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एग्जाम में दही खाने से ले कर उपवास रखने तक के ये 10 वैज्ञानिक कारण चौंका देंगे
क्या आप जब भी घर से बाहर किसी बड़े को करने के लिये निकलते है तो क्या आपकी माता जी पीछे से आ कर आपको दही और चीनी खिलाने के लिये अनुरोध करती हैं। या फिर कभी सोचा है कि महिलाएं अपनी उंगली में बिछियाा क्यूं पहनती हैं?
हिंदू धर्म एक रहस्यमय धर्म है। कई धार्मिक अनुष्ठान, रीति-रिवाज़ और परंपराएं इस विश्वास की रीढ़ हैं। हम में से अधिकांश इन रस्मों की आवश्यकता पर सवाल करते हैं और आश्चर्य करते हैं कि आधुनिक दुनिया में यह कैसे प्रासंगिक है।
आज की नई पीढ़ी ज्यादातर इन परंपराओं को अंधविश्वास के रूप में खारिज कर देती हैं। लेकिन क्या सभी हिंदू परंपराएं, अंधविश्वास की बुनियाद पर बनाई गई थीं? आपको उत्तर जानना है तो यह आर्टिकल जरुर पढें।
परीक्षा या किसी भी महत्वपूर्ण कार्य से पहले चीनी के साथ दही खाना:
दही शरीर पर ठंडा प्रभाव डालने के लिये जानी जाती है जिसे खाने के बाद मन और दिमाग दोंनो ही शांत हो जाते हैं। इसके अलावा शक्कर खाने से शरीर को काफी एनर्जी मिलती है जिससे आप कोई भी काम पूरी एनर्जी के साथ मुमकिन कर पाते हैं। तो अगली बार जब आपकी माँ एक चम्मच दही और चीनी के साथ आपके पीछे भांगे तो, उनसे बहस ना करें और इसे झट से खा लें।
सूर्य ग्रहण के दौरान बाहर नहीं निकलते हैं:
यह बात अंधविश्वास की तरह लगती है। सौर ग्रहण के दौरान, पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण लहरें कमजोर हो जाती हैं और सूर्य से यूवी किरणे सीधे पृथ्वी पर टकराती हैं। यदि कोई व्यक्ति इन यूवी किरणों के सामने आता है तो उसे कैंसर जैसे अन्य त्वचा रोग या फिर बीमारियां हो सकती हैं। यही कारण है कि सूर्य ग्रहण के दौरान बाहर जाने से बचना चाहिये ना कि इसके पीछे कोई अंधविश्वास छुपा हुआ है।
भोजन की प्लेट के आस-पास पानी का छिड़काव
पहले जमाने के लोग हमेशा खाना खाने के पहले अपनी प्लेट के चारों ओर अपने हाथों से पानी का छिड़काव करते थे। ऐसा इसलिये क्योकि पुराने जमाने में प्लेट जमीन पर रखी जाती थी जिस कारण से उसमें जमीनी कीड़े रेंगते हुए प्लेट में पहुंच जाते थे। मगर छिड़काव करने से भोजन के आस पास कीड़े नहीं आते।
तांबे के बर्तन से पीने का पानी:
तांबे के बर्तन में पानी को रात रात भरने के बाद सुबह उसी का पानी पीने से लाभ मिलता है। कॉपर में जीवाणुरोधी और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जिससे घाव को भरने में आसानी होती है। कॉपर पाचन को उत्तेजित करने के लिए तथा कोलेस्ट्रॉल को कम करने के गुणों से भरा हुआ है। जब कॉपर के बर्तन में पानी भर के रखा जाता है तब यह अपने गुणों को पानी में छोड़ देता है।
चांदी की कटलरी से भोजन करना:
हमारे शरीर को चांदी की भी आवश्यकता होती है और हमें यह किसी भी भोजन से प्राप्त नहीं हो सकती। जब भोजन को चांदी की थाली या कटोरी में परोसा जाता है तब चांदी अपने गुणों को भोजन में छोड़ देती है, जिससे शरीर की सारी जरुरते पूरी हो जाती हैं।
उपवास:
उपवास आमतौर पर धर्म के साथ जुड़ा हुआ है लेकिन क्या आपको पता है कि इसके पीछे विज्ञान है? आयुर्वेद के अनुसार अगर आपको पेट दुरुस्त रखना है तो सप्ताह में कम से कम एक बार उपवास करने की जरुरत है। हमारा पाचन तंत्र 24 घंटोंकाम करता है, और जब आप एक दिन के लिए हल्का खाते हैं, तो यह पाचन तंत्र थकान से उबरने में मदद करता है।
फर्श पर बैठ कर खाना:
भोजन पर बैठ कर खाना खाने से पाचन सुधारने में मदद मिलती है। सामने रखे भोजन को जब आप खाते हैं तो आपका शरीर खाना लेने के लिये आगे आता है और फिर पीछे जाता है। ऐसा करने से पेट में जो एसिड खाना पचाता है वह सिक्रीट होने लगता है। इससे खाना आराम से हजम होने लगता है।
बैठ कर शौंच करना
शौंच करते वक्त आपकी नेचुरल पोजिशन होनी चाहिये, जो आपके आंतों की मांसपेशियों पर दबाव डालने का काम करता है। इस तरह से मलाशय बिना कसी रूकावट के सीधे गुदा दृारा निकल जाता है। वहीं दूसरी ओर बैठ कर शौंच करने से आंत की मसापेशियों को आराम नहीं मिलता और पेट पूरी तरह से साफ नहीं हो पाता। धीरे धीरे ऐसा होने पर बाद में चल कर बवासीर जैसी बीमारी हो जाती है।
किसी को हाथ जोड़ कर नमस्कार करना
हाथ जोड़कर नमस्कार करना हिंदू धर्म में एक प्राचीन परंपरा। हम अपने से बड़ों को हाथ जोड़ कर नमस्कार इसलिये करते हैं क्योंकि हम उन्हें सम्मनित महसूस करवाना चाहते हैं। इस क्रिया के वैज्ञानिक महत्व के कारण आपको शारीरिक लाभ भी मिल जाता है। दोंनो हाथ जोड़ने से कुछ ऐसे बिंदू दबते हैं, जिनसे आंख, नाक, कान, दिल आदि शरीर के अंगों से सीधा संबंध होता है। इस तरह दबाव पड़ने को एक्वा प्रेशर चिकित्सा भी कहते हैं।
पैर की उंगली में बिछिया पहनना
अमूमन रिंग को पैर के अंगूठे के बगल वाली दूसरी उंगली में धारण किया जाता है। इस उंगली की नस महिलाओं के गर्भाशय और दिल से संबंध रखती हैं। पैर की उंगली में रिंग पहनने से गर्भाशय और दिल से संबंधित बीमारियों की गुंजाइश नहीं रहती है।