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कोरोना वायरस से महिलाओं की तुलना में क्यों हो रही है पुरुषों की मौत, जानें और किन को है खतरा
कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्यां में दिन ब दिन इजाफा होता जा रहा है। हालांकि गौर करने वाली बात ये है कि यहां मरने वालों में पुरुषों की संख्या ज्यादा है। कुछ एक्सपर्ट की मानें तो महिलाओं की तुलना में पुरुषों में कोरोना वायरस का खतरना उतना ही है जितना कि बुजुर्गों में। चीन और इटली में देखा गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों और मरने वालों में पुरुषों की संख्यां ज्यादा है।
एक्सपर्ट की मानें तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं का इम्यून सिस्टम ज्यादा मजबूत होता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि कोरोना वायरस से होने वाली मौतों में महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुक़ाबले कम है। हालांकि, वैज्ञानिक इससे बिल्कुल हैरान नहीं हैं। फ़्लू सहित अन्य संक्रमणों में भी ऐसा ही देखने को मिलता है।
इसकी वजह ये है कि अपनी लाइफ़स्टाइल के कारण पुरुष का स्वास्थ्य महिलाओं के मुक़ाबले ख़राब होता है। उनके लाइफ़स्टाइल में धूम्रपान और शराब महिलाओं के मुक़ाबले ज़्यादा शामिल होते हैं।
प्रतिरक्षा तंत्र होता है ज्यादा सक्रिय
यूनिवर्सिटी ऑफ़ ईस्ट एंगलिया में प्रोफ़ेसर पॉल हंटर कहते हैं, "महिलाओं में आंतरिक रूप से पुरुषों से अलग प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं होती हैं, महिलाओं को ऑटो-इम्यून डिज़ीज़िस (प्रतिरक्षा तंत्र के अति सक्रिय होने के कारण होने वाली बीमारियां) होने का ज़्यादा ख़तरा होता है और इस बात के काफ़ी प्रमाण भी हैं कि महिलाएं फ्लू के टीकों के लिए बेहतर एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं। "
गर्भावस्था में कितना ख़तरा
आधिकारिक रूप से इसका जवाब ना है, लेकिन विशेषज्ञों में इसे लेकर संदेह में है। गर्भावस्था में शरीर में बहुत कुछ होता है। जैसे इस दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमज़ोर हो जाती है।
लेकिन, इससे महिलाओं को संक्रमण होने का ख़तरा भी बढ़ जाता है। समान उम्र की अन्य महिलाओं के मुक़ाबले गर्भवती महिलाओं की फ्लू से मौत होने की आशंका ज़्यादा होती है।
हालांकि ब्रिटेन की सरकार का कहना है कि इस बात के "कोई स्पष्ट संकेत नहीं है" कि गर्भवती महिलाएं कोरोना वायरस से ज़्यादा गंभीर रूप से प्रभावित होती हैं।
बच्चों में कोरोना वायरस
बच्चों को कोरोना वायरस का संक्रमण हो सकता है। अभी तक का सबसे कम उम्र का मामला, एक दिन के बच्चे का है। बच्चों में कोविड-19 के लक्षणों के बारे में बहुत कम जानकारी प्राप्त हुई है लेकिन लक्षण हल्के-फुल्के होते हैं जैसे बुख़ार, नाक बहना और खांसी।
छोटे बच्चे भी इससे बीमार हो सकते हैं। फ़्लू के मामले में भी यही होता है जिसमें पाँच साल से कम उम्र (ख़ासतौर पर दो साल से कम)
एक्सपर्ट का कहना है कि, "लोग उम्र बढ़ने पर ज़्यादा बीमार हो जाते हैं क्योंकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। "
उम्रदराज़ लोगों में या पहले से ही कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता व गंभीर अस्थमा जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में ज़्यादा संक्रमण पाया गया है।
उन्हें इसका ज़्यादा ख़तरा होगा लेकिन, बच्चों में वायरस का असर हल्का ही पाया गया है।
बच्चे और व्यस्क की प्रतिरक्षा प्रणाली में होता हैं अंतर
बचपन में प्रतिरक्षा प्रणाली अपरिपक्व होती है और वो अति प्रतिक्रिया कर सकती है। इसलिए बच्चों में बुख़ार होना सामान्य बात है।
प्रतिरक्षा प्रणाली का अति सक्रिय होना भी ठीक नहीं है क्योंकि इससे शरीर के बाक़ी हिस्सों को नुक़सान पहुंच सकता है। कोरोना वायरस के घातक होने का ये भी एक कारण है।