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जानलेवा इबोला वायरस के लक्षणों की करें पहचान
अफ्रीकी देशों में फैला इबोला वाइरस का खतरा अब धीरे-धीरे दुनिया के अलग-अलग देशों में फैलता जा रहा हैं। पूरे विश्व में फैले इस जानलेवा वाइरस इबोला ने भारत में भी हमला बोल दिया है। इबोला एक जानलेवा वायरस है जो कि शरीरिक तरल पदार्थ या जानवरों से संपर्क में आने से भी फैल सकती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है और ना ही इसके लिये कोई टीका बनाया गया है।
एक अध्ययन में पता चला है कि इबोला जैसे वायरस स्तनपाई जानवरों से आते हैं। इन स्तनपायी जानवरों में चमगादड़ मुख्य रूप से शामिल है। एक सर्वे से पता चला है कि इबोला जैसे खतरनाक वायरस लाखों की तादाद में जंगली जानवरों से आ रहे हैं। इबोला व्यकित के इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करता हैं। यह इम्यून कोशिकाओं में घुस कर शरीर के विभिन्न भाग में चला जाता है। जैसे कि लीवर, गुर्दा और मस्तिष्क। यह शरीर की प्रतिरक्षक क्षमता को कम करता जाता है। 10 बीमारियां जिसका इलाज साइंस के पास भी नहीं
इबोला
बीमारी
के
लक्षण
इबोला
वायरस
एक
बार
शरीर
पर
हमला
कर
दे,
तो
बचने
की
उम्मीद
बहुत
कम
होती
है।
अच्छा
होगा
कि
आप
इसके
लक्षणों
के
बारे
में
ठीक
से
पता
लगा
लें।
यदि
इबोला
वायरस
शरीर
में
प्रवेश
कर
जाता
है
तो,
मरीज
21
दिन
के
बीच
में
ही
कमजोर
होने
लगता
है।
उसे
बुखार,
लगातार
तेज
सिरदर्द
और
मसापेशियों
में
दर्द
की
शिकायत
होने
लगती
है।
इसके
अलावा
उसकी
भूख
मर
जाती
है,
पेट
में
दर्द
रहता
है
तथा
चक्कर
और
उल्टियां
शुरु
हो
जाती
हैं।
इस
बीमारी
में
शरीर
में
नसों
से
खून
बाहर
आना
शुरु
हो
जाता
है,
जिससे
अंदरूनी
ब्लीडिंग
प्रारंभ
हो
जाती
है।
कैसे
फैलता
है?
इबोला
के
मरीज
को
सबसे
अलग
रखा
जाता
है।
यह
बीमारी
अन्य
बीमारियों
की
तरह
सांस
के
जरिये
नहीं
फैलती
बल्कि
यह
रोगी
के
सीधे
संक्रमण
मे
आने
पर
फैलती
है।
यह
बीमारी
का
वायरस
उसके
पसीने
से
फैल
सकता
है।
अगर
मरीज
की
मृत्यु
हो
चुकी
है
,
तब
भी
यह
वायरस
वातावरण
में
जिंदा
रहेगा।
नहीं
है
उपचार
बड़ी
ही
दुखद
की
बात
है
कि
इस
रोग
का
कोई
ईलाज
नहीं
है।
इसके
लिए
कोई
दवा
नहीं
बनाई
जा
सकी
है।
इसका
कोई
एंटी-वायरस
भी
नहीं
है।
इसकी
रोकथाम
का
केवल
एक
ही
तरीका
है,
जागरूकता.