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आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधि-विधान से करें पूजा-अर्चना, मिलेगा मन चाहा फल
नवरात्रि के त्योहार का आज दूसरा दिन है। आज के दिन मां दुर्गा के मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों के सभी कामों में सफलता मिलती है। और घर में सुख-समृद्धि रहती है। मां ब्रह्मचारिणी के ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस तरह ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। मां ब्रह्मचारिणी दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल रहता है। इनकी उपासना करने से मनुष्य में तप, त्याग की बढ़ोत्तरी होती है। लाइफ के मुश्किल से मुश्किल काम आसानी से पूरे हो जाते हैं। आइए बतातें है इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की किस तरह पूजा करनी चाहिए। और किन मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
मां ब्रह्मचारिणी नाम
पौराणिक कथाओं के मुताबित, मां ब्रह्मचारिणी का जन्म पार्वती के रूप में हुआ था। उन्होने पर्वतराज के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था। नारद जी ने भगवान शिव और मां पार्वती के मिलन के लिए मां पार्वती जी को व्रत रखने की सलाह दी थी। जिसके बाद मां पार्वती ने निर्जला भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों साल की इस तपस्या के बाद ही मां पार्वती को ब्रह्मचारिणी नाम दिया गया। तब से लेकर आज तक मां दुर्गा के इस रूप को मां ब्रह्मचारिणी के रूप में जाना जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी की प्रिय वस्तु
मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और सफेद रंग के सभी फूल बहु प्रिय हैं। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग के फूल ही आर्पित करें। इससे मां की कृपा आप पर बनी रहेगी।
मां ब्रह्मचारिणी का भोग
मां ब्रह्मचारिणी को संफेद रंद की कोई भी मिठाई भोग में चढ़ा सकते हैं। मिठाई न भी हो तो चीनी या मिश्री का भोग भी लगा सकते हैं। ऐसा करने से दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। दूध से बनी कोई चीज भी आप मां को चढ़ा सकते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा शास्त्रीय विधि-विधान से करनी चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा शुभ मुहूर्त में करने से ही आपको पुण्य मिलेगा। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़ें पहन कर पूजा करें। माता की तस्वीर या मूर्ति एक चौकी पर रख दें और उन्हें सफेद वस्त्रों पहनाएं। पूजा करने से पहले मां ब्रह्मचारिणी को सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन मां को अर्पित करें। मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल या कमल का फूल चढ़ाएं। इसके बाद घी और कपूर से बना दीपक जलाकार मां का पाठ करें और फिर आरती उतारें।
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र
या
देवी
सर्वभूतेषु
मां
ब्रह्मचारिणी
रूपेण
संस्थिता।
नमस्तस्यै
नमस्तस्यै
नमस्तस्यै
नमो
नम:
माँ ब्रह्मचारिणी ध्यान
वन्दे वांच्छितलाभायचन्द्रर्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलुधराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णास्वाधिष्ठानास्थितांद्वितीय
दुर्गा
त्रिनेत्राम्।
धवल
परिधानांब्रह्मरूपांपुष्पालंकारभूषिताम्॥
पद्मवंदनापल्लवाराधराकातंकपोलांपीन पयोधराम्।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीनिम्न नाभि नितम्बनीम्॥
मां ब्रह्मचारिणी स्तोत्र
तपश्चारिणीत्वंहितापत्रयनिवारिणीम्।
ब्रह्मरूपधराब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
नवचक्रभेदनी
त्वंहिनवऐश्वर्यप्रदायनीम्।
धनदासुखदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रियात्वंहिभुक्ति-मुक्ति
दायिनी।
शान्तिदामानदा,ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्।
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