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जानिये हम क्‍यूं चढ़ाते हैं सूर्य देवता को जल

By Super
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हमारे माता- पिता और दादा -दादी हमें बचपन से सिखाते आये है की सुबह जल्दी उठो और सूर्य को जल चढ़ाओ| ऐसे समाज में जहाँ हम संस्कारों, विश्वाशों और मान्यताओं को मानते हैं वहीँ या जानना जरूरी है कि सूर्य को जल चढ़ाना वाकई में लाभप्रद है या एक झूठी मान्यता है|

अनेकों शोधकर्ताओं ने लोटे से सूर्य को जल चढ़ाने के वैज्ञानिक कारण बताये हैं | जब हम दोनों हाथ सूर्य की ओर ऊपर करके लोटे से जल प्रवाहित करते हैं तो लोटे से बहुत हल्की धार नीचे आती है और हम सूर्य की तेज किरणों के कारण उसकी तरफ नहीं देख सकते हैं| जब कि हमारे पूर्वज प्रातः काल की बेला में जब सूर्य उदय होता है तो बड़े किनारों वाले बर्तन से सूर्य को जल चढ़ाते थे| कुछ धर्मों में क्‍यूं वर्जित है प्‍याज, लहसुन और मदिरा का सेवन

जब वे सूर्य की ओर जल चढ़ाते थे तो गिरते हुए पानी में आँखों के सामने सूर्य की परछाई दिखाई देती थी इससे हमारे पूर्वज ओर साधू संत सूर्य के दर्शन कर लिया करते थे| इससे सूर्य की किरणें बहते पाने से फिल्टर होकर आती थी जो कि ना केवल आखों के लिए अच्छा है बल्कि इससे हमारे पूर्वजों को शरीर और आत्मा में नई ऊर्जा का संचार होता था|

 Significance of offering water to SUN

वैज्ञानिकों के अनुसार सुबह के समय सूर्य की किरणे मनुष्य के लिए लाभकारी है क्यों कि हमारा शरीर ऊर्जा से बना है और एक प्रकाश पुंज की भांति है| मनुष्य का शरीर हवा (वायु), पानी (जल), धरती (पृथ्वी), अग्नि (एनर्जी) और अंतरिक्ष (आकाश) से मिलकर बना है इसलिए शरीर की बिमरियों का ईलाज इन पांच तत्वों में निहित है और उगते हुए सूर्य की किरणें इनमे से एक हैं| सूर्य की किरणों में बहुत सी बिमारियों का ईलाज संभव है जैसे कि हार्ट की बीमारियां, आँख, पीलिया, कुष्ठ और कमजोर दिमाग से सम्बंधित बीमारियां| हिंदू क्‍यूं नहीं खाते गोमांस

ऋग्वेद में कहा गया है कि सूर्य हमें जगाता है| इसी के कारण हम एक्टिव रहते हैं और काम कर पाते हैं| सारा चराचर जगत सूर्य पर निर्भर है| सूर्य शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कमजोरियों को हटाकर हमें स्वस्थता और लम्बी उम्र प्रदान करता है| सूर्य के सात रंग स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं| यदि व्यक्ति सुबह नहा-धोकर पूजा अर्चना करे और इसके बाद सन- बाथ ले यानि सूर्य की किरणों को अपने ऊपर आने दे तो इससे शरीर को रोगमुक्त रखा जा सकता है और बुद्धिमता भी बढ़ाई जा सकती है|

दूसरी तरफ कुछ लोगों की मान्यताएं हैं कि सूर्य प्यासा नहीं है और क्या इस तरह हमारा जल सूर्य तक पहुँचता है? इसको सिद्ध करने के लिए एक संत ने गंगा के किनारे पानी को निकलने के लिए 2-3 फ़ीट का एक रास्ता बना दिया| जब लोगों ने पुछा कि वह गंगा के पवित्र पानी को ख़राब क्यों कर रहा है तो संत ने कहा कि उसने पानी को अपने खेतों की और मोड़ा है|

अन्य संतों ने क्रोधित होकर कहा कि पानी ऐसे उसके खेतों तक कैसे जा सकता है तो संत ने मुस्कुराते हुए कहा कि तो क्या तुम्हारे द्वारा सूर्य को चढ़ाया हुआ जल क्या उस तक पहुँचता है? फिर भी 'अर्घ्य' के बारें में हम कौनसी मान्यता को मानें? और दो दार्शनिकों में मतभेद बरक़रार रहता है|

English summary

Significance of offering water to SUN

In the society where we have been dealing with rituals, faith and belief does it actually help us in offering water to Sun. or its just another myth.
Story first published: Tuesday, September 23, 2014, 10:11 [IST]
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