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डिप्रेशन दूर करने में कैसे मददगार होती है दौड़
मानव शरीर के लिए दौड़ लगाना काफी फायदेमंद साबित होता है। इससे शरीर में अचानक से ऊर्जा का संचार होता है और रक्त का संचार भी भली-भांति हो जाता है। दिल और फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए दौड़ लगाना काफी फायदेमंद होता है।
सप्ताह में कम से कम दो से तीन दिन दौड़ लगाने अवश्य जाना चाहिए। ऐेसा करने से बॉडी बूस्टअप बनी रहती है। इसके अलावा, अगर आपका मन उखड़ा-उखड़ा रहता है और किसी से भी बात करने की इच्छा नहीं होती है तो आपको दौड़ लगाने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।
जिन लोगों को ऐसा महसूस होने लगता है कि वो अवसाद ग्रसित हो रहे हैं वो भी दौड़ लगाने अवश्य जाएं। डिप्रेशन एक प्रकार की साइकोलॉजिकल स्टेज है जिसमें व्यक्ति अपने पर नियंत्रण खो देता है और सही से बैलेंस होकर नहीं जी पाता है।
कई
बार,
लोग
अवसाद
ग्रसित
होकर
आत्महत्या
भी
कर
लेते
हैं।
कुछ
लोगों
में
अवसाद
के
दौरान,
ज्यादा
भूख
लगने,
उदास
होने,
बिना
बात
के
रोने
जैसे
लक्षण
भी
उभरकर
सामने
आते
हैं।
ऐसी स्थिति में, दौड़ लगाने से व्यक्ति का मस्तिष्क दूसरी दिशा में चला जाता है और उसे अपनी चिंता से ज्यादा एक टारगेट समझ में आने लगता है। कुछ देर के लिए वह सबकुछ भूलकर दौड़ने लगता है।
इस
प्रकार,
दौड़
लगाने
से
न
सिर्फ
शारीरिक
बल्कि
मानसिक
फायदे
भी
होते
हैं।
दौड़
लगाने
से
एंडोमार्फिन
नामक
हारमोन
शरीर
में
स्त्रावित
होता
है
जो
दिमाग
को
कूल
और
गुड
फीलिंग
देता
है।
कई
बार,
दौड़
के
बाद
दर्द
से
भी
मुक्ति
मिल
जाती
है
क्योंकि
निकलने
वाला
हारमोन,
बॉडी
से
दर्द
को
भगा
देता
है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि दौड़ लगाने के बाद जो सुकून मन को और शरीर को मिलता है, वह सेक्स करने के बाद या चॉकलेट खाने के बाद महसूस होने वाली भावना से भी अधिक होता है।
शुरूआत में कम समय के लिए दौड़ लगाएं या तेज चलना शुरू करें। इसके बाद, आप खुद के समय में बढ़ोत्तरी करते जाएं। ऐसा करके डिप्रेशन या चिंता की स्थिति से आसानी से बाहर आया जा सकता है।