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शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, इस डाइट चार्ट को फॉलो करने से बीमारियां रहेंगी कोसो दूर..
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार खाने का शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है यही नहीं खाने से ग्रहों को भी अनुकूल बनाया जा सकता है। भविष्य पुराण के अनुसार हर एक तिथि का मानव शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि भविष्य पुराण में बताए गए डाइट प्लान के हिसाब से कोई मनुष्य खाना खाता है तो बीमारी पूरी जिंदगी उस इंसान को छू भी नहीं पाएगी।
इसके अलावा जो इस डाइट को तिथियों के अनुसार फॉलो करता है शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि उस व्यक्ति को दस अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य फल मिलता है। आइए जानते है कि किस तिथि को कैसा भोजन करना चाहिए।
प्रतिपदा तिथि
भाविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि को ज्यादा से ज्यादा दूध का सेवन करना चाहिए। जहां बॉडी को प्रोटीन और कैल्शियम मिलता है। वहीं दूसरी तरफ सेहत भी बनाती है।
द्वितीया तिथि
द्वितीय तिथि को नमक के बिना या कम नमक का भोजन करना लाभदायक माना गया है। इससे ब्लडसर्कुलेशन नियमित होता है और विषैले तत्व शरीर से बाहर निकल जाते हैं। बॉडी डिटॉक्स हो जाती है।
तृतीया तिथि
तृतीया तिथि के दिन तिल से बनी चीजें खाना चाहिए। तिल से बॉडी को कैल्शियम और प्रोटीन मिलता है।
चतुर्थी तिथि
भविष्य पुराण के अनुसार जितना ज्यादा दूध पियोगे उतना ही ये शरीर के लिए अच्छा होताहै। इसलिए चतुर्थी का भी ज्यादा से ज्यादा दूध का सेवन करना चाहिए।
पंचमी तिथि
पंचमी को फल खाना सेहत के लिए लाभदायक है। फल खाने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में खनिज और विटामिन मिलते हैं।
षष्ठी तिथि
षष्ठी को हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इससे शरीर में तत्वों का बैलेंस बना रहता हे और वजन नहीं बढ़ता है।
सप्तमी तिथि
सप्तमी को बिल्व पत्र या बेल पत्र के फल के जूस का सेवन करना चाहिए क्योंकि यह सेहत के लिए काफी लाभदायक है। इससे पेट से जुड़े रोग नहीं होते हैं। साथ ही यह कोलेस्ट्रोल हमेशा कंट्रोल में रखता है।
अष्टमी और नवमी
भविष्य पुराण के अनुसार अष्टमी और नवमी में ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए जो आग में पकी न हों। जैसे कंदमूल और फल।
दशमी और एकादशी
घी शरीर के लिए बहुत ही अच्छा होता है यह हडि्डयों को मजबूत बनाता है। दशमी को घी हडि्डयों और पुष्ठ शरीर के लिए खाओं तो वहीं एकादशी को चमकदार चेहरे के लिए खाना चाहिए। घी खाने से चेहरा चमकाता है और शरीर को ताकत दिलाता है।
द्वादशी व त्रयोदशी तिथि
द्वादशी को खीर खानी चाहिए और त्रयोदशी को गोमूत्र पीना चाहिए इसमें मौजूद एंटी बैक्टिरियल गुण शरीर को कीटाणुरहित रखते है और कैंसर से भी निजात दिलाता है।
चर्तुदशी, पूर्णिमा, अमावस्या
चर्तुदशी तिथि को सात्विक भोजन करना चाहिए और पूर्णिमा तिथि में कुशा का जल पीना चाहिए। अमावस्था में खीर और शीरा खाना सेहत के लिए सेहतमंद होता है।