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गर्भावस्‍था में मां और शिशु की सेहत के लिए ये 10 टेस्‍ट जरुर करवाएं

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प्रेगनेंसी की कन्‍फर्म होने के बाद डॉक्‍टर, मां और बच्‍चें की सलामती के लिए बहुत सी जांचें करवाने की सलाह देते हैं, इन जांचों का मकसद प्रेगनेंसी में किसी तरह का कॉम्‍प्‍लीकेशन न हो और सुरक्षित डिलीवरी करवाना होता है। इसके अलावा इन टेस्‍ट से कई तरह की जान‍कारियां भी मिलती है जैसे, महिला को कोई समस्या तो नहीं है, गर्भाशय की स्थिति ठीक है या नहीं। मिसकैरेज की आशंका तो नहीं है।

इन संकेतों से जाने कि आपका बच्‍चा गर्भ में जीवित है या नहीं?इन संकेतों से जाने कि आपका बच्‍चा गर्भ में जीवित है या नहीं?

बच्‍चा ग्रोथ कर रहा है या नहीं, ऐसा इसलिए क्योंकि यदि किसी भी तरह की समस्या जांच के दौरान, सामने आती है तो उसका इलाज प्रारम्भिक तौर पर ही शुरू किया जा सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्‍टर कई तरह की जांच के लिए कहते है जिसमें अल्‍ट्रासाउंड, ब्‍लड टेस्‍ट जैसे कई टेस्‍ट शामिल होते हें।

प्रेगनेंट होना चाहती है तो इन टिप्‍स को जरुर पढ़ेप्रेगनेंट होना चाहती है तो इन टिप्‍स को जरुर पढ़े

प्रेगनेंसी के दौरान इन जांचों की जरुरत भी इसलिए है, क्‍योंकि कई बार आपकी उम्र भी आपकी प्रेगनेंसी पर बहुत असर डालती है, जैसे कि मानिए आप 40 की उम्र में प्रेगनेंसी प्‍लान कर रही हैं तो आपको हाई ब्‍लड प्रेशर,

जेस्टेशनल डायबिटीज, और यूरिन इफेंक्‍शन जैसी समस्‍याएं होनी की सम्‍भावनाएं बनी रहती हैं। इसलिए डॉक्टर आपके, रेगुलर टेस्ट के अलावा, कुछ अन्य जाँच भी करवा सकते हैं। आइए जानते है कि प्रेगनेंसी में कौन कौनसी जांचें करवाना आवश्‍यक होता है।

 प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ जरूरी और नियमित जांचें-

प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ जरूरी और नियमित जांचें-

प्रेग्नेंट लेडीज का डॉक्टर सबसे पहल ब्लड टेस्ट करवाते हैं। ब्लड टेस्ट के द्वारा वह, ब्लड ग्रुप, Rh (रीसस फैक्टर), हीमोग्लोबिन और ग्लूकोस लेवल की जाँच करते हैं। ग्लूकोस लेवल की जाँच करके जेस्टेशनल डायबिटीज का पता लगाया जाता है। 35 से अधिक उम्र में, माँ बनने पर, जेस्टेशनल डायबिटीज होने की सम्भावना ज्यादा होती है।

 अल्ट्रासाउंड

अल्ट्रासाउंड

पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान, बेबी के सही विकास को देखने के लिए कई बार अल्ट्रासाउंड टेस्ट करवाए जाते हैं। प्रेग्नेंसी के 11-13 हफ्ते में, क्रोमोजोमल एबनोर्मिलिटी (क्रोमोजोम में असमानता जैसे- डाउन सिंड्रोम) की जाँच करने के लिए, अल्ट्रासाउंड किया जाता है। 35 से अधिक उम्र में माँ बनने पर, बेबी में क्रोमोजोमल एबनोर्मिलिटी होने की सम्भावना ज्यादा होती है।

ब्लड प्रेशर

ब्लड प्रेशर

डॉक्टर रेगुलर, प्रेग्नेंट महिला का ब्लड प्रेशर चेक करते रहते हैं और हैं कि कही महिला को हाइपरटेंशन तो नहीं। हाई ब्लड प्रेशर, प्रीक्लेम्पसिया की तरह निशारा करता है। 35 से अधिक उम्र में माँ बनने पर, प्रीक्लेम्पसिया होने की सम्भावना ज्यादा होती है। इसके अलावा हाइपरटेंशन की समस्‍याएं महिलाओं की डिलीवरी में रुकावट बन सकता है।

 यूरिन

यूरिन

यूरिन के द्वारा, बहुत से पैरामीटर जैसे- प्रोटीन, एल्ब्यूमिन, इत्यादि की जाँच की जाती है। यूरिन में प्रोटीन आना, प्रीक्लेम्पसिया का संकेत होता है। कुछ ऐसे जाँच हैं, जो केवल 35 से अधिक उम्र पर माँ बनने वाली महिलाओं के लिए, किये जाते हैं-

 एमिनोसेंटसिस

एमिनोसेंटसिस

इस जाँच में एमनियोटिक फ्लूइड के द्वारा, डाउन सिंड्रोम की जाँच की जाती हैं।

ब्लड टेस्ट

ब्लड टेस्ट

लगभग 10 और 13 वें सप्ताह में रक्त परिक्षण द्वारा, डाउन सिंड्रोम और अन्य क्रोमोजोमल एबनोर्मिलिटी की जाँच की जाती है।

क्रोनिक विल्ली सैंपलिंग

क्रोनिक विल्ली सैंपलिंग

इस टेस्ट में, भ्रूण में जेनेटिक गड़बड़ियों और अन्य जन्मजात दोषों की जांच की जाती है। इसमें प्लेसेंटा से सेल्स निकाल कर, जाँच की जाती है।

एनीमिया-

एनीमिया-

एनीमिया ऐसी बीमारी है जिसमे शरीर में खून की कमी रहती है और नया खून नहीं बनता। इस टेस्ट को भी डॉक्टर शुरुआती समय में करवाने की सलाह देते हैं। ऑर्टिफिशियल तरीके से ही उनमें खून चढ़ाया जाता है, यह एक खतरनाक बीमारी है, जिससे मां के गर्भ में पल रहा बच्चा भी ग्रसित हो सकता है। इसकी समय पर जांच करवा लेनी चाहिए।

शुगर-

शुगर-

प्रेग्नेंट महिला को ज्यादा से ज्यादा यूरीन पास करने की जरूरत होती है। डॉक्टर भी यूरीन टेस्ट करते हैं जिससे पता लगता है कि महिला की बॉडी में इन्‍सुलिन किस मात्रा में बन रहा है। प्रेग्नेंसी हॉर्मोंस इन्सुलिन बनाना बंद कर देते हैं, जिससे शुगर की सम्भावना बढ़ जाती है। इस टेस्ट का भी सही समय पर करवा लेना चाहिए।

प्लेटलेट्स-

प्लेटलेट्स-

यह आपके शरीर में ब्लड क्लोट्स बनाने में मदद करते हैं, प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर से आधा लीटर खून निकलता है। प्लेटलेट्स खून का ज्यादा रिसाव होने से रोकते हैं। अगर इनकी संख्या कम होती है तो डॉक्टर इसका इलाज करते हैं।

यौन संचारित रोगों की जांच-

यौन संचारित रोगों की जांच-

प्रेग्नेंसी के शुरुआती समय में ही इस टेस्ट को करवा लेना चाहिए। जिससे अगर माता-पिता में से किसी को ये बीमारी है तो यह बच्चे को आ जाती है तो वो जानलेवा हो सकती है। इसका सही समय पर इलाज करवा कर इससे बचा जा सकता है।

English summary

Tests That You Have To Do During Pregnancy

Prenatal tests are important for your health and your unborn baby's health. Here's what to expect.
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