे।

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स्कूल यूनिफॉर्म से गाउन तक

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इनके कलेक्शन में स्कूल यूनिफॉर्म से गाउन तक, आपको हर तरह के कपड़े मिल जाएंगे जिसे देखकर आपको लगेगा कि ऐसी मानसिकता के साथ क्राइम करने वाले लोग उम्र नहीं देखते है। आज हर उम्र की लड़कियां या महिलाएं सेक्सुअल असॉल्ट का शिकार होती है।

आई नेवर आस्क फ़ॉर इट' कैम्‍पेंन

आई नेवर आस्क फ़ॉर इट' कैम्‍पेंन

इतना ही नहीं, इन्हें देखकर आप भी ये मानेंगे कि ऐसे हरकतों के पीछे कपड़ों का कोई हाथ नहीं हो ता है। लोगों की इसी मानसिकता के खिलाफ लड़ते हुए जैस्‍मीन ने अपने इस कैम्पेन का नाम रखा है 'आई नेवर आस्क फ़ॉर इट' रखा है। उनके इस कैम्‍पेन का सोशल मीडिया से काफी सर्पोट मिल रहा है।

2003 में बनाई थी संस्‍था

2003 में बनाई थी संस्‍था

जैस्‍मीन महिलाओं के खिलाफ हो रहे यौन हिंसा के लिए 2003 में ब्‍लैक नॉइस नामक संस्‍था बनाई थी। इस संस्‍था में उन्‍होंने पहले किशोरावस्‍था लड़कियों के लिए काम करना शुरु किया। जिसमें वो महिलाओं को सर्तक करने के साथ असामाजिक तत्‍वों के खिलाफ मुहिम चला रखी थी। देखा जाए तो ये गंभीर समस्या और सेक्‍सुअल असॉल्‍ट की शिकार लड़की को हमेशा कपड़ों को जिम्मेदार ठहराने की सोच को खत्म करने के लिए किसी को तो शुरूआत करनी थी और जैस्मीन ने ये काम कर इसकी नींव रख दी है।

English summary

This woman collecting clothes to share stories of sexual abuse

Jasmeen Patheja, founder of Blank Noise has been collecting the clothes women wore when they were harassed, to put up the display.
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