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आयुर्वेद के अनुसार बसंत ऋतु में क्‍या खाएं और क्‍या नहीं

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बसंत उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जो फरवरी मार्च और अप्रैल के मध्य इस क्षेत्र में अपना सौंदर्य बिखेरती है। इस मौसम में हमें बहुत बच के खाना चाहिये नहीं तो स्‍वास्‍थ्‍य पर उल्‍टा असर पड़ता है। इस ऋतु में मिठाई, सूखा मेवा, खट्टे मीठे फल, दही, आइसक्रीम तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन वर्जित होता है।

बसंत ऋतु की शुरुआत में ठंडक कम होने लगती है और सूरज की गर्मी बढ़ने लगती है। आयुर्वेद के अनुसार इस समय में कफ दोष बढ़ने लगता है, जिसकी वजह से इस मौसम में अग्नि तत्व में कमी आने लगती है और डाइजेशन ठीक से ना हो पाने की समस्या बढ़ती है। अगर आप इस मौसम में इनडाइजेशन की समस्या से जूझ रही हैं तो परेशान ना हों। इस मौसम में स्वस्थ और ऊर्जा से भरपूर रहने के लिए हमें खान पान का खास ध्यान रखना चाह‍िए।

आयुर्वेद के अनुसार हर मौसम और दोषों में आता है बदलाव

आयुर्वेद के अनुसार हर मौसम और दोषों में आता है बदलाव

आयुर्वेद के अनुसार हर इंसान की प्रकृति अलग होती है। जन्म के समय में हमारे शरीर में जिन दोषों की प्रधानता होती है, उसके अनुसार आयुर्वेद में सात प्रकार के दोषों की प्रकृति बताई गई है- वात पित्त, पित्त कफ, कफ वात, सन्निपातज (इसमें वात पित्त कफ सम मात्रा में होते हैं), वातज, पित्तज, कफज। हर ऋतु में इन दोषों में परिवर्तन होता रहता है। इन दोनों को सम रखने के लिए ऋतुचर्या का वर्णन किया गया है।'

ऋतुचर्या के अनुसार यह बताया जाता है कि किस ऋतु में कैसा रहन-सहन और खान-पान हो, जिससे स्वस्थ रहा जा सके और उस मौसम में बढ़ने वाले दोषों और बीमारियों से बचा जा सके। आयुर्वेद में 6 ऋतुएं बताई गई हैं और उनके हिसाब से आहार और आचरण भी बताया गया है। इनका ध्यान रखने से महिलाएं सेहतमंद और ऊर्जा से भरपूर रह सकती हैं।

 बसंत ऋतु में क‍िन चीजों का रखें ध्‍यान

बसंत ऋतु में क‍िन चीजों का रखें ध्‍यान

- बसंत ऋतु में अच्छी पाचन शक्ति बनाए रखने के लिए सोच समझकर खाना खाना चाहिए।

- इस मौसम में ओवरईटिंग से बचना चाहिए। जब भूख लगे, तभी खाएं।

- आयुर्वेद के अनुसार बसंत ऋतु में मीठा, खट्टा, बहुत ज्यादा नमकीन या तैलीय भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इनसे कफ दोष बढ़ने लगता है।

- इस मौसम में उड़द दाल, पूड़ी-कचौड़ी जैसे हैवी फूड नहीं लेने चाहिए।

- दिन में नहीं सोना चाहिए क्योंकि इससे भी कफ दोष बढ़ने की आशंका होता है।

- दही का प्रयोग कोलेस्ट्राल बढ़ने पर न करें क्योंकि दही में एक आयुर्वेदोक्त विशेष गुण 'अभिष्यंद' होता है। अभिष्यंद गुण/ कर्म, शरीर के स्रोतों (चेनल्स) धमनी आदि में अवरोध उत्पन्न करता है।

क्‍या खाएं?

क्‍या खाएं?

आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में खानपान का विशेष ध्यान रखने से कफ दोस्त को बढ़ने से रोका जा सकता है। इस मौसम में तिक्त रस वाली चीजें जैसे कि करेला, परवल, कटु रस वाली चीजें जैसे कि सूप आदि लेना अच्छा रहता है। इस मौसम में हल्का खाना खाएं, जिसे पचाना आसान हो जैसे कि मूंगदाल, खिचड़ी, दलिया आदि। इसके अलावा पौष्टिक तत्वों से युक्त लौकी, पत्ता गोभी, गाजर, पालक, मटर जैसी सब्जियां भी अपनी डाइट में शामिल करनी चाहिए। अगर इस मौसम में शहद और गुनगुने पानी का सेवन किया जाए तो इससे भी कफ दोष बढ़ने से रोका जा सकता है और सर्दी-खांसी में राहत मिलती है।'

English summary

What Does Ayurveda Say To Eat In The Spring Season?

dietary advice to transition from winter to spring.
Story first published: Wednesday, February 5, 2020, 13:19 [IST]
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