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आखिर ऐसा क्या हुआ जिसके चलते राम ने ली सीता की अग्निपरीक्षा
भारतीय समाज में सीता को परम पवित्र और आदर्श नारी का दर्जा प्राप्त है। लेकिन समाज में यह धारणा भी प्रचलित है कि माता सीता को भगवान राम ने समाज द्वारा सवाल उठाए जाने पर अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए छोड़
दो वर्ष रावण के पास रहने के कारण सीता के प्रति समाज के एक वर्ग में संदेह उत्पन्न हो चला था। लोगों को विश्वास नहीं हुआ कि मां सीता पहले की तरह ही पवित्र और सती है।
भारतीय समाज में सीता को परम पवित्र और आदर्श नारी का दर्जा प्राप्त है। लेकिन समाज में यह धारणा भी प्रचलित है कि माता सीता को भगवान राम ने समाज द्वारा सवाल उठाए जाने पर अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए छोड़ दिया था।
राम पर यह आरोप कहां तक उचित है। क्या सचमुच राम ने सीता को छोड़ दिया था या नहीं, आइये इसे जाने की कोशिश करते हैं और सच का पता लगते हैं।
वाल्मीकि रामायण
वाल्मिकी द्वारा लिखी गयी रामायण काव्य श्लोक के रूप में है। जिसमें श्री राम के जन्म से लेकर मृत्यु तक की कहानी कही गयी है। ऐसा कहा जाता है कि सीता ने अपने वनवास के दौरान वाल्मीकि को रामायण सुनाई थी।
भगवान राम के जीवन की घटनाएं
रामायण सबसे पहले संस्कृत में लिखी गयी थी बाद में इसे हिंदी और अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया, जिससे त्रेता युग के आदर्श मूल्यों और नैतिकता की सीख पूरे मानव जाति सुनाई जा सके। यही नहीं रामायण ही एकमात्र शास्त्र नहीं है जो भगवान राम के जीवन की घटनाओं का उल्लेख करती है। बल्कि ऐसी ही बहुत सी कथाएं और लोकगीत हैं जिसमें भगवान राम और अयोध्या के बारे में बताया गया है।
पद्म पुराण
ऐसा ही एक ग्रंथ है पद्म पुराण, जिसमें लगभग 55,000 छंद हैं। और जिसमें कुछ ऐसी घटनाओं का उल्लेख है जो असल में रामायण में घटित हुई थी। जैसे सीता का अपहरण और उसके बाद की कहानियों का गहराई से विश्लेषण।
सीता की अग्नि परीक्षा
पद्म पुराण के कुछ कहानियों को आपस में जोड़ा जाए तो यह देखने को मिलता है कि रामायण में दो सीता थी पहली असली और दूसरी माया।
सीता का अपहरण
हम सब यह जानते हैं कि कैसे धोके से लंका के राजा रावण ने ऋषि मुनि का वेश बना कर सीता का अपहरण किया था। और अशोक वातिका में रखा था। और कैसे श्री राम ने रावण को मार कर सीता को बचाया था।
जब राम ने सीता को अपनी पवित्रता साबित करने के लिए कहा
सीता के अग्निपरीक्षा देने बाद, यह साबित हो गया था कि सीता पवित्र और वफादार हैं। लेकिन फिर भी आज तक स्पष्ट नहीं हो सका कि आखिर क्यों सीता को अयोध्या छोड़ना पता था।
सीता की अग्नि परीक्षा और उनके परित्याग का कोई तथ्य नहीं है
अगर पद्म पुराण की कहानियों की माने तो सीता को कोई अग्नि परीक्षा नहीं देनी पड़ी थी और ना ही उन्हें वनवास जाना पड़ा था। बल्कि भगवान राम को माया सीता के बारे में पता था।
सीता अग्नि देव की पूजा करती थी
त्रेता युग में यह माना जाता था कि अगर कोई व्यक्ति सच्चा है तो उसे अग्नि कोई नुक्सान नहीं पहुचायेगी। इसीलिए जब रावण ने भेस बदल कर सीता का अपहरण किया तो सीता यह जानती थी कि राम और लक्ष्मण उन्हें बचने आएंगे और रावण यह नहीं जानता था कि सीता देवी लक्ष्मी की अवतार हैं। इसीलिए वे अग्नि देव की पूजा करती थी।
अग्निदेव ने असली सीता को छुपा लिया था
अग्निदेव की पूजा करने के कारण सीता की भक्ति से प्रसन हो कर अग्नि देव ने सीता की जगह उनकी माया सीता को रखा जिसे रावण अपने साथ अपहरण करके लंका लगाया था।
भगवान राम का निर्णय
भगवान राम, विष्णु के अवतार थे और इस बात को जानते थे। लेकिन फिर भी उन्होंने रावण से युद्ध किया क्योंकि उन्हें धर्म की स्थापना करनी थी और रावण को उसके पिछले किये गए पापों से मुक्त करना था।
अग्नि परिक्षा
ऐसा कहा जाता है कि जब सीता को भगवान राम ने रावण से बचाया था उसके बाद उन्होंने माया सीता से विनति कि वो वापस चली जाएँ और असली सीता वापस आ जायें। इसीलिए अग्निपरीक्षा के दौरान असली सीता बाहर आयी जिन्हे रावण छू भी नहीं पाया था।
माया सीता के अन्य उल्लेख
माता सीता के संदर्भ में कई अन्य उल्लेख ब्रह्मवार्ता पुराण और अन्य पुराणों में मिलते हैं।