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जानलेवा साबित हो सकता है यूरिन रोकना, जानिए क्या हो सकते हैं परिणाम?
ब्लैडर को यूरिन का संकेत मिलते ही जल्द ही इसे खाली कर देना चाहिए वरना ब्लैडर पर जोर पड़ने से किडनी पर भी दबाव पड़ता है। पेशाब में यूरिया व अमीनो एसिड जैसे टॉक्सिक तत्त्व होते हैं। यूरिन को रोकने से
क्या
आपको
यूरिन
रोकने
की
आदत
है,
ऑफिस
में
काम
करते
वक्त
या
सफर
करते
हुए?अगर
आपका
जवाब
हां
में
है
तो
आप
अपनी
सेहत
के
साथ
खिलवाड़
कर
रहें
हैं।
यह
आदत
आपके
लिए
धीरे
धीरे
जानलेवा
भी
साबित
हो
सकती
है।
यूरिन
रिलीज
करना
शरीर
की
सामान्य
प्रक्रिया
है।
ब्लैडर
के
भरने
पर
प्रतिक्रिया
तंत्र
ब्रेन
को
यूरिन
रिलीज
करने
का
संकेत
भेजता
है।
स्वास्थ के बारे में जानकारी देती है पेशाब का रंग
यूरिन को रोकने की आदत जिनमें होती है उनमें यह प्रतिक्रिया धीरे-धीरे कम हो जाती है। यूरिन को रोकने की क्षमता यूरिन की उत्पादन मात्रा, हाइड्रेशन, तरल पदार्थ और ब्लैडर में जमा होने की कैपेसिटी पर निर्भर करती है। यूरिन रिलीज का संकेत मिलने के कुछ समय के अंदर हमारा नर्वस सिस्टम इसे कंट्रोल करने का भी संकेत देता है ताकि व्यक्ति उचित जगह देखकर इसे रिलीज कर सकें।
सामान्यतया हर एक मिनट में 1-2 एमएल यूरिन ब्लैडर में पहुंचता है। ब्लैडर को संकेत मिलने के बाद जल्द ही खाली कर देना चाहिए वरना ब्लैडर पर जोर पड़ने से किडनी पर भी दबाव पड़ता है। पेशाब में यूरिया व अमीनो एसिड जैसे टॉक्सिक तत्त्व होते हैं। यूरिन को रोकने से किडनी को नुकसान होने के साथ ब्लैडर में दर्द और संक्रमण हो सकता है।
1-दो मिनट में करें खाली
यूरिन शरीर की सामान्य प्रक्रिया है, जिसे महसूस होने पर एक से दो मिनट के अंदर निष्कासित कर देना चाहिए। वैसे तो ब्लैडर के भरने पर स्वत: प्रतिक्रिया तंत्र आपके मस्तिष्क को बॉशरूम जाने का संकेत भेजती है। पसीने की तरह यूरीन के माध्यम से भी शरीर के गैर जरूरी तत्व बाहर निकलते हैं। यदि वह थोड़े समय भी अधिक शरीर में रहते हैं तो संक्रमण की शुरुआत हो सकती है। आइए जानें यूरीन को रोकने से शरीर पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ सकता है।
2- बैक्टरियां हो सकते है हावी
कुछ लोग यूरीन को कुछ मिनट के लिए तो कुछ से लंबे समय तक रोक कर रखते है। आप यूरीन कितनी देर तक रोक कर रखते हैं यह यूरीन की उत्पादन मात्रा पर निर्भर करता है। इसके अलावा यह हाइड्रेशन की स्थिति, तरल पदार्थ और ब्लैडर की कार्यक्षमता पर भी निर्भर करता है। लेकिन यूरीन को अक्सर रोककर रखने वाले लोग इसे पता लगाने की अपनी क्षमता को खो देते हैं। जितना लंबे समय तक आप यूरीन को रोककर रखेगें, आपका ब्लैडर बैक्टीरियों को अधिक विकसित कर कई प्रकार के स्वास्थ्य जोखिम का कारण बन सकता है।
3-किडनी में स्टोन
यूूरिन को एक से दो घंटे रोकने के कारण महिलाओं व कामकाजी युवाओं में यूूरिन संबंधी दिक्कतें आती है। जिसमें शुरूआत ब्लेडर में दर्द होता है। साथ ही 8 से 10 घंटे बैठ कर काम करने वाले युवाओं को यूूरिन की जरूरत ही तब महसूस होती हैं, जबकि वह कार्य करने की स्थिति बदलते हैं। जबकि इस दौरान किडनी से यूरिनरी ब्लेडर में पेशाब इकठ्ठा होता रहता है। हर एक मिनट में दो एमएल यूूरिन ब्लेडर में पहुंचता है, जिसे प्रति एक से दो घंटे के बीच खाली कर देना चाहिए। ब्लेडर खाली करने में तीन से चार मिनट की देरी में पेशाब दोबारा किडनी में वापस जाने लगता है, इस स्थिति के बार-बार होने से पथरी की शुरूआत हो जाती है। क्योंकि पेशाब में यूरिया और अमिनो एसिड जैसे टॉक्सिक तत्व होते हैं।
4-यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन (यूटीआई)
कभी भी तेज आये यूरीन को रोके नहीं, जब भी यूरीन महसूस हो तुरंत जाएं वरना यूटीआई होने का खतरा बढ़ जाएगा। यूरीन रोकने के कारण यह संक्रमण फैलता है। यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी मूत्र मार्ग में संक्रमण महिलाओं को होने वाली बीमारी है, इसे यूटीआई नाम से भी जाना जाता है। मूत्र मार्ग संक्रमण जीवाणु जन्य संक्रमण है जिसमें मूत्र मार्ग का कोई भी भाग प्रभावित हो सकता है।
हालांकि मूत्र में तरह-तरह के द्रव होते हैं किंतु इसमें जीवाणु नहीं होते। यूटीआई से ग्रसित होने पर मूत्र में जीवाणु भी मौजूद होते हैं। जब मूत्राशय या गुर्दे में जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं और बढ़ने लगते हैं तो यह स्थिति आती है।
5-इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस
इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस एक दर्दनाक ब्लैडर सिंड्रोम है, जिसके कारण यूरीन भंडार यानी ब्लैडर में सूजन और दर्द हो सकता है। इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस से ग्रस्त लोगों में अन्य लोगों की तुलना में यूरीन बार-बार लेकिन कम मात्रा में आता है। अभी तक इसके सही कारणों की जानकारी नहीं मिल पायी हैं लेकिन डॉक्टरों का मानना हैं कि यह जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस के आम लक्षणों में दर्दनाक श्रोणि, बार-बार यूरीन महसूस होना और कुछ मामलों में ग्रस्त व्यक्ति एक दिन में 60 बार तक यूरीन जाता है। इस समस्या का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार से लक्षणों को कम किया जा सकता है।
6-किडनी फेलियर
किडनी फेलियर एक मेडिकल समस्या है जो किडनी के अचानक ब्लड से विषाक्त पदार्थों और अवशेषों के फिल्टर करने में असमर्थ होने के कारण होती है। यूरीन से संबंधित हर तरह के इंफेक्शन किडनी पर बुरा असर डालते हैं। बॉडी में यूरिया और क्रियटिनीन दोनों तत्व ज्यादा बढ़ने की वजह से यूरीन के साथ बॉडी से बाहर नहीं निकल पाते हैं, जिसके कारण ब्लड की मात्रा बढ़ने लगती है। भूख कम लगना, मितली व उल्टी आना, कमजोरी लगना, थकान होना सामान्य से कम पेशाब आना, ऊतकों में तरल पदार्थ रुकने से सूजन आना आदि इसके लक्षण है।
7- रंग बंदलना
बहुत अधिक देर यूरीन को रोकने से यूरीन का रंग भी बदलने लगता है। हालांकि ऐसा होने के पीछे सबसे अधिक संभावना संक्रमण की होती है। इसके अलावा बीट, बेरीज, जामुन, शतवारी जैसे कुछ खाद्य पदार्थ के कारण भी यूरीन का रंग प्रभावित होता है। विटामिन बी यूरीन के रंग को हरे और शलजम लाल रंग में बदल देता है।
8-ब्लैडर की मांसपेशियां कमजोर होना
दवाब के बाद भी यदि तीन से चार मिनट भी पेशाब को रोका गया तो यूरिन के टॉक्सिक तत्व किडनी में वापस चले जाते हैं, जिसे रिटेंशन ऑफ यूरिन कहते हैं। इसके अलावा यूरीन बार-बार रोकने से ब्लैडर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और यह यूरीन करने की क्षमता को भी कम करता है।