Just In
- 1 hr ago Mukhtar Ansari Networth : मुख्तार अंसारी का निधन, जानें कितनी बेशुमार दौलत के थे मालिक?
- 2 hrs ago कौन थे पंजाबी रॉकस्टार अमरसिंह चमकीला? जिनकी मौत के 35 साल बाद भी नहीं सुलझी गुत्थी
- 3 hrs ago ड्राई स्किन और डार्क सर्कल के लिए कंसीलर खरीदते हुए न करें ये गलतियां, परफेक्ट लुक के लिए ऐसे करें अप्लाई
- 6 hrs ago Lemon Juice Bath : नींबू पानी से नहाने के फायदे जान, रोजाना आप लेमन बाथ लेना शुरु कर देंगे
Don't Miss
- News हरियाणा: सीएम नायब सिह सैनी ने पेंशन घोटाले मामले में कार्रवाई के दिए निर्देश, कई अधिकारियों पर गिरेगी गाज
- Movies Crew Review: चोर के घर चोरी करती नजर आईं तबू, करीना और कृति, बेबो ने लूट ली सारी लाइमलाइट, कृति पड़ीं फीकी
- Education MHT CET 2024 Exam Dates: एमएचटी सीईटी 2024 परीक्षा की तारीखें फिर से संशोधित की गई, नोटिस देखें
- Finance Gaming का बिजनेस भारत में पसार रहा पांव, आने वाले सालों में 6 अरब डॉलर तक का होगा कारोबार
- Automobiles अब Toll प्लाजा और Fastag से नहीं, इस खास सिस्टम से होगा Toll Collection! नितिन गडकरी ने दिया बड़ा अपडेट
- Technology Oppo F25 Pro भारत में नए Coral Purple कलर में उपलब्ध, जानिए, स्पेक्स और उपलब्धता
- Travel Good Friday की छुट्टियों में गोवा जाएं तो वहां चल रहे इन फेस्टिवल्स में भी जरूर हो शामिल
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
द्रौपदी के बारे में दिलचस्प तथ्य जिनके बारे में कोई नहीं जानता
द्रौपदी को पांचाली (अर्थात पांचाल राज्य की), यज्ञसेनी (अर्थात यज्ञ या आहुति से उत्पन्न), महाभारती (भारत के पांच महान वंशजों की पत्नी) और सैरंध्री के नाम से भी जाना जाता है।
द्रौपदी का चरित्र अनोखा है। पूरी दुनिया के इतिहास में उस जैसी दूसरी कोई स्त्री नहीं हुई। महाभारत में द्रौपदी के साथ जितना अन्याय होता दिखता है, उतना अन्याय इस महाकथा में किसी अन्य स्त्री के साथ नहीं हुआ। द्रौपदी संपूर्ण नारी थी।
पढ़िये महाभारत में मौजूद उलूपी व अर्जुन की प्रेम कहानी
आइये जानते हैं द्रौपदी के बारे में कुछ ऐसी बातें जिसके बारे में किसी को नहीं पता-
द्रौपदी के पांच के बजाय 14 पति हो सकते थे
ऐसी कहानियाँ सुनने में आती हैं कि द्रौपदी अपने पूर्व जन्म में ऐसा पति चाहती थी जिसमें 14 गुण हों। भगवान शिव ने उसे वरदान दिया था। परंतु किसी भी एक व्यक्ति में ये 14 गुण न मिलने के कारण उन्होंने उससे कहा कि वह उन पांच व्यक्तियों की पत्नी बनेगी जिनमें सामूहिक रूप से ये 14 गुण होंगे। द्रौपदी ने भगवान शिव से कहा कि उसे ऐसा पति प्रदान करें जिसमें वे सभी श्रेष्ठ 5 गुण हों जो एक पुरुष में होने चाहिए: धर्म, शक्ति, धनुर्विद्या का कौशल, दिखने में सुन्दर, धैर्य आदि।
द्रौपदी चुप रहकर सहन करने में विश्वास नहीं रखती थी
द्रौपदी एक निडर महिला थी जो प्राचीनकाल की महिलाओं में बहुत कम देखने मिलता था। जब उसका अपमान हुआ तो उसने हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र से सीधे न्याय की मांग की थी। पुन: जब वह सैरंध्री के वेश में थी तब राजा विराट के साले कीचक द्वारा उसका अपमान किये जाने पर उसने राजा विराट से सीधे न्याय की मांग की थी। औरतों की रक्षा न कर पाने के कारण उसने खुले आम इन दोनों राजाओं (विराट और धृतराष्ट्र) की निंदा की थी। यहाँ तक कि उसने महान योद्धाओं जैसे भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य तथा अपने पतियों की भी खुले आम निंदा की क्योंकि वे चीरहरण के दौरान उसे अपमानित होने से नहीं बचा सके।
द्रौपदी का कभी बचपन नहीं था
द्रौपदी के पिता तथा पांचाल के राजा द्रुपद ने द्रौपदी का निर्माण केवल एक ही उद्देश्य से किया था, कुरु राजवंश को नष्ट करने के उद्देश्य से। ऐसा इसलिए क्योंकि कुरु राजवंश ने द्रोण को संरक्षण दिया था जिन्होंने (द्रोण ने) अपने शिष्यों पांडवों और कौरवों की सहायता से पांचाल पर विजय प्राप्त की थी तथा पांचाल का विभाजन किया था। अत: द्रौपदी एक वयस्क के रूप में ही उत्पन्न हुई जिसे न तो बचपन मिला न पालन पोषण।
काली का अवतार
दक्षिण भारत में ऐसा माना जाता है कि द्रौपदी काली का एक अवतार थी जिसका जन्म सभी अभिमानी राजाओं के विनाश हेतु भगवान कृष्ण (जो भगवान विष्णु का एक अवतार थे, जो देवी पार्वती के भाई थे) की सहायता करने के लिए हुआ था। यही कारण है द्रौपदी के अग्नि से उत्पन्न होने के बावजूद उन्हें भाई बहन माना जाता है।
द्रौपदी को अपने पतियों पर विश्वास नहीं था
द्रौपदी प्रतिशोध के लिए चिल्लाई परंतु उसे संदेह था कि उसके पति उसके अपमान का बदला लेंगे। उसके आपस संदेह करने के लिए कारण था। उन्होंने अपनी बहन के पति जयद्रथ का वध नहीं किया जबकि जयद्रथ ने ही अपने रथ पर बिठाकर उसे घर से बाहर यह कहते हुए निकाला था कि वह उसे अपनी रखैल बनाएगा। उसी पराक्र जब पांडव अपने अज्ञात वास के अंतिम वर्ष में थे तब उन्होंने इस डर से कीचक का वध नहीं किया कि कोई उन्हें पहचान न ले।
क्या द्रौपदी को ऋषि दुर्वासा ने बचाया था?
चीर हरण के समय दुर्वासा ऋषि द्वारा द्रौपदी को बचाने के पीछे भी एक रोचक कहानी है। शिव पुराण के अनुसार ऋषि दुर्वासा ने द्रौपदी को एक वरदान दिया था जिसने चीर हरण के समय द्रौपदी के रक्षा की। एक कहानी के अनुसार एक बार ऋषि दुर्वासा की लंगोटी गंगा नदी में बह गयी । तब द्रौपदी ने शीघ्र अपने वस्त्र का एक कपड़ा फाड़कर उन्हें ढांकने के लिए दिया। तब ऋषि ने उसे वरदान दिया जिसका उपयोग तब हुआ जब दुशासन ने द्रौपदी को नग्न करने का प्रयत्न किया और कपड़े की एक न अंत होने वाली पट्टी ने द्रौपदी की रक्षा की।
द्रौपदी ने घटोत्कच को शाप दिया
जब घटोत्कच पहली बार अपने पिता के राज्य में आया तो अपनी मां (हिडिम्बा) की आज्ञा के अनुसार उसने द्रौपदी को कोई सम्मान नहीं दिया। द्रौपदी को अपमान महसूस हुआ और उसे बहुत गुस्सा आया। वह उस पर चिल्लाई कि वह एक विशिष्ट स्त्री है, वह युधिष्ठिर की रानी है, वह ब्राह्मण राजा की पुत्री है तथा उसकी प्रतिष्ठा पांडवों से कहीं अधिक है। और उसने अपनी दुष्ट राक्षसी मां के कहने पर बड़ों, ऋषियों और राजाओं से भरी सभा में उसका अपमान किया!
हिडिम्बा का बदला
द्रौपदी ने घटोत्कच को एक भयानक शाप दिया कि उसका जीवन बहुत छोटा होगा तथा वह बिना किसी लड़ाई के मारा जाएगा - जो एक क्षत्री के लिए भयानक स्थिति होती है। जब हिडिम्बा ने द्रौपदी के शाप के बारे में सुना तो वह स्वयं को नियंत्रित नहीं कर पाई। वह उसके पास गयी और उसे एक नीच और पापी औरत कहा। गुस्से में हिडिम्बा ने द्रौपदी के बच्चों को शाप दिया तथा दो रानियों पांडव वंश को लगभग ख़त्म कर दिया।
द्रौपदी के विभिन्न अवतार
नारद पुराण और वायु पुराण के अनुसार द्रौपदी देवी श्यामला (धर्म की पत्नी), भारती (वायु की पत्नी), शचि (इंद्र की पत्नी), उषा (अश्विन की पत्नी) और पार्वती (शिव की पत्नी) का संयुक्त अवतार थी। पहले के अवतारों में उसने वेदवती के रूप में जन्म लिया था जिसने रावण को शाप दिया था। इसके पश्चात उसने सीता के रूप में जन्म लिया जो रावण की मृत्यु का कारण बनी। उसका तीसरा अवतार आंशिक था या तो दमयंती या उसकी पुत्री नालायनी। पांचवां अवतार द्रौपदी स्वयं थी।
द्रौपदी की शर्त
जब द्रौपदी ने सांझा पत्नी बनना स्वीकार किया तब उसने यह शर्त रखी कि वह अपना राज्य किसी अन्य स्त्री के साथ नहीं बांटेगी। दूसरे शब्दों में उस समय की प्रचलित परंपरा की परवाह किये बिना पांडव अपनी अन्य पत्नियों को इंद्रप्रस्थ नहीं ला सकते थे। हालाँकि अर्जुन एक पत्नी को लाने में सफल हुए। वह कृष्ण की बहन सुभद्रा थी। और कृष्ण की थोड़ी सी सलाह से उसने घर में प्रवेश करने का रास्ता बना लिया।
द्रौपदी के स्वयंवर में दुर्योधन ने सहभाग नहीं लिया था
द्रौपदी के स्वयंवर में दुर्योधन के सहभाग न लेने का एक कारण था। ऐसा इसलिए क्योंकि उसकी शादी पहले ही कलिंग की राजकुमारी भानुमति से हो चुकी थी। दुर्योधन ने अपनी पत्नी को वचन दिया था कि वह अन्य किसी से शादी नहीं करेगा और उसने अपने वचन को निभाया।
द्रौपदी ने कुत्तों को शाप दिया
पंजाबी लोककथा में एक कहानी प्रचलित है: पांडव इस बात पर सहमत हुए थे कि एक समय में केवल एक भाई ही द्रौपदी के कक्ष में प्रवेश करेगा और उस समय अन्य कोई भाई कक्ष में प्रवेश नहीं करेगा। वह भाई जो कक्ष में प्रवेश करेगा वह अपने जूते दरवाज़े पर रखा देगा। इसका उल्लंघन करने पर कड़ी सज़ा होगी - अपराधी को तुरंत ही एक वर्ष के लिए वनवास जाना होगा।
अर्जुन, एक अपराधी
एक दिन युधिष्ठिर द्रौपदी के कक्ष में था, तभी एक कुत्ते ने दरवाज़े के बाहर से उनके जूते चुरा लिए। इस बारे में अनजान अर्जुन ने कक्ष में प्रवेश किया और अपने बड़े भाई को द्रौपदी के साथ देख लिया। अनुबंध के अनुसार अर्जुन निर्वासित होना पड़ा। द्रौपदी को शर्मिंदगी महसूस हुई तथा उसे उस कुत्ते पर क्रोध आया जिसने युधिष्ठिर के जूते चुरा लिए थे। इसलिए उसने सभी कुत्तों को शाप दिया - "सारी शर्म को भूलकर सम्पूर्ण विश्व तुम्हें सार्वजनिक रूप से मैथुन करते हुए देखेगा।"
द्रौपदी का दूसरा पहलू
द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा ने बड़ी निर्दयता से आधी रात के समय द्रौपदी के सोते हुए पांच पुत्रों को जलाकर मार डाला था। कृष्ण, अर्जुन और भीम ने अश्वत्थामा को पकड़ा तथा अंतिम निर्णय के लिए उसे द्रौपदी के पास ले गए। हालांकि जब अश्वत्थामा सिर झुककर बैठे थे तो द्रौपदी ने करुणा की अद्भुत भावना दिखाई। यद्यपि कृष्ण ने उनसे कहा कि इस प्रकार के खूनी को मारना कोई पाप नहीं है, परंतु द्रौपदी उस दर्द को महसूस कर सकती थी जो द्रोण की पत्नी को अपने पुत्र की मृत्यु के पश्चात होता।
कुंवारी रहने का वरदान
दूसरे पति के पास जाने से पहले पुन: कौमार्य और शुद्धता प्राप्त करने के लिए द्रौपदी आग पर चलती थी। ऐसे नियम बहुविवाही पतियों के समक्ष कभी नहीं रखे गए थे। सभी पांडवों की दूसरी पत्नियां थी परन्तु वे पत्नियां अपने माता पिता के साथ रहती थी तथा पांडवों को अपनी इन पत्नियों से मिलने के लिए दूसरे शहर की यात्रा करनी पड़ती थी। वे चार साल में एक बार अपनी पत्नियों से मिलाने जाते थे जब द्रौपदी अन्य भाईयों के साथ अंतरंग होती थी।
कृष्ण ही द्रौपदी के एकमात्र मित्र थे
द्रौपदी हमेशा ही भगवान कृष्ण को अपना सखा या प्रिय मित्र मानती थी तथा कृष्ण भी उसे सखी कहकर बुलाते थे। यह द्रौपदी और कृष्ण के बीच के आध्यामिक प्रेम को दर्शाता है। कृष्ण द्रौपदी के एक ऐसे मित्र थे जिन्होंने उसके व्यक्तित्व को एक पहचान दी तथा जब भी वह कठिन परिस्थितियों में तब तब उसकी सहायता की। कृष्ण की अलौकिक उपस्थिति को उसने नियमित तौर पर अपने जीवन में महसूस किया।