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क्यूं मनाई जाती है विजय दशमी ? इन कहानियों के बारे में नहीं जानते होंगे आप...

By Salman Khan
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नवरात्रि के दसवें दिन विजय दशमी का त्योहार धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाता है। विजय दशमी का त्योहार कई राज्यों मे अलग-अलग नामों से भी प्रसिद्ध है।

नवरात्रि में दुर्गा पूजा का कोलकाता में बहुत महत्व है वहां पर दुर्गा पूजा का नजारा अलग ही रहता है। जिस तरह से मुंबई में गणेश उत्सव की धूम होती है इसी तरह से कोलकाता भी अपनी दुर्गा पूजा के लिए जाना जाता है।

इसके अलावा पूर्वी भारत और पंश्चिम बंगाल में भी इसकी धूम रहती है।

कब मनाई जाती है विजय दशमी

कब मनाई जाती है विजय दशमी

विजय दशमी का त्योहार दुर्गा पूजा के आखिरी दिन मनाया जाता है। हिंदी कैलेडर के अनुसार ये अश्विन महीने के दसमी होती है। इस साल 2017 में विजय दशमी का त्योहार 30 सितंबर दिन शनिवार को मनाया जाएगा।

इस साल विजय मुहूर्त 14.14 से 15.02 से शुरू होगा और 47 मिनट तक रहेगा। आइए हम ये भी जानते हैं कि आखिर विजय दशमी क्यूं मनाई जाती है और इसके पीछे कौन सी कहानियां छिपी हुई है..................

दानव महिषासुर का वध

दानव महिषासुर का वध

दानव महिषासुर से जुड़ी ये प्रसिद्ध कहानी है कि वो हमेशा जंगली भैंसे के रुप में प्रकट होता था। महिषासुर को ऐसा वरदान प्राप्त था की उसे कोई भी पराजित ना कर सके।

महिषासुर ने इस वरदान का फायदा उठाकर तीनों लोकों में तबाही मचानी शुरु कर दी। इससे भयभीत होकर लोग मां दुर्गा के पास गए और महिषासुर के आतंक से मुक्त करने की प्रार्थना की। मां दुर्गा महिषासुर के सामने शेर पर सवार होकर प्रकट हुई और विजय दशमी वाले दिन महिषासुर का वध किया।

राम ने रावण का वध किया

राम ने रावण का वध किया

ऐसा माना जाता है कि आज के दिन ही राम ने रावण को मारकर माता सीता को उसके चंगुल से निकाला था। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए भी मनाया जाता है।

पांडवो का अज्ञातवास खत्म हुआ था

पांडवो का अज्ञातवास खत्म हुआ था

विजय दशमी से जुड़ी हुई एक और कथा है। कौरवों ने पाशे के खेल में पांडवों का सबकुछ जीतकर उनको 12 साल का अज्ञातवास मांगा था। और आज के दिन ही 12 साल से जंगलों में भटक रहे पांडवो का अज्ञातवास पूरा हुआ था। विजय दशमी वाले दिन वो घर लौटकर आए थे।

भगवान शिव और देवी दुर्गा का पुनर्मिलन

भगवान शिव और देवी दुर्गा का पुनर्मिलन

ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने महिषासुर को मारने के लिए दुर्गा का रूप लिया था और उसको खत्म करने के बाद लोंगों ने उनकी 9 दिन तक पूजा की थी। दसवे दिन जब लोग उनको पानी में विसर्जित कर देते हैं, तब माता सीता अपने पति परमेश्वर शिव जी से मिलती हैं।

English summary

The Stories Of Vijaya Dashami

The festival of Vijay Dashmi is celebrated on the tenth day of Navratri with great fanfare throughout the country. The festival of Vijay Dashmi is famous in many states by different names.do you know the stories of vijaya dashami
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