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प्रेगनेंसी में महिलाओं के लिए सुपरफूड है 'आंवला'
गर्भावस्था के नौ महिनों में महिला और बच्चें के भरण पोषण का खास ख्याल रखा जाता है। गर्भवती महिला को इस समय में दो जनों की डाइट दी जाती है क्योंकि उसी के जरिए बच्चे तक भी खाना पहुंचता है। साथ ही साथ इस दौरान बहुत सी सर्तकता भी बरती जाती है। ताकि किसी तरह की परेशानी न हो। यहां तक कि एक लिस्ट तक बनाई जाती है कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। जबकि ऐसे में बहुत सी चीजे ऐसी है, जिनके सेवन से प्रेगनेंसी में जरूरी न्यूट्रीशयंस मिलते है, जिनकी मदद से बच्चे का विकास बेहतर होता है। जैसे कि आंवला, जो कि असल में इन दिनों एक 'सूपरफूड’ के तौर पर अधिक पहचाना जाता है। लेकिन गर्भावस्था में इसके सेवन की ज्यादा जानकारी नहीं है। कहने का अर्थ यह है कि बहुत कम ही लोगों को इस बात की सही जानकारी है कि गर्भावस्था के दौरान हैल्दी रहने के लिए क्या चीज और कितनी मात्रा में खानी चाहिए।
ऐसे में आज बोल्डस्काई पर हम आपसे साझा कर रहे हैं कि आखिर आंवला गर्भवस्था में खाने योग्य क्यों है, इसे कितनी मात्रा में खाए साथ ही साथ इसके सेवन से बच्चे की सेहत पर क्या असर पड़ता है।
विटामिन्स का है 'पावरहॉउस’
इंडियन गूसबैरी यानी कि 'आंवला’, एकाएक मुंह में पानी ला देता है। हालांकि अधिकांश लोग इसका इस्तेमाल सिर्फ बालों की बेहतरी के लिए करते है, लेकिन गर्भावस्था में भी यह बहुत लाभदायक है। क्योंकि यह विटामिन सी से भरपूर है, इसी के चलते गर्भावस्था के दौरान शरीर को जरूरत के मुताबिक आयरन कंज्युम करने को मिलता है। ताकि हिमोग्लोबिन का भी स्तर बना रहें।
प्रेगनेंसी में है सुरक्षित
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गर्भावस्था के दौरान बहुत सी चीजों को इग्नोर किया जाता है। ऐसे में आंवला ऐसा फल है जिसे गर्भावस्था में आराम से खाया जा सकता है। क्योंकि आंवले के सेवन से खून साफ होने के साथ ही यह बच्चे तक खून और आॅक्सिजन आराम से पहुंचता है।
एनिमिया में है लाभदायक
गर्भावस्था के दौरान शरीर में विटामिन सी और आयरन की कमी होना अच्छा संकेत नही है। ऐसे में आंवला इन दोनों ही तत्वों की कमी पूरी करता है। साथ ही साथ यह हीमोग्लोबिन के स्तर को भी बनाए रखता है। इतना ही नहीं गर्भावस्था के आखिरी तीन महिनों में हाथों और पैरों में आने वाली सूजन में आंवले में पाए जाने वाले गुणों के कारण बहुत हद तक राहत मिलती हैं।
कब्ज से भी मिलती है राहत
फाइबर्स से भरा आंवला कब्ज में आराम देता पहुंचाता है। इसमें मौजुद विटामिन सी के कारण यह शरीर में ब्लड प्रेशर को मेंटेन रखता है। गर्भावस्था में भी आंवले के सेवन से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सकता है। साथ ही साथ प्रेगनेंसी के दौरान बच्चे की हड्डियों और दांतों के लिए भरपूर मात्रा में कैल्श्यिम चाहिए होता है, ऐसे में आंवला बच्चे में कैल्श्यिम की कमी को पूरा करता है। इसके अलावा प्रेगनेंसी की पहले तीन महिनों में सुबह-सुबह होने वाली मिचमिची में भी आंवला बहुत राहत देने के साथ पूरे दिन तरोताजा बनाए रखता है।
बढ़ाता है इम्युनिटी
आंवला हमारी रोग प्रतिरोधक क्षम ता को और सक्रिय और बेहतर बनाता है। आंवले में विटामिन सी के चलते हमें किसी भी तरह के फ्लू और यूरिनरी इंफेक्शन में बेहतर सुरक्षा मिलती है। अब सवाल यह उठता है कि इसे एक बार में कितनी मात्रा में खाया जाए? चुंकि किसी भी चीज की अति हमारे लिए नुकसानदायक है क्योंकि अति होने से यह हमारे शरीर में जहर की तरह काम करता है। इसलिए इसके सेवन की सही मात्रा का ज्ञान होना जरूरी है जैसे कि अगर फल के तौर पर इसे खाया जा रहा है तो सिर्फ 1 आंवला ही पर्याप्ता है। अमुमन एक आंवले में 500 mg से लेकर 1800 mg तक विटमिन सी पाया जाता है। जबकि वहीं अगर इसे पाउडर के तौर पर खाया जा रहा है तो एक टी स्पून यानी कि 4 ग्राम ही सही हैं।
इस तरह से करें आंवले का सेवन
सुपरफूड कि लिस्ट में शामिल हो चुके आंवले को खाने के बहुत से तरीके है। अधिकांश को जहां यह आचार या मुरब्बे के तौर पर पसंद है तो वहीं कुछ को इसका कच्चा और खट्टा स्वाद लुभाता है।
आचार: आंवले को खाने का सबसे टेस्टी तरीका है कि इसे रोटी या फिर चावल के साथ आचार के तौर पर खाया जाए। आंवले का आचार बनाने में भी बहुत सरल होने के साथ ही स्वास्थयवर्धक है।
जूस: आंवले के रस में जरा सी काली मिर्च के साथ स्वादानुसार शहद मिलाकर पीया जाए तो यह प्रेगनेंसी के दौरान बहुत लाभदायक है।
पाउडर: आप चाहे तो इसे आप चुरा कर अच्छे से पाउडर बनाकर भी खा सकते है। इसके लिए आंवले को सूरज की रोशनी में सूखा लें और पाउडर बना लें। फिर इसे रेग्युलर डाइड में शामिल करने के लिए इसे सब्ज्यिों में भी डाल सकते है।
कैंडी: आंवले को लम्बें समय के लिए खाना हो तो, इससे बनी कैंडी सबसे अच्छा आॅप्शन है। आप जब चाहे इसकी दो तीन कैंडी मुंह में रख सकते है। इससे खाना पचने के साथ ही आपके मुंह का स्वाद भी बढ़िया हो जाएगा।
मुरब्बा : आंवले का यह मीठा स्वरूप सदियों से घर-घर में खाया जा रहा है। चीनी की चाशनी या शहद में डूबें हुए आंवले का मुरब्बा एक तरीके से भूख बढ़ाने का काम करता है।
हैं कुछ साइडइफेक्ट्स भी
हालांकि
आंवला
एक
गुणों
का
भंडार
है,
लेकिन
यह
फायदेमंद
तभी
है
जब
इसे
सही
मात्रा
में
आवश्यकता
अनुसार
खाया
जाए।
क्योंकि
इसकी
सेवन
मात्रा
में
जरा
सा
उपर
नीचे
से
कब्ज,
डायरिया
और
पानी
कम
की
शिकायत
हो
सकती
है।
साथ
ही
साथ
इससे
त्वचा
भी
रूखी
हो
सकती
है।
कब
न
खाए
आंवला?
इसके
कुलिंग
इफेक्ट
के
चलते
इसे
विंटर
फ्रूट्स
में
शामिल
किया
जाता
है।
जहां
तक
बात
है
गर्भवती
महिला
की
तो
उन्हें
सर्दी
जुखाम
और
कफ
होने
पर
इसके
सेवन
से
बचना
चाहिए।
साथ
ही
साथ
आंवले
में
लेक्सीटिव
गुण
भी
होते
है,
इसलिए
डायरिया
हो
तो
इसे
भूलकर
भी
न
खाए।