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नीदं में खर्राटे लेना कहीं बीमारी तो नहीं
क्या आपको पता है की खर्राटे का कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है। सोते समय श्वसन में खर्राटों के कारण अवरोध आ जाता है। कई बार तो साँस इतनी अवरुद्ध हो जाती है कि व्यक्ति बेचैनी एवं घुटन के कारण हड़बड़ाकर उठ बैठता है। खर्राटे भरना अपने आप में एक बीमारी है जो अन्य जानलेवा बीमारियों को न्योता देती है। यह रोग महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को ज्यादा होता है। पुरुषों में यह रोग होने की आशंका महिलाओं से लगभग दो गुना होती है। आमतौर पर इस बीमारी का आक्रमण 40 से 60 वर्ष की आयु में होता है, परंतु युवाओं तथा किशोरों में भी खर्राटे लेने की बीमारी हो सकती है। अब तो छोटे बच्चों में भी इस रोग के चपेट में तेजी से आने लगे हैं।
खर्राटों का कोई एक निश्चित कारण नहीं होता। बहुत से कारण जैसे जीभ का बड़ा होना, पुरानी सर्दी, नाक में मस्से होना या नाक का पर्दा सीधा न होना आदि कारणों से साँस में रुकावट पैदा हो जाती है। अधिक मोटापे के कारण भी खर्राटों की शिकायत हो सकती है। खर्राटे अधिक आने पर पालीसाइटमियो नामक रोग भी हो सकता है। इस रोग में रक्त कणों की संख्या बढ़ने के कारण खून में गॉठे पड़ सकती हैं। यदि ये गाँठें उन रक्त वाहिनियों में पहुंच जाएं जो हृदय में रक्त ले जाती हैं तो व्यक्ति को हार्ट अटैक तथा ब्रेन हेमरेज जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
इलाज
आपको
इसकी
समस्या
से
जल्द
निजात
पाने
के
लिए
डॉक्टर
की
सलाह
के
साथ
अपने
वजन
को
कट्रोल
में
रखना
होगा।
कुछ
मरीजों
को
करवट
लेकर
सोने
से
खर्राटे
नहीं
आते
जबकि
कुछ
को
नॉजल
ड्रॉप्स
डालने
से
आराम
मिलता
है।
कुछ
मरीजों
को
मशीन
लगाने
से
भी
आराम
मिलता
है।
परेशानी
बढ़ने
पर
गले
का
ऑपरेशन
भी
किया
जाता
है।
यदि
समस्या
बहुत
ज्यादा
ही
गंभीर
हो
तो
गले
में
ट्रेकिया
में
छेद
कर
पीड़ित
व्यक्ति
को
राहत
दी
जाती
है।