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नर्मदा जयंती पर जानें इस नदी से जुड़ी खास बातें

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भारत में नर्मदा जयंती के पर्व की काफी अहमियत है। हिंदुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस त्योहार के जरिये नर्मदा नदी को पूजा जाता है। इस दिन अमरकंटक में इसके लिए खास आयोजन किये जाते हैं क्योंकि यही नर्मदा माता का उत्पत्ति स्थान था।

narmada jayanti 2019: date, katha and significance

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मां नर्मदा का जन्म हुआ था। इस बार नर्मदा जयंती 12 फरवरी, मंगलवार को मनाई जाएगी। रामायण से लकर महाभारत तथा अन्य धर्म ग्रंथों में नर्मदा नदी का वर्णन मिलता है।

कैसे हुई मां नर्मदा की उत्पत्ति

कैसे हुई मां नर्मदा की उत्पत्ति

एक बार भगवान शिव तपस्या करने के लिए मैकाल पर्वत पहुंचे, जो अब छत्तीसगढ़ में है। तप के दौरान उनके पसीने की बूंदों से इस पर्वत पर कुंड तैयार हो गया। इसी कुंड में एक बालिका का जन्म हुआ। भोलेनाथ के आदेश के अनुसार वह बालिका जिसे हम नर्मदा नदी के नाम से जानते हैं, देश के एक बड़े हिस्से में प्रवाहित होने लगी। ये रव (आवाज) करते हुए बहने लगी और इसलिए ये रेवा के नाम से भी मशहूर हुई। मैकाल पर्वत से निकलने के कारण इसका नाम मैकाल सुता भी रखा गया।

एक और कथा भी है प्रचलित

एक और कथा भी है प्रचलित

चंद्र वंश के एक राजा थे हिरण्यतेज, उन्हें पितरों का तर्पण करने के दौरान एहसास हुआ कि उनके पूर्वज अतृप्त हैं। तब उन्हें भगवान शिव की आराधना करने का निर्णय लिया। उनकी तपस्या के फलस्वरूप वरदान के तौर पर नर्मदा पृथ्वी पर अवतरित हुईं। भगवान शिव ने लोक कल्याण के लिए धरती पर आयी नर्मदा को ये आशीर्वाद दिया कि उनके दर्शन से ही मनुष्य को पुण्य मिलेगा। इस वजह से नर्मदा जयंती का दिन काफी खास माना जाता है।

धर्म ग्रंथों में है नर्मदा नदी का वर्णन

धर्म ग्रंथों में है नर्मदा नदी का वर्णन

धर्म ग्रंथों की मानें तो नर्मदा नदी प्रलय के दौरान भी शांत रहती है और इसके दर्शन भर से ही लोगों का उद्धार हो जाता है। ये देश की पांच बड़ी और सात पवित्र नदियों की सूची में शामिल है। गंगा, यमुना, सरस्वती के समान नर्मदा की महत्ता भी है। महर्षि मार्कण्डेय के अनुसार तो नर्मदा के कण कण में भगवान शिव हैं। इसमें स्नान, जल को छू लेने या फिर केवल दर्शन मात्र से ही पुण्य मिलता है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है इसके तट पर स्थित

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है इसके तट पर स्थित

ओंकारेश्वर नर्मदा के तट पर ही स्थित है जो 12 ज्योर्तिर्लिंगों में से एक है। इसके अलावा भी कई तीर्थ हैं जो इस नदी के तट पर स्थित हैं भृगुक्षेत्र, शंखोद्वार, कोटीश्वर, ब्रह्मतीर्थ, भास्करतीर्थ आदि।

English summary

narmada jayanti 2019: date, katha and significance

Amarkantak in Madhya Pradesh, the origin of river Narmada, is a popular place to observe Narmada Jayanti.
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