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प्रेगनेंसी के लास्‍ट स्‍टेज पर होते है ये बदलाव, ध्‍यान रखें इन बातों का

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प्रेगनेंसी में शरीर में हार्मोन्‍स के वजह से काफी बदलाव होते है, पूरे प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला के लिए गर्भावस्था का प्रथम चरण और अंतिम चरण सबसे महत्वपूर्ण होता है। गर्भावस्था के प्रथम चरण की ही तरह गर्भावस्था के अंतिम चरण में महिला के शरीर में बहुत सारे नए बदलाव होते हैं।

गर्भावस्था के दौरान महिला को कई उतार-चढ़ावों से गुजरना पड़ता है जिसमें कई बार दर्द की शिकायत भी बहुत होती है। इस दौरान फाल्‍स पेन भी होता है, यह ऐसी अवस्‍था है जो प्रसव की निर्धारित तिथि से एक या दो सप्‍ताह पहले होता है। आइए जानें गर्भावस्था के अंतिम चरण के बारे में।

गर्भावस्‍था का अंतिम चरण

गर्भावस्‍था का अंतिम चरण

  • प्रेगनेंसी की लास्ट स्टेज में महिला के भीतर व बाहरी तौर पर कई परिवर्तन होते है।
  • प्रसव से पहले ही गर्भवती महिला में इसके लक्षण कई बार दिखाई पड़ने लगते है जबकि कई बार नहीं।
  • ऐसा माना जाता है कि डॉक्टर द्वारा दी गई गर्भावस्था की अंतिम तारीख के एक सप्ताह इंतजार करने के बाद भी यदि महिला को लेबर पेन न हो तो लेबर पेन करने के लिए दवाइयां दी जाती हैं।
  • यदि तय तारीख के आसपास महिला को लेबर पेन न हो, तो ऑपरेशन की नौबत तक आ सकती है।
  • गर्भावस्था में ऑपरेशन से बचने के लिए ही डॉक्टर्स गर्भवती महिला को व्यायाम करने और शरीर को सक्रिय रख अधिक मोटा न होने की सलाह देते है।
  • यदि ऐसा नहीं होता है तो गर्भावस्था के अंतिम समय में भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • गर्भावस्था के अंतिम चरण के लक्षण

    गर्भावस्था के अंतिम चरण के लक्षण

    • यदि इस हफ्ते के अंतिम दिनों तक भी शिशु गर्भाशय से बाहर आने के लिए तैयार नहीं है या फिर लेबर पेन नहीं हो रहा तो यह चिंता की बात हो सकती है।
    • अंतिम तिथि के बाद भी डिलीवरी न होने पर शिशु की सेहत पर वैसे तो कोई असर नहीं पड़ता लेकिन जब बच्चा कई बार मूव नहीं कर पाता तो यह स्थिति शिशु के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
    • गर्भावस्था के अंतिम चरणों में बच्चे के बढ़ने से दबाव के कारण सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। जल्दी जल्दी मूत्र त्याग, छाती में जलन, कब्ज, सूजे हुए ढीले स्तन, अनिद्रा, पेट में मरोड़ भी अंतिम समय में ही होने लगता है।
    • गर्भ प्रसव के लिए तैयार है तो ब्रेस्ट में दबाव और संकुचन होने लगता है।
    • अंतिम हफ्तों में मां का वजन अधिक बढ़ जाता है। गर्भाशय के आकार की स्पष्ट वृद्धि होती है।
    • अंतिम समय में गर्भवती महिलायें अधिक थकान महसूस करने लगती हैं।
    • गर्भवती स्त्री ऐसे समय में उत्साहित और बेचैन दोनों ही रहती है।
    • स्तनों के आसपास नसों का कालापन, प्रसवावस्था समीप होने पर स्तन से एक पीले रंग का गाढा पदार्थ कोलोस्ट्रॉल के रूप में लीक होना, निपल्स का बाहर उभरना, एरियोला और निपल्स का बड़ा होना, ऐसी सभी समस्याएं गर्भावस्था के अंतिम समय आमतौर पर हर महिला को होती है।
    • कई बार गर्भावस्था के अंतिम समय में शरीर में कहीं कसाव, तो कहीं दर्द की स्थिति भी आती है, रात की नींद अक्सर बाधित होती है।
    • हिप्स और पेल्विक में परेशानी व खुजली, पैरों, चेहरे व हाथों में सूजन आना, पेट के निचले हिस्से में खुजली, नाभि का बढ़ना, योनि द्वार में सूजन इत्यादि भी गर्भावस्था के दौरान हो सकता है।
    • गर्भावस्था के अंतिम चरण में सावधानियां

      गर्भावस्था के अंतिम चरण में सावधानियां

      • अंतिम चरण में पूरी तरह से आराम करना चाहिए।
      • तनाव बिलकुल न लें, तनाव मां और बच्‍चे दोनों के खतरनाक हो सकती है।
      • अंतिम हफ्तों या अंतिम तिथी निकलने पर भी भ्रूण स्वस्थ है या नहीं कि जानकारी के लिए टेस्ट करा सकती हैं।
      • अंतिम चरण में लगातार डॉक्टर्स के संपर्क में रहना आवश्यक होता है।
      • योनि मार्ग से किसी तरह का रक्त स्राव तथा प्रसव के दौरान और प्रसव के बाद भारी रक्त स्राव हो तो तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करें।

English summary

What changes occur during the Last stage of pregnancy?

Here are the few Things to Know About the Final Stages of Pregnancy.
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