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आयुर्वेद के अनुसार पानी पीने का सही तरीका

By Super
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आयुर्वेद के अनुसार भोजन के बाद पानी पीना जहर के सामान है। इससे जठराग्नि समाप्त हो जाती है (जो कि भोजन के पचने के बाद शरीर को मुख्य ऊर्जा और प्राण प्रदान करती है) इसलिए ऐसा करने से भोजन पचने के बजाय गल जाता है। इससे ज्यादा मात्रा में गैस और एसिड बनता है और एक दुष्चक्र शुरू हो जाता है।

महर्षि वाघ भट्ट ने 103 रोग खोजें हैं जो कि भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से होते हैं।

 The Right Way of Drinking Water as per Ayurveda

1. भोजन और पानी के बीच 1.5 से 2.5 घंटों का अंतर होना चाहिए। इसके आलावा यह भूगोलीय स्थितियों पर भी निर्भर करता है। पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वालों को खाने के बाद ज्यादा देर से पानी पीना चाहिए बजाय की निचले और गर्म भागों में रहने वालों के। क्यों कि वातावरण के अनुसार ही भोजन को पचने में समय लगता है। वज़न कम करने में आयुर्वेद किस प्रकार सहायक है

2. खाना खाने से पहले पानी पीना चाहिए और यह खाना खाने से 40 मिनट पहले पीना चाहिए।

3. खाने के बाद मुंह और गले को साफ़ करने के लिए 1 या 2 घूँट गर्म या गुनगुना पानी लिया जा सकता है ।

4. यदि वाकई में आपको प्यास लग रही है तो सुबह के नाश्ते के बाद मौसमी फलों का जूस पिया जा सकता है और लंच के बाद दही या छाछ ली जा सकती है। रात के खाने के बाद दूध लिया जा सकता है। हालाँकि इनमे भी पानी होता है लेकिन ये भोजन को पचाने में मददगार हैं और शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुँचाते।

5. गर्म चाय की तरह पानी को एक एक घूँट लेकर पियें। वॉटर थेरेपी ट्रीटमेंट और उसके लाभ

6. सुबह सबसे पहले पानी पियें। यह शरीर के तापमान को गर्म करेगा और यह एक एक घूँट लेकर पीना चाहिए जिससे पेट में ज्यादा से ज्यादा लार जाएगी। आप सिर्फ यदि पानी पी रहें हैं तो इसे ताम्बे के बर्तन में रखें इससे इसे गर्म नहीं करना पड़ेगा, इसमें गर्म पानी के सभी गुण आ जायेंगे। घड़े के पानी को भी गर्म करना चाहिए। 18 वर्ष से ज्यादा और 60 वर्ष से काम आयु के लोगों को 1.5 से 2 गिलास पानी पीना चाहिए और अन्य को 1.25 लीटर यानि 3 गिलास पानी पीना चाहिए। यह पानी की वह मात्रा है जो आप बिना प्यास के भी पी सकते हैं।

इस क्रिया को 6 माह तक करें और अपने स्वास्थ्य में फर्क देखें। आप हल्का और फ्रेश महसूस करेंगे और यह नींद, पाचन, दर्द और दिल सबके लिए बेहतर है।

7. यदि आप ताम्रपात्र में पानी का सेवन कर रहें हैं तो 3 माह के बाद कुछ सप्ताह के लिए इसका सेवन बंद कर दें फिर पुनः शुरू करें।

8. ठंडा पानी कभी नहीं पियें। यह गर्म/ गुनगुना या शरीर के तापमान के अनुसार होना चाहिए। ठंडा पानी पीने से शरीर के कुछ अंगों में रक्त नहीं पहुँचता है। कुछ समय के बाद यह कमजोरी और कई प्रकार की बिमारियों का कारण बनता है जैसे की हार्ट अटैक, किडनी फेलियर, ब्रेन हेमरेज आदि। अधिकतर बार ठंडा पानी पीना कब्ज का मुख्य कारण होता है। इससे बड़ी आंत सिकुड़ती है जो कि अनेक जटिलताएं पैदा करती है। यह बात अन्य ठंडे खाद्य पदार्थों पर भी लागू होती है।

English summary

The Right Way of Drinking Water as per Ayurveda

As per Ayurveda, drinking water at the end of a meal is akin to drinking poison. It kills the Jathaaragni (that aspect of prana or energy which enables the body to digest food) thereby making the food rot inside the system instead of getting digested.
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