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आपके यूरिन का रंग भी काला होता है? जानना नहीं चाहेंगे इसका कारण
हम सभी जानते हैं कि पेशाब का रंग पीला, गहरा पीला, लाल या भूरा होता है लेकिन क्या आपको ये पता है कि पेशाब काले रंग का भी होता है।
पेशाब के बाकी सभी रंगों में से ब्लैक यूरिन सबसे गहरा होता है और इसके कई कारण हो सकते हैं। कुछ विशेष फूड खाने या दवा लेने से अस्थायी तौर पर यूरिन का रंग बदल जाता है और किसी स्वास्थ्य परिस्थिति की वजह से यूरिन का रंग काला हो सकता है। आज इस पोस्ट के ज़रिए हम आपको बताने जा रहे हैं ब्लैक यूरिन के कारण, जांच, ईलाज और बचाव के बारे में।
ब्लैक यूरिन को अल्काप्टोनूरिआ या ब्लैक बोन डिजीज भी कहते हैं जोकि एक आनुवांशिक मेटाबोलिक विकार है। इसका सबसे बड़ा लक्षण यही है कि इसमें यूरिन निकलने के कुछ समय बाद उसका रंग काला हो जाता है।
ब्लैक यूरिन के कारण
खाने, किसी बीमारी या दवा की वजह से पेशाब का रंग काला पड़ सकता है। आइए जानते हैं ब्लैक यूरिन के प्रमुख कारणों के बारे में :
खानपान संबंधित बदलाव
अगर किसी खाने की वजह से यूरिन का रंग बदला है तो चिंता करने की कोई बात नहीं है। कुछ समय बाद पेशाब का रंग वापिस से सामान्य हो जाएगा। अगर किसी फूड की वजह से ऐसा होता है तो आपको उस चीज़ का सेवन सीमित या कम मात्रा में कर देना चाहिए। हो सकता है कि उन चीज़ों में नैचुरल या आर्टिफिशियल डाई का इस्तेमाल किया गया हो जिससे यूरिन का रंग बदल गया।
दवाएं
अगर खाने की वजह से यूरिन का रंग नहीं बदला है तो हो सकता है कि इसके पीछे का कारण किसी दवा का सेवन करना हो। औषधीय कारण आपके द्वारा ली जा रही दवाओं पर निर्भर हो सकते हैं और अगर आप बहुत लंबे समय से बुहत ज्यादा दवाओं का सेवन कर रही हैं तो भी ऐसा हो सकता है। अगर दवाओं की वजह से आपके यूरिन का रंग बदल रहा है तो डॉक्टर से इस बारे में बात जरूर करें।
स्वास्थ्य समस्या
फूड और दवा की वजह से यूरिन का रंग काला पड़ रहा हो तो आपको ऐसे खाद्य पदार्थ और दवाओं का सेवन बंद या कम कर देना चाहिए। हालांकि, अगर वो भी वजह ना हों तो इसका कारण अल्काप्टोनुरिआ हो सकता है। ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
अल्काप्टोनुरिआ
ये एक दुर्लभ अनुवांशिक मेटाबोलिक विकार है जिसकी वजह से यूरिन का रंग काला हो जाता है। ये दोषपूर्ण जीन एचजीडी के कारण होता है। इसकी वजह से प्रोटीन बनाने में मदद करने वाले फिनाइलालानाइन और ट्राइरोसिन नामक अमिनो एसिड टूट जाते हैं। ऐसी हालत में, एचजीडी जीन में कुछ उत्परिवर्तनों के कारण, एंजाइम होमोजेनटिसेट 1, 2 डाईऑक्सीजिनेस की सामान्य कार्यप्रणाली बाधित होती है। परिणामस्वरूप होमोजेनटिसिक एसिड नामक मध्यवर्ती उत्पाद रक्त और टिश्यू में जमने लगता है। होमोजेनटिसिक एसिड और इसका ऑक्सीडाइज्ड रूप, अन्काप्टन यूरिन के ज़रिए बाहर निकलता है जिससे यूरिन का रंग काला हो जाता है।
ज़हर
ऐसा बहुत कम ही देखा जाता है कि जब ब्लैक यूरिन का कारण कुछ दवाओं या अल्कोहल का मिश्रण हो। ये ज़हर की तरह काम करता है। ये सीधा शरीर पर असर नहीं करता लेकिन शरीर को कुछ रसायनाओं को बनाने में बाधा उत्पन्न करता है।
ब्लैक यूरिन के लक्षण
ये समस्या युवाओं में ज्यादा देखी जाती है। हवा में बाहर निकलने पर उनके यूरिन का रंग काला हो जाता है। हालांकि, इसके कुछ लक्षण और संकेत भी होते हैं जो इस प्रकार हैं :
कान और आंखों के आसपास पिगमेंटेशन
एडल्ट्स को नितंबों, घुटनों और स्पाइन के जोड़ में दर्द महसूस होना
बोन मिनरल डेंसिटी पर असर पड़ना
कुछ लोगों की दिल की धड़कन भी अनियमित होने लगती है
अंगों में स्टोन बनना जैसे किडनी स्टोन, प्रोस्टेट स्टोन और सलाईवरी ग्लैंड स्टोन आदि।
ब्लैक यूरिन का कैसे चलता है पता
अगर हवा में जाने के बाद आपके यूरिन का रंग काला या गहरा भूरा होने लगता है तो डॉक्टर आपको कुछ जांच करवाने की कह सकते हैं। जीन में दोष की जांच के लिए ब्लड टेस्ट हो सकता है। उम्र से पहले ऑस्टियो अर्थराइटिस में भी जांच करवानी पड़ सकती है।
अगर ब्लैक यूरिन आता है तो यूरिन सैंपल लेकर भी इसकी जांच की जा सकती है। इसके लिए यूरिन में होमोजेटिसिक एसिड की मात्रा केा क्रोमाटोग्राफी द्वारा जांचने के लिए पेशाब को 24 घंटे के लिए रखा जाता है। इसके अलावा आंख या त्वचा में पिगमेंटेशन, जोड़ों में दर्द, ह्रदय समस्या आदि का ध्यान भी रखा जाता है।
क्या है ईलाज
इस रोग या समस्या का कोई साफ ईलाज नहीं है। लेकिन लो प्रोटीन डाइट और बताई गई विटामिन सी की हाई डोज़ से आपके कार्टिलेज में एचजीए के संचय को कम किया जा सकता है।
इसके अलावा ह्रदय रोग, अर्थराइटिस, किडनी स्टोन आदि का ईलाज भी दसके ईलाज में शामिल है। इनसे बचाव कर भी ब्लैक यूरिन से बचा जा सकता है।
शारीरिक और पेशेवर थेरेपी से भी जोड़ों और मांसपेशियों के लचीलेपन को बेहतर और मजबूत किया जा सकता है।
कुछ गंभीर मामलों में मरीज़ की हिप सर्जरी या हिप रिप्लेसमेंट या हार्ट के वॉल्व की र्सजरी भी की जाती है। इनमें ये अंग सही तरह से काम करना बंद कर देते हैं। कुछ मामलों में किडनी और प्रोस्टेट स्टोन निकालने के लिए भी सर्जरी की जाती है।
बीमारी से बचाव
अगर आप समय पर चेकअप नहीं करवाते हैं तो ये समस्या और गंभीर रूप ले सकती है। बच्चों और नवजातों में गहरे रंग का यूरिन आए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
अगर आपके परिवार में किसी को ये समस्या रही है तो प्रीनेटल टेस्ट के ज़रिए आप पहले ही इसका पता लगा सकते हैं।
आपको डॉक्टर रोज़ मॉनिटर करके स्पाइन एक्स रे, हार्ट वॉल्व को मॉनिक करके चेस्ट एक्स्रे या कोरोनरी हार्ट डिजीज़ के संकेतों को चैक करके जांच कर सकते हैं।
आमतौर पर स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित आहार और प्रोटीन का कम सेवन कर एवं नियमित व्यायाम से इस समस्या से बचा जा सकता है।