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स्त्रियों में प्रदर या लिकोरिआ रोग के प्राकृतिक उपचार
लिकोरिआक्या
है?
लिकोरिआ
वह
स्थिति
होती
है
जो
महिलाओं
में
योनि
के
क्षेत्र
को
प्रभावित
करती
है।
इसे
व्हाइट
भी
कहा
जाता
है
क्योंकि
इसमें
एक
सफ़ेद
रंग
का
स्त्राव
होता
है।
सामान्यत:
यह
श्वेत
स्त्राव
शरीर
के
अंदर
जाने
वाले
बैक्टीरिया
तथा
अन्य
सूक्ष्म
जीवों
को
बाहर
निकलने
का
काम
करता
है।
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सामान्यत: यह स्त्राव हल्का सफ़ेद या साफ रंग का और बद्बूराहित होता है परन्तु कभी कभी यह अलग रंग का भी होता है जो इसकी रचना पर निर्भर करता है।
यदि यह परतदार एपीथेलियम और बलगम से बना होता है तो इस स्त्राव का रंग नीला सफ़ेद होता है और यदि इसमें पस और बैक्टीरिया होता है तो इसका रंग पीला और हरा होता है।
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कुछ महिलाओं में यह स्त्राव कुछ बूंदों तक सीमित होता है जबकि कुछ में यह लगातार होता है। ये स्त्राव शरीर के आंतरिक भागों की रक्षा करते हैं तथा ज़रूरी नहीं कि ये नुकसानदायक हों।
ऐसा विश्वास है कि योनिशोथ का एक कारण शरीर में एस्ट्रोजन का असंतुलन होना है। संक्रमण की स्थिति में या यौन संचारित रोगों (एसटीडी) के कारण स्त्राव की मात्रा बहुत बढ़ जाती है।
योनि के संक्रमण में बैक्टीरिया संक्रमण, यीस्ट संक्रमण और फंगस संक्रमण आते हैं। महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान भी योनिशोथ देखा गया है।
भिंडी:
भिंडी में कई उपयोगी खनिज पाए जाते हैं जो योनिशोथ में लाभकारी होते हैं। 100 ग्राम भिंडी लें तथा उसमें एक लीटर पानी मिलाएं। इसे कम से कम 20 मिनिट तक उबालकर उसका अर्क बनायें। ठंडा होने के बाद इसमें मीठा मिलाएं तथा इसे प्रतिदिन जितना अधिक संभव हो पीयें। ऐसा तब तक करें जब तक लक्षण दूर न हो जाएँ।
आम की गुठली:
आम की गुठली को सुखाकर, पीसकर उसका चूर्ण बनायें। योनिशोथ के उपचार के लिए इस चूर्ण में थोडा पानी मिलाकर एक पेस्ट बनायें। योनि के बाहरी तथा आंतरिक भाग में इस पेस्ट को लगायें।
मेथी के दाने:
ठंडे पानी में मेथी के दाने मिलाएं तथा धीमी आंच पर इसे लगभग 30 मिनिट तक उबालें। इसे छानें तथा इसका उपयोग योनि को धोने के लिए करें। चाय में मेथी के दाने डालकर उसे पीने से भी बहुत आराम मिलता है।
अमरुद की पत्तियां:
अमरुद के पत्तियों को पानी में भिगोयें तथा 30 मिनिट तक धीमी आंच पर उबालें। इसे छान लें तथा इस पानी का छिडकाव योनि के क्षेत्र में करें जब तक लक्षण गायब न हो जाएँ।
धनिया के बीज (हरा धना):
योनिशोथ की समस्या में धनिये के बीज बहुत लाभकारी होते हैं। इन्हें रात भर पानी में भिगोकर रखें। सुबह इस पानी को छान लें तथा खाली पेट इसे पीयें। अच्छे परिणामों के लिए कम से कम एक सप्ताह तक ऐसा करें।
अखरोट की पत्तियां:
अखरोट की पत्तियों में स्तंभक गुण होता है जो संक्रमण को ठीक करने और योनिशोथ के उपचार में सहायक होता है। अखरोट की पत्तियों को पानी में डुबाकर रखनें और लगभग 20 मिनिट तक उबालने से जो अर्क बनता है उसका उपयोग गुप्तांगों को धोने के लिए करें। अच्छा और शीघ्र आराम प्राप्त करने के लिए दिन में कम से कम तीन बार ऐसा करें।
चांवल का पानी:
चांवल धो लें तथा उसमें से पानी निकाल लें। पीने से पहले इस पानी में शहद या शक्कर मिलाकर इसे मीठा कर लें। खुजली होने पर और चक्कर आने पर यह एक उत्तम घरेलू उपचार है।
सुपारी:
योनिशोथ के उपचार में सुपारी बहुत प्रभावकारी होती है। खाना खाने के बाद कुछ सुपारी खाएं। यह भविष्य में होने वाले योनिशोथ की रोकथाम में भी सहायक होती है। कुछ सुपारी लें तथा उसमें गुलाब की कुछ पंखुड़ियां मिलाकर इन्हें मसलें। इसमें थोड़ी शक्कर मिलाएं। इसे पी लें या इससे अपने गुप्तांगों को धोएं।
चंदन का तेल:
दिन में दो बार चंदन के तेल की कुछ बूंदों का सेवन करें।
अमलाकी पावडर:
थोडा अमलाकी पावडर लें तथा इसमें शहद या शक्कर मिलाएं। इसे एक गिलास पानी में मिलाएं और पी लें। इसे दूध में भी मिलाया जा सकता है या इसका पेस्ट बनाकर इसे योनि में भी लगाया जा सकता है। .
हल्दी और लहसुन:
हल्दी को लहसुन के साथ मिलकर खाएं। यह उस स्थिति में बहुत लाभकारी होता है जब स्त्राव बहुत अधिक गाढ़ा और खुजली वाला होता है।
केला:
पका हुआ या बहुत अधिक पका हुआ केला योनिशोथ के उपचार में बहुत अधिक लाभकारी होता है। एक केला लें तथा इसमें घी मिलाएं। अच्छे परिणामों के लिए दिन में कम से कम दो बार लें।
जीरा:
कुछ जीरे पीस लें तथा इसे शहद के साथ मिलाकर योनि में लगायें। जीरे के साथ बनाया गया कोई भी मिश्रण योनिशोथ के उपचार में सहायक होता है
शतावरी:
शतावरी और अश्वगंधा को मिलाकर उबालें। प्रभावी रूप से उपचार के लिए इसे पीयें।