For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

नवजात बच्चों में होने वाली त्वचा संबंधी 8 सामान्य समस्याएं

By Super Admin
|

नवजात बच्चे की त्वचा इतनी नाज़ुक होती है कि थोड़ी भी खरोंच या रैश उन्हें बहुत अधिक परेशान कर सकती है। याद रहे कि नवजात बच्चों को रैशेस होना बहुत आम बात है जिनमें से अधिकाँश रैश से कोई नुक्सान नहीं होता तथा वे कुछ दिन बाद अपने आप ही चले जाते हैं।

यहाँ हम त्वचा से संबंधित कुछ आम समस्याओं के बारे में बता रहे हैं जो अक्सर नवजात शिशुओं को हो जाती है: शिशु को मालिश की कोई जरुरत नहीं, बोलते हैं डॉक्‍टर्स

 डाइपर रैश:

डाइपर रैश:

ये अपरिहार्य रैश हैं जिसके कारण आपके बच्चे और आपको रात भर जागना पड़ सकता है। नियमित तौर पर अपने बच्चे के डाइपर की जगह की जांच करें। यदि आपको कुछ लालिमा दिखाई दे तथा दर्द भी हो तो उस पर तुरंत डाइपर रैश क्रीम लगायें तथा जितना संभव हो उस जगह को खुला और सूखा रखें। सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे के लिए डाइपर बहुत अधिक कसा हुआ या बहुत अधिक लंबा न हो।

 बच्चों को होने वाले मुहांसे :

बच्चों को होने वाले मुहांसे :

आपके बच्चे के चेहरे पर होने वाले छोटे मुंहासे एक आम समस्या है तथा कुछ ही दिनों में ये अपने आप चले जाते हैं। इस पर कुछ भी लगाने की आवश्यकता नहीं होती।

बर्थ मार्क्स (जन्म चिन्ह) :

बर्थ मार्क्स (जन्म चिन्ह) :

बच्चों में जन्म चिन्ह होना बहुत आम है। ये या तो बच्चे के जन्म के समय होते हैं या कुछ सप्ताह या महीनों बाद दिखाई देने लगते हैं।

एक्जिमा :

एक्जिमा :

ये लाल रंग के रैश होते हैं जिनमें खुजली होती है तथा ऐसे बच्चे जिनके परिवार में अस्थमा या एलर्जी की समस्या हो उन्हें आम तौर पर ये रैशेस होते हैं। सामान्यत: ये चेहरे पर आते हैं परंतु इसके अलावा ये कोहनी, छाती या भुजाओं पर भी आते हैं तथा धीरे धीरे ये सूख जाते हैं और इनके छिलके निकलने लगते हैं। इस प्रकार के रैशेस सामान्यत: बच्चों के लिए उपयोग में लाये जाने वाले साबुन, लोशन या बच्चों के कपड़े धोने के लिए उपयोग में लाये जाने वाले वॉशिंग पाउडर के कारण होते हैं।

सूखी त्वचा :

सूखी त्वचा :

अधिकाँश नवजात शिशुओं की त्वचा बहुत सूखी होती है जो जन्म के पश्चात निकलने लगती है। यह धीरे धीरे रुक जाता है परंतु यदि इसके कारण आपको परेशानी हो रही हो तो आप अपने बाल रोग विशेषज्ञ से कुछ दवाई ले सकते हैं।

 घमौरियां :

घमौरियां :

ये छोटे छोटे गुलाबी दाने होते हैं जो पसीने के कारण आते हैं तथा अधिकांशत: ये गर्दन, डाइपर की जगह और काँखों में आते हैं। जितना संभव हो अपने बच्चे को ठंडा और सूखा रखें तथा उसे ढीले और सूती कपड़े पहनाएं। अपने बच्चे की त्वचा पर बहुत अधिक पावडर न लगायें - बेबी पावडर के छोटे छोटे कण बच्चा सांस के साथ अंदर ले सकता है जिसके कारण उसे असुविधा महसूस हो सकती है। बच्चे के चार से छह महीने के होने तक पावडर का उपयोग टालें।

 व्हाईट बम्प्स :

व्हाईट बम्प्स :

इसे मिलिया भी कहा जाता है। ये छोटे छोटे सफ़ेद स्पॉट होते हैं जो नाक पर देखे जा सकते हैं तथा ये त्वचा के छिलकों के कारण दिखाई देते हैं जो तेल ग्रंथियों को ब्लॉक (बंद) कर देते हैं। जैसे ही ये ग्रंथियां खुलती हैं वैसे ही कुछ दिनों बाद ये स्पॉट अपने आप चले जाते हैं।

 यीस्ट संक्रमण:

यीस्ट संक्रमण:

बच्चे भी यीस्ट संक्रमण का शिकार होते हैं जो बच्चों को एंटीबायोटिक देने पर दिखाई देने लगता है। ये रैशेस सफ़ेद होते हैं तथा जीभ और मुंह पर आते हैं जबकि यीस्ट डाइपर रैश लाल रंग के होते हैं जिसमें किनारों पर लाल छोटी फुंसियां आती हैं। अपने डॉक्टर से दवाई के बारे में पूछें।

किस बात का ध्यान रखें

किस बात का ध्यान रखें

  1. अपने बच्चे के कपड़ों को धोने के लिए बहुत हल्के डिटर्जेंट का उपयोग करें। सुनिश्चित करें कि बच्चे के तकिये के कवर, चादरें, ब्लैंकैट्स और टॉवेल अलग से धुलें।
  2. बच्चों की त्वचा की देखभाल के लिए बाज़ार में मिलने वाले वे ही उत्पाद ही खरीदें जिसमें कृत्रिम रंग, सुगंध न मिलाएं गए हों अर्थात वे सभी चीज़ें जिसके कारण बच्चे की त्वचा को नुकसान हों।
  3. बच्चों की त्वचा बहुत अधिक संवेदनशील होती है। बच्चों को नहलाते समय हल्‍के गरम पानी का उपयोग करें। बच्चे को नहलाने के बाद जब उनकी त्वचा नम हो तब लोशन लगायें तथा उसे धीरे धीरे सुखाएं।
  4. रैश से बचने के लिए दिन में कई बार उसका डाइपर बदलें। इसके अलावा रैश से बचाने के लिए रात में भी डाइपर एक या दो बार बदलें।
  5. शिशुओं को मालिश करने की सलाह दी जाती है।

English summary

8 Common skin problems in babies

Remember that newborns are quite prone to rashes and most are harmless and disappear on their own within a few days. Here's looking at some common skin problems in babies:
Desktop Bottom Promotion