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पीसीओएस से जूझ रहीं महिलाओं के लिए वरदान हैं यह सप्लीमेंट्स, जानिए
पिछले कुछ समय में, पीसीओएस की समस्या महिलाओं में काफी बढ़ी है। पीसीओएस जिसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम भी कहा जाता है, एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जो महिलाओं में रिप्रोडक्टिव और फर्टिलिटी इश्यू का कारण बनती है। यह देखा जाता है कि भारत में प्रसव की उम्र की 5 में से 1 महिलाओं को यह स्वास्थ्य समस्या प्रभावित करती है। इतना ही नहीं, इसके कारण महिलाओं में वजन बढ़ना, बालों का झड़ना, मुंहासे और अनियमित पीरियड्स आदि कई समस्याएं भी होती है। यह सभी समस्याएं महिलाओं की परेशानी को और भी ज्यादा बढ़ा देती हैं। हालांकि, इस समस्या से निपटने के लिए अपने खानपान का ख्याल रखना आपके लिए लाभदायक हो सकता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ सप्लीमेंट्स के बारे में बता रहे हैं, जो आपकी मदद करेंगे-
पोषक तत्वों से भरपूर खाना किस तरह होता है लाभदायक
पीसीओएस वास्तव में एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है लेकिन अगर आप अपने खानपान का ख्याल रखते हैं, तो यह काफी हद तक मैनेजेबल हो जाता है। जब आप सभी आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर एक बैलेंस्ड डाइट लेते हैं, तो इससे हार्मोन संतुलित हो सकते हैं और इंटरनल सिस्टम सही तरह से काम करने लगता है। यूं तो सभी आवश्यक पोषक तत्व आपको अपने भोजन से मिल जाते हैं, लेकिन अगर आपकी डाइट से इन पोषक तत्वों की पूर्ति नहीं होती है, तो आप एक्सपर्ट की सलाह पर इसके लिए सप्लीमेंट्स ले सकते हैं।
इनॉसिटॉल या मायो-इनोसिटोल
इनॉसिटॉल जिसे मायो-इनोसिटोल के रूप में जाना जाने वाला एक विटामिन जैसा पदार्थ कई पौधों और जानवरों में पाया जाता है। हालांकि, इसे लैबोरेटरी में भी तैयार किया जा सकता है। प्राकृतिक रूप से यह विटामिन जैसा पदार्थ खरबूजे, खट्टे फल, बीन्स, ब्राउन राइस, मकई और तिल के बीज, और गेहूं की भूसी में पाया जाता है। यह सप्लीमेंट कई तरह की मेडिकल कंडीशन जैसे मेटाबॉलिक और मूड डिसआर्डर को दूर कर सकता है। वहीं, अगर आपको पीसीओएस की समस्या है, तो यह ओवेरियन फंक्शन को बेहतर बनाने और पीरियड्स की समस्या को आसान करते हैं। जिसके कारण महिला के लिए कंसीव करना काफी आसान हो जाता है।
ओमेगा-3
ओमेगा -3 एक आवश्यक फैटी एसिड है, जो पॉलीअनसेचुरेटेड फैट से संबंधित है। ओमेगा -3 फैटी एसिड का नियमित सेवन कई तरह के स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है। यह सूजन संबंधी बीमारियों से लेकर डिप्रेशन को कम करता है। पीसीओएस रोगियों में, यह ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने और लेप्टिन में सुधार करने में मदद करता है। जिसके कारण ना केवल भूख नियंत्रित होती है, बल्कि इससे वजन कम करने में भी मदद मिलती है। वहीं, अगर ओमेगा -3 के नेचुरल स्रोतों की बात हो तो इसमें फिश ऑयल से लेकर फैटी फिश, अलसी का तेल और अखरोट शामिल हैं।
क्रोमियम
क्रोमियम एक बेहद ही महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो शुगर और फैट मेटाबॉलिज्म के लिए आवश्यक है। यह ना केवल ब्लड शुगर लेवल को कम करता है और इंसुलिन सेंसेटिविटी को बढ़ाता है। इस पोषक तत्व का दैनिक सेवन लगभग 50 से 200 मिलीग्राम तक होना चाहिए। क्रोमियम के साथ एक समस्या यह है कि यह बेहद ही कम खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, इसलिए ज्यादातर लोग इसके सप्लीमेंट्स का सेवन करते हैं। वहीं, क्रोमियम के कुछ प्राकृतिक स्रोतों में ब्रोकली और नट्स शामिल हैं।
एन-एसिटाइलसिस्टीन (एनएसी)
एसिटाइलसिस्टीन, जिसे एन-एसिटाइलसिस्टीन के रूप में भी जाना जाता है, अमीनो एसिड सिस्टीन का पूरक रूप है, जिसका उपयोग शरीर द्वारा एंटीऑक्सिडेंट बनाने के लिए किया जाता है। यह पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाने और इंसुलिन रेसिस्टेंस को कम करने में मदद करता है। अगर इस पोषक तत्वों के प्राकृतिक स्त्रोतों की बात की जाए, तो इसमें सेम, दाल, पालक, केला, साल्मन और टूना आदि शामिल है। हालांकि, अधिकतर लोग सिस्टीन की मात्रा बढ़ाने के लिए सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल करते हैं।