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क्या C-Section करवाने की भी कोई लिमिट हो सकती है?
खोजों से पता चला है कि वे माताएं जो अपने पहले बच्चे को जन्म देते समय सीजेरियन का विकल्प चुनती हैं वे भविष्य में होने वाले अपने अन्य बच्चों के लिए भी सीजेरियन का विकल्प ही चुनती है।
सी-सेक्शन करने के निर्णय को गर्भवती माताएं और डॉक्टर्स आसानी से नहीं लेते। यू.एस. में ये सर्जरी कुशल प्रशिक्षित डॉक्टर्स द्वारा की जाती है जो यह सुनिश्चित करते हैं कि इससे मां और बच्चे को कोई खतरा तो नहीं है।
परन्तु खोजों से पता चला है कि वे माताएं जो अपने पहले बच्चे को जन्म देते समय सीजेरियन का विकल्प चुनती हैं वे भविष्य में होने वाले अपने अन्य बच्चों के लिए भी सीजेरियन का विकल्प ही चुनती है।
प्रत्येक सी सेक्शन के साथ मां और बच्चे के साथ खतरा बढ़ता जाता है और यह प्रक्रिया अधिक जटिल होती जाती है। यद्यपि शोध में सही संख्या का पता नहीं चलता परन्तु वे महिलायें जिनके कई सीजेरियन ऑपरेशन हुए हैं उन्हें इन बातों का खतरा अधिक होता है:
अ. गर्भाशय और शरीर के अन्य अंगों पर निशान वाला ऊतक:
प्रत्येक सी सेक्शन के साथ दाग वाला ऊतक जैसे बैंड्स जिन्हें ऐडहीशन कहा जाता है, रह जाता है। इसकी सीमा अलग अलग होती है परन्तु घना ऐडहीशन माता के लिए समस्या उत्पन्न कर सकता है जिसके कारण प्रसव में समय लग सकता है।
b. मूत्राशय और आंत्र में चोट:
जहाँ पहले सी सेक्शन से कोई नुकसान नहीं होता वही बाद के अन्य सी सेक्शन के बाद मूत्राशय और आंत्र में चोट का खतरा बढ़ जाता है। यह मुख्य रूप से सी सेक्शन के दौरान विकसित होने वाले ऐडहीशन के कारण होता है जिसमें मूत्राशय गर्भाशय के साथ बंध जाता है। इससे मल त्याग में भी समस्या आ सकती है।
c. बहुत अधिक ब्लीडिंग:
प्रत्येक सी-सेक्शन के बाद अधिक ब्लीडिंग होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे हिस्टरेक्टमी या गर्भाशय को निकालने की संभावना बढ़ जाती है ताकि अधिक ब्लीडिंग को नियंत्रित किया जा सके। इसमें रक्त देने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
d. प्लेसेंटा की समस्या:
प्रत्येक सी सेक्शन के साथ प्लेसेंटा से जुड़ा खतरा भी बढ़ जाता है। प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार में बहुत गहराई तक घुसा हो सकता है अथवा यह गर्भाशय कीग्रीवा को आंशिक या पूर्ण रूप से ढँक लेता है।
सी सेक्शन के बाद रिकवरी
प्रत्येक महिला अलग होती है जिसका यह अर्थ है कि कुछ महिलाओं की रिकवरी तीव्र गति से होती है जबकि कुछ महिलाओं की रिकवरी बहुत धीरे और कष्टदायक होती है। आपको यह समझना है कि सी सेक्शन एक जटिल सर्जरी है जिसमें आपको अस्पताल में अधिक समय तक रुकना पड़ सकता है ताकि आपका शरीर अच्छी तरह रिकवर हो जाए। यहाँ बताया गया है कि सी-सेक्शन के बाद आपको क्या करना चाहिए:
सी सेक्शन के बाद रिकवरी
1. अधिक आराम करें: सामान्यत: आपको दो से तीन दिन तक अस्पताल में रुकने की सलाह दी जाती है परन्तु अपने डॉक्टर की बात मानें और आपको ठीक होने के लिए जितने दिन लगे उतने दिन अस्पताल में रहें। घर पहुँचने पर भी जितना हो सके आराम करें। यह मुश्किल होता है क्योंकि आपके पहले बच्चे और नवजात बच्चे दोनों पर आपको लगातार ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इसके लिए अपनी सहेलियों, साथी और सम्बन्धियों की मदद लें। जब बच्चा सोये तब आप भी आराम करें।
सी सेक्शन के बाद रिकवरी
2. अपने शरीर की अतिरिक्त देखभाल करें: अपने शरीर की उतनी ही देखभाल करें जितनी आप अपने शिशु की कर रही हैं। इसमें सीढियां न चढ़ना, हर चीज़ (जैसे डायपर, खाना आदि) ऐसी जगह रखना जहाँ आप आसानी से पहुँच सके। घर में खाने पीने की चीज़े एकत्रित करके रखें और दूसरे बच्चे की देखभाल के लिए बेबी सीटर रख लें।
सी सेक्शन के बाद रिकवरी
3. दर्द से राहत पायें: यदि दूसरे या तीसरी बार आपका सी सेक्शन हुआ है तो इसका अर्थ है कि आपको बहुत अधिक दर्द हो रहा होगा। हालाँकि आपके दर्द सहन करने के स्तर के अनुसार डॉक्टर आपको पेन किलर देते हैं परन्तु फिर भी आप दर्द को कम करने के लिए हॉट पैड का उपयोग कर सकती हैं।
सी सेक्शन के बाद रिकवरी
4. पोषण पर ध्यान दें: संतुलित आहार लेना बहुत महत्वपूर्ण है। अपने शरीर, बच्चे और शिशु का ध्यान रखने का काम थका देने वाला होता है परन्तु इसके लिए मदद लें और ऐसी परिस्थितियों को रोकें जहाँ आपको खाना बनाना पड़े। ईज़ी टू हीट खाद्य पदार्थ फ्रिज में रखें, बहुत सारी सब्जियां खाएं और वे सभी तरल पदार्थ खाएं जिनका सेवन आप आसानी से कर सकती हैं।
सी सेक्शन के बाद रिकवरी
5. अपने डॉक्टर से पूछें: अगर आप कुछ गलत देखते हैं या आपको कुछ ठीक नहीं लगता है तो तुरंत अपने डॉक्टर को फोन करें। आपकी चीरे वाली जगह पर कोई सूजन नहीं होनी चाहिए और उसमें से पस आदि नहीं निकलना चाहिए।