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रीढ़ की तंदुरुस्ती के लिए मार्जारी आसन
मार्जारी आसन करने के लिए दोहरा कंबल बिछाएँ. घुटनों के बल खड़े हो जाएँ. दोनों घुटनों में थोड़ा अंतर रखें. आगे की ओर थोड़ा झुकें. दोनों हथेलियों को ठीक कंधों के नीचे ज़मीन पर रखें.
ध्यान रखें कि आसन करते समय भी दोनों बाज़ू और कंधे एक सीध में रहे. इस आसन को बिना रुके दस बार दोहराएँ. दोनों बाज़ुएँ एक-दूसरे के समानांतर रहेंगी.
दोनों हाथों में कंधे जितना अंतर होना चाहिए. आसन करते समय बाज़ुओं को कोहनी से नहीं मोड़ेंगे. मार्जरी आसन की यह आरंभिक स्थिति है. धीरे-धीरे साँस भरते हुए गर्दन पीछे मोड़िए.
रीढ़ नीचे की ओर खीचें. आपकी पीठ और कमर नीचे की ओर झुक जाएगी. इस अवस्था में तीन सेकेंड ठहरें. एक हाथ से पैर का अंगूठा छूते समय दूसरा हाथ पीछे की ओर जाएगा. पीछे वाली हथेली को देखने का प्रयास करें.
यह आसन शरीर को ऊर्जावान बनाता है
इसी तरह धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए रीढ़ को ऊपर की ओर खीचें. गर्दन को आगे की ओर झुकाएँ. सिर को नीचे करें. जंघाओं की ओर देखें. इस अवस्था में तीन सेकेंड ठहरें. यह पूरा एक चरण है.
साँस भरते हुए पेट फूलना चाहिए. साँस छोड़ते हुए पेट पिचकना चाहिए. किसी प्रकार का झटका नहीं दें. साँस लेने और छोड़ने की गति धीमी होनी चाहिए.
पाँच सेकेंड तक साँस भरें और पाँच सेकेंड तक साँस छोड़ें. मार्जारी आसन की इस प्रकिया को दस बार दोहराएँ.
लाभ
मार्जारी आसन पीठ और कमर की मांसपेशियों के तनाव को कम करने में सहायक है. यह गर्दन, कंधें और रीढ़ की कोशिकाओं पर विशेष प्रभाव डालता है. इसके नियमित अभ्यास से रीढ़ की कोशिकाओं के बीच दबाव कम होता है.
इससे रीढ़ की तंत्रिकाओं में स्फूर्ति आती है. महिलाओं के लिए यह आसन विशेष रूप से लाभदायक है. गर्भावस्था के दौरान पहले तीन महीने तक मार्जारी आसन का अभ्यास किया जा सकता है.
इसके अतिरिक्त मासिक धर्म की समस्या और ल्यूकेरिया से छुटकारा दिलाने में भी मार्जारी आसन असरदार साबित होता है.
मेरुवक्रासन
रीढ़ के लिए गत्यात्मक मेरुवक्रासन समान रूप से लाभदायक है. रीढ़ और सभी कोशिकाओं के बीच के जोड़ को तनावरहित बनाता है.
आसन करने के लिए दोहरा कम्बल बिछाकर आरामदायक स्थिति में बैठें. दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाएँ. घुटने नहीं मोड़ें. पैरों के बीच में तीन फुट का अंतर रखें. अपनी कमर, गर्दन और रीढ़ को एकदम सीधा रखें.
यह आसन विशेष तौर पर रीढ़ की दो कोशिकाओं के बीच तनाव और दबाव को कम करता है
साँस भरते हुए दोनों हाथों को कंधों की सीध में लाएँ. साँस छोड़ते हुए बाईं ओर घूम जाएँ. दाएँ हाथ से बाएँ पैर का अंगूठा छूने का प्रयास करें. इसी प्रकार साँस भरते हुए फिर से सीधे हो जाएँ.
साँस निकालते हुए दाईं ओर घूम जाएं. बाएँ हाथ से दाएँ पैर का अँगूठा छूने का प्रयास करें. यह पूरा एक चरण है. कमर दर्द की समस्या होने पर गत्यात्मक मेरुवक्रासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए.
गत्यात्मक का अर्थ है तेज़ गति से करना. लेकिन आसन की शुरुआत धीमी गति से करें. बाद में यथाशक्ति नियंत्रणपूर्वक गति बढ़ाएँ. थकान होने पर धीरे-धीरे गति कम करते हुए प्रारंभिक अवस्था में लौट आएँ. अंत में पीठ के बल लेट जाएँ. कुछ देर विश्राम करें. सासँ को सामान्य करें.
इस आसन से रीढ़ की लचक बढ़ती है. गर्दन पीठ और कमर की मांसेपेशियों का तनाव घटता है. थकान दूर होती है. मांसपेशियों में स्फूर्ति आती है. दिनभर की व्यस्तता और थकान में भी आप चुस्त-दुरुस्त बने रहते हैं.