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शादी से पहले क्यूं मिलाई जाती है कुंडली? जानिये 4 कारण
हिंदू धर्म में कुंडली का अह्म रोल होता है। शादी किए जाने से पहले लोग अक्सर कुंडली का मिलान करते हैं जिससे वह वर और वधु के ग्रह-नक्षत्रों का मेल करते हैं और जानते है कि उन दोनों का वैवाहिक जीवन कैसा होगा। हालांकि, कई धर्म और जातियों में कुंडली का मिलान नहीं किया जाता है और लोग आपसी पसंद और चयन से ही विवाह कर लेते हैं।
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कई
बार
मन
में
सवाल
उठता
है
कि
आखिर
कुंडली
को
मिलाया
क्यों
जाता
है
और
क्या
इसके
मिलाने
से
वाकई
में
कोई
फर्क
पड़ता
है।
शादी
करने
के
लिए
कुंडली
को
मिलवाये
जाने
के
चार
कारण
निम्न
प्रकार
हैं:
1.
शादी
कितनी
चलेगी:
कुंडली
को
हिंदू
धर्म
में
शादी
का
सबसे
पहला
चरण
माना
जाता
है
जिसमें
भावी
वर
और
वधु
की
जन्मकुंडली
को
बनवा
कर
उसे
आपस
में
मिलाया
जाता
है
कि
उनके
कितने
गुण
रहे
हैं।
इससे
उनके
वैवाहिक
जीवन
का
अंदाजा
लगाया
जाता
है।
शास्त्रों
के
अनुसार,
पुरूष
और
महिला
की
प्रकृति,
शादी
के
बाद
परिवर्तित
हो
जाती
है
जो
आपस
में
एक-दूसरे
के
व्यवहार
से
ज्यादा
प्रभावित
होती
है।
यही
कारण
है
कि
कुंडली
को
मिलाकर
जान
लिया
जाता
है
कि
उन
दोनों
की
आपस
में
कितनी
पटरी
खाएगी।
2. रिश्ते का चलना: कुंडली में गुण और दोष होते हैं जिन्हे शादी से पहले मिलाया जाता है ताकि यदि कोई गंभीर दोष जैसे- मंगली आदि निकलता है, तो रिश्ते को आगे न बढ़ाया जाएं। वरना उन दोनों को समस्या हो सकती है। कुंडली में कुल 36 गुण होते है जिनमें से कम से कम 18 गुण मिलने पर ही शादी की जाती है। इससे कम गुण मिलने पर पंडित शादी करने से इंकार कर देते हैं।
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गुण मैचिंग के निम्न क्षेत्र होते हैं:
- वर्ण- जाति का मिलान करने के लिए
- वैश्य- आकर्षण
- तारा- अवधि
- योनि- स्वभाव और चरित्र
- ग्रह मैत्री- प्राकृतिक दोस्ती
- गण- मानसिक क्षमता
- भकोट- दूसरे को प्रभावित करने के लक्षण
- नाड़ी- बच्चे के जन्म की संभावना
3. मानसिक और शारीरिक दक्षता: भावी वर और वधु का व्यवहार, प्रकृति, रूचि और क्षमता के स्तर को जानकर आपस में कुंडली के माण्यम से मिलाया जाता है। अगर दोनों के इन गुणों में दोष पाया जाता है तो शादी नहीं की जाती है। माना जाता है कि जबरन शादी कर देने पर दोनों ज्यादा समय तक साथ नहीं रह पाते हैं।
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4. वित्तीय स्थिति कैसी रहेगी और परिवार के साथ कैसी बनेगी: कुंडली को मिलाकर जाना जाता है कि भावी दम्पत्ति की वित्तीय स्थिति कैसी रहेगी, उनका परिवार कैसा चलेगा। उनकी संतान कितनी होगी। उनके जीवन में कोई संकट आएगा या नहीं। ये सब कुंडली को मिलाकर जाना जा सकता है।