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जानिए, क्यूं प्रेगनेंसी के दौरान बदलता है निप्पल का रंग?
ये तो आपको मालूम होगा कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को शरीर में कई बदलाव देखने को मिलते हैं, इस दौरान हार्मोन के उतार चढ़ाव के कारण महिलाओं को कई परिवर्तन के दौर से गुजरना पड़ता है।
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महिलाओं को मालूम होगा कि प्रेगनेंसी के दौरान आपकी ब्रेस्ट का साइज़ बदलता है। लेकिन क्या आपको ये मालूम है कि इस दौरान निप्पल का रंग भी बदलता है? प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में काफी बदलाव होते हैं, इसी में एक बदलाव ये भी है कि आपके निप्पल का रंग डार्क हो जाता है।
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हालांकि इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं है। प्रेगनेंसी के दौरान डार्क निप्पल होना एक आम बात है। आइए जानते है कि आखिर क्यूं प्रेग्नेंसी के दौरान निपल्स का रंग गहरा हो जाता है और क्या इससे डरने की जरुरत है।
मेलेनिन की वजह से
प्रेग्नेंसी हार्मोन के कारण शरीर में ज्यादा मेलेनिन बनने लगता है। ये एक प्रकार का पिगनेंट है जिसकी वजह से स्किन के रंग में बदलाव आता है। ज्यादा मिलेनिन से स्किन डार्क होने लगती है, खासतौर पर स्किन के वो हिस्से जिनपर पहले से ही ज्यादा पिगमेंट होता है, जैसे कि निप्पल के आसपास का स्थान। प्रेगनेंसी के आखिरी दिनों में ब्रेस्ट के साइज़ के साथ-साथ निप्पल का साइज़ भी बढ़ता है क्योंकि वो खुद को ब्रेस्टफीडिंग के लिए तैयार कर रहे होते हैं। आप निप्पल पर छोटे-छोटे दाने जैसे महसूस कर सकती हैं क्योंकि इस वक्त छोटे सेबेशियस ग्लैंड (sebaceous gland) बढ़ने लगते हैं। ये ग्लैंड निप्पल को ड्राई होने से बचाते हैं।
कब होता है सामान्य रंग?
प्रेगनेंसी के दौरान जिस तरह से अपने आप निप्पल का रंग गहरा होता है, वैसे ही डिलीवरी के कुछ महीनों के बाद इसका रंग नॉर्मल होने लगता है।
निपल्ल की मसाज करने से बचे
प्रेगनेंसी के दौरान निप्पल की मसाज करने से वो उत्तेजित हो सकते हैं, जिससे लेबर शुरू हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि निप्पल के उत्तेजित होने से ऑक्सिटोसिन का स्राव बढ़ जाता है, ये हार्मोन लेबर पेन शुरू करता है और इससे आपको अबॉर्शन का रिस्क पैदा हो सकता है। इसलिए अच्छा है कि प्रेगनेंसी के दौरान आप निप्पल पर मसाज न करें।