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प्रसव पीड़ा के दौरान महिला से न कहें ये 5 बातें

By Super
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गर्भावस्‍था के दौरान लेबर आखिरी और सबसे अहम चरण होता है जिसके बाद ही औरत बच्‍चे को जन्‍म दे पाती है और हम सभी जानते है कि इस दौरान महिला को काफी दर्द से गुजरना पड़ता है जिसे प्रसव पीड़ा के नाम से जाना जाता है। लेबर होने की पूरी प्रकिया में डिबीलेटिंग, डिस्‍टेशिंग और ओवरहेल्‍मिंग होती है।

इस दौरान महिला को कई प्रकार की थेरपी या दवाएं भी डॉक्‍टर्स के दी जाती हैं, एक्‍यूप्रेशर, बैकमसाज, एपीड्यूरल आदि भी गर्भवती महिला को दिया जाता है - ताकि जल्‍दी से वह बच्‍चे को जन्‍म दे सकें। लेबर रूम में महिला को हमेशा हिम्‍मत दिलाने की जरूरत होती है न कि उसे ज्‍यादा तनाव देने की। प्रेग्‍नेंसी के दौरान ब्‍लीडिंग और डिस्‍चार्ज की प्रॉब्लम

कई बार महिला से बेवकूफी में कही जाने वाली बातें उसके दिमाग पर बुरा असर डाल देती है, जिससे लेबर पेन के दौरान उसे ज्‍यादा झेलना पड़ता है। कई बार महिला को सर्पोट देने वाली बात न कहकर अटेंडेंट भी मुश्किल में पड़ जाते है। इस आर्टिकल में 5 ऐसी बातें बताई जा रही है जिन्‍हे आप लेबर रूम में गर्भवती महिला से न कहें और उसे हिम्‍मत और हौसला दें कि वह एक स्‍वस्‍थ बच्‍चे को जन्‍म देकर स्‍वयं भी स्‍वस्‍थ बनी रहें।

 1) तुम्‍हारी गर्भाशय ग्रीवा अभी नहीं खुली है :

1) तुम्‍हारी गर्भाशय ग्रीवा अभी नहीं खुली है :

अगर आपको ये बात पता है कि लेबर पेन में गर्भाशय ग्रीवा खुलने के बाद ही बच्‍चे का जन्‍म होता है, अगर महिला के साथ अभी तक ऐसा नहीं हुआ है और आप इस बात को जानते है तो यह बात सिर्फ अपने तक ही सीमित रखें। एक गर्भवती महिला जानती है कि प्रसव पीड़ा शुरू होने के 4 से 24 घंटे के बीच ऐसा हो सकता है ( हम यहां मज़ाक नहीं कर रहे हैं)। प्रसव पीड़ा के दौरान उसे बताएं कि उसकी गर्भाशय ग्रीवा उसके धैर्य की परीक्षा ले रहा है, इस तरह उसके सीधे-सीधे न कहें और तनाव के स्‍तर को कम रखें, क्‍योंकि गर्भवती महिला के लिए तनाव होना अच्‍छी बात नहीं है, इससे मां और बच्‍चे को खतरा हो सकता है।

उसकी मदद कैसे करें : उसे धैर्य रखने का कहें। उसके सिर और कंधों को हल्‍के हाथों से मसाज करें, तनाव दूर करने की कोशिश करें, पॉजिटिव माहौल बनाएं।

2) अपनी एनर्जी को एक्टिव फेज के लिए बचाकर रखों :

2) अपनी एनर्जी को एक्टिव फेज के लिए बचाकर रखों :

प्रसव पीड़ा के दौरान महिला का चिल्‍लाना, रोना और कोई सामान फेंक देना सामान्‍य बात है। अगर आप इन सभी नखरों को झेलने की क्षमता नहीं रखते है तो आप लेबर रूम में गर्भवती महिला के पार्टनर न बनें। किसी भी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के दौरान यह सुनने की इच्‍छा नहीं होती है कि वह किस फेज में है और कितनी देर में बच्‍चे को जन्‍म दे सकती है, वह सिर्फ दर्द से परेशान होती है। इसलिए उसे पल-पल की खबर देना बंद करें और हिम्‍मत बधाएं।

कैसे मदद करें : उसके नखरे को सहन करें। उसके दर्द को समझने की कोशिश करें। कुछ महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान खुद को छूना या सहलाना पसंद नहीं आता है तो उन्‍हे न ही छुएं और न ही सहलाएं।

3) दर्द होना सही है :

3) दर्द होना सही है :

किसी भी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के दौरान सबसे ज्‍यादा तकलीफ दर्द से ही होती है, ऐसे में उसे यह कहना कि दर्द होना अच्‍छा है, गलत होगा। आप उसे ढांढस बधाएं, सही समय पर सही बात करें। प्रार्थना करें और उसकी सोच को सकारात्‍मक रखें। उसे दर्द की व्‍याख्‍या करके परेशान न करें।

कैसे मदद करें : उसके साथ दर्द को लेकर कोई बात न करें। आप जितना उससे दर्द के बारे में बात करेंगे, वह उतनी ही परेशान होगी। अपनी बातचीत को खुशनुमा बनाएं और आने वाले बच्‍चे के बारे में बात करें।

4) तुम बच्‍चे को डिस्‍ट्रेस कर रही हों :

4) तुम बच्‍चे को डिस्‍ट्रेस कर रही हों :

इस बात को हरगिज न कहें। आप नहीं जानते या जानती है कि गर्भावस्‍था के दौरान उसे बच्‍चे को कोख में रखने में किन-किन दिक्‍कतों का सामना करना पड़ा। ऐसे में महिला को ऐसा बोलना कि तुम बच्‍चे को अंदर परेशान कर रही हो, गलत होगा, न भूलें कि इस दर्द से उसे ज्‍यादा तकलीफ होती है।

कैसे मदद करें : अगर आप महिला को पैम्‍पर करके परेशान हो चुके है तो भी उनका साथ न छोड़ें, क्‍योंकि वो अभी तक संघर्ष कर रही है। उनके साथ रहिए और उन्‍हे मानसिक रूप से दिलासा दीजिए।

5) पुश करो और ज्‍यादा पुश करो :

5) पुश करो और ज्‍यादा पुश करो :

कई बार बिना सहानुभूति रखने वाले डॉक्‍टर और अटेंडेंट ऐसी बात कहते है कि और जोर लगाओ। ये बात डॉक्‍टर को महिला से बड़े प्‍यार से कहनी चाहिये। ये सबसे अच्‍छा और सरल तरीका होता है जिससे बच्‍चा आसानी से बाहर आ जाता है। लेकिन डॉक्‍टर के रूम में न होने पर जबरन ऐसा कतई न कहें।

कैसे मदद करें : डॉक्‍टर से बहस न करें। कोई जर्बदस्‍ती न करें। महिला को प्‍यार से हर बात बताएं। उसे गहरी सांस लेने को कहें और उसके साथ रहें। बच्‍चा होने पर उसे सबसे पहले बताएं कि उसने इस दुनिया में नन्‍हे फरिश्‍ते को जन्‍म दिया है।

Story first published: Friday, April 4, 2014, 17:46 [IST]
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