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इन वजहों से बच्‍चें झूठ बोलने के लिए हो जाते है मजबूर

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जैसे जैसे बच्‍चें किशोरावस्‍था में कदम रखते है, पैरेंट्स को उनके साथ फ्रेंडली बिहेव करना चाहिए, क्‍योंकि ये उम्र बहुत ही सेंसेटिव होती है, इस उम्र में ही बच्‍चें खुलने लगते है या डरने लगते है। इस उम्र की नाजकुता को समझते हुए पैरेंट्स को चाहिए कि वो बच्‍चों के साथ फ्रैंडली रिश्‍ता कायम करें। क्‍योंकि ये ही वो उम्र है जब बच्‍चें अक्‍सर झूठ बोलना शुरु करते हैं। ये झूठ शुरु में बोलना तो ठीक है लेकिन बाद में धीरे धीरे यह उनकी आदत बन जाती है जो ताउम्र उनके साथ रहती है।

क्या आपने कभी सोचा कि बच्चे आखिर ऐसा क्यों करते हैं? आइए जानते हैं वो क्या कारण हैं जिनसे बच्चे झूठ बोलने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इस झूठ बोलने की आदत के पीछे काफी हद तक पैरेंट्स भी जिम्‍मेदार होते है। जानिए कैसे?

 बंदिशों के कारण

बंदिशों के कारण

कई पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ जरूरत से ज्यादा रोक-टोक करते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि अगर वो ऐसा नहीं करेंगे तो उनके बच्चे हाथ से निकल जाएंगे और गलत संगत में पड़ जाएंगे। जबकि ऐसा नहीं है। पैरेंट्स को बच्‍चों को रोकने टोकने की जगह अपनी प‍रवरिश में ध्‍यान देना चाहिए, उन्‍हें अच्‍छे और बुरे में फर्क करवाना सीखाना चाहिए। पेरेंट्स का बच्चों के साथ बात-बात पर रोक-टोक करना उन्हें झूठ बोलने के लिए मजबूर करता है।

शक की नजरिए से देखना

शक की नजरिए से देखना

आज का समय पहले की तरह नहीं रहा, आजकल बच्‍चों की प्राइवेसी भी बहुत जरुरी है। पैरेंट्स को समझना चाहिए कि कि आपके और बच्चों के समय में बहुत अंतर है। अगर वो गलत नहीं है तब भी उन्हें अपनी बात किसी के साथ शेयर करना या सफाई देना अच्छा नहीं लगता है। लेकिन कई पेरेंट्स इस बात को समझने के बजाय अपने बच्चों की छोटी-छोटी बातों पर शक करते हैं। कई पैरेंट्स तो अपने बच्‍चों के सोशल मीडिया पर भी नजर रखे हुए रहते है। इस शक करने की आदत से बचने के लिए भी बच्‍चें झूठ बोलते है।

 गृह क्‍लेश के कारण

गृह क्‍लेश के कारण

कई माता-पिता ऐसे भी होते हैं जो छोटी-छोटी बातों पर आपस में लड़ते रहते हैं। जैसे उदाहरण के लिए बच्चा अपने बड़ों को किसी टूटे हुए बर्तन या कहीं बाहर जाने के लिए झगड़ा करता हुआ देखता है तो उसके मन में एक अलग तरह का डर बैठ जाता है। बच्चा सोचता है कि अगर उसने सच बोला या बीच में कुछ बोला तो उसकी पिटाई हो जाएगी। ऐसे में बच्चा अकेले रहना और झूठ बोलना ही पसंद करता है।

बच्‍चें पर विश्‍वास करें

बच्‍चें पर विश्‍वास करें

कई पेरेंट्स ऐसे होते हैं जो बच्चों की बात के बजाय बाहर वालों की बातों पर विश्वास करते हैं। जबकि पेरेंट्स को सिर्फ अपने बच्चे पर विश्वास करना चाहिए। अगर आपका बच्चा झूठ भी बोल रहा है तब भी आप उसके सामने ऐसे व्यक्त करो कि आप उसकी बात से बिल्कुल सहमत है। जब आप 1-2 बार ऐसा करेंगे तो आपके बच्चे को खुद ही अहसास होगा कि वो गलत कर रहा है और उसे आपसे सच ही बोलना चाहिए।

 पढ़ाई का दबाव

पढ़ाई का दबाव

हर पैरेंट्स आज के समय में अपने बच्‍चों की पढ़ाई को लेकर काफी कॉन्शियस रहते है। पढ़ाई के लिए बच्‍चों को अवेयर करना तो बिल्‍कुल सही है। लेकिन प्रेशर बनाना काफी हद तक बच्‍चों के मानसिक स्थिति के लिए सही नहीं है।

पेरेंट्स को ये समझने की सख्त जरूरत है कि अब वह वक्त नहीं है जब सिर्फ पढ़ाई के दम पर ही कामयाब हो सकते हैं। पढ़ाई के अलावा वो बच्‍चों की क्रिएटिविटी पर भी ध्‍यान दें। बच्‍चों की रूचि के हिसाब से उसी चीज में उसे प्रोत्साहित करें। फिर देखिए आपका बच्चा कैसे दोस्त की तरह आपको अपने दिल की छोटी-छोटी बात बताएगा और अपने जीवन में सफल होकर दिखाएगा।

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English summary

five common reasons that kids tell lies to parents

A hard fact that parents face is the realization that their children are going to lie. the first time a child comes up with a "real whopper," it can take a parent by surprise.
Story first published: Saturday, November 18, 2017, 13:37 [IST]
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