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मजबूत घुटनों और पाचन क्रिया तेज बनाने के लिये करें वीरासन
वीर का मतलब होता है बहादुर या हीरो और आसन का मतलब होता है मुद्रा। वीरासन करने से शरीर वज्र की तरह मजबूत व शक्तिशाली होता है। हठयोग में इस आसन का बहुत महत्व है क्योंकि इस आसन को करने से आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है। वीरासन को खाना खाने के बाद भी किया जाता है, इससे पाचन क्रिया तेज हो जाती है और खाना आराम से हजम हो जाता है। इस आसन का नाभि पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है (जो कि 72000 नाड़ि का केन्द्र है)।
पेट की अंतड़ियों पर दबाव पड़ने से इसकी विकृति दूर होती है। यह पेट के गैस, दर्द आदि को भी खत्म करता है। युवावस्था में इस आसन में बैठकर कंघी करने से बाल सफेद नहीं होते हैं। यह आसन पीलिया रोग ठीक करता है। इससे खून का बहाव ठीक रहता है जिससे शरीर निरोग व सुन्दर बना रहता है। इस आसन को करने से स्त्रियों के मासिकधर्म सम्बन्धी दोष दूर होते है। गोमुखासन : अंडकोष वृधि के लिए विशेष लाभदायक
आइये जानते हैं वीरासन करने की विधि-
स्टेप 1. जमीन पर चटाई बिछा कर घुटनों को मोड़कर बैठ जाएं।
स्टेप 2. अब दोनों पैरों को थोड़ा फैलाएं और हिप्स को भूमि पर टिकाकर सीध में रखें।
स्टेप 3. अब दोनों हाथों को घुटनों पर सीधा तानकर रखें।
स्टेप 4. कंधों को आराम की मुद्रा में रखें और तनकर बैठें। सिर को सीधा रखें और सामने की ओर देखें। इस मुद्रा में 30 सेकेंड से 1 मिनट तक बने रहें।
वीराअसन करने का लाभ-
- इस आसन से शरीर मजबूत होता है और आयु में वृद्धि होती है।
- ये आसन आंखों की रोशनी को बढ़ाता है।
- इससे पंजों, घुटनों, पिण्डलियों, जांघों, कमर व रीढ़ को बल मिलता है।
- यह कमर दर्द, साईटिका (गृधसी), कटि स्तम्भ एवं पीठ के दर्द को ठीक करता है।
- इस आसन को करने से गठिया (आमवात) रोग से बचाव होता है।
- वज्रासन में प्राणायम किया जाए तो श्वास, दमा, तपेदिक, श्वास फूलना, फेफड़े तथा छाती के अनेक रोग दूर होते हैं।
- इस आसन को करने से वीर्य पुष्ट होकर स्तंभन शक्ति बढ़ता है जिससे कुण्डलिनी जागरण की संभावना बढ़ती है।