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भ्रामरी प्राणयाम से दूर कीजिये डिप्रेशन
भाग-दौड़ की जिन्दगी में तनाव जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। चाहे वह छोटा बच्चा हो या फिर कोई बड़ा बुजुर्ग हर कोई आज तनाव में जी रहा है। इसलिये अगर आप तनाव से मुक्त होना चाहते हैं तो भ्रामरी प्राणयाम करें। इस योग से तनाव कम होता है और बुद्धि तेज होती है। स्कूल जाते बच्चों के लिये यह स्मरण शक्ति को बढ़ाने का कार्य करता है। अगर रात को नींद नहीं आती या हमेशा थकान महसूस होती है तो दवई की जगह पर इस प्राणायाम को करने से लाभ होता है। इसे भ्रामरी प्राणायाम इस लिये कहा जाता है क्योंकि इसमें सांस छोड़ते समय भंवरे जैसी आवाज की जाती है।
करने की विधि-
भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए किसी भी सुखद आसन जैसे पद्मासन, सहज आसन या सुखासन में बैठ जाएं। लंबी और गहरी सांस लेते हुए सांस को शांत रखें। उसके बाद दोनों हाथों के अंगूठे से दोनों कानों को बंद कर लें। अपनी अनामिका उंगली को माथे पर और मध्यमा-तर्जनी को आंखों पर रखें।
इस आसन को करते समय अपनी रीढ़ की हड्डी बिलकुल सीधी रखें। लंबी और गहरी सांस लेते हुए फेफड़े पूरी तरह भर लें। कुछ देर के लिए सांस रोकें। इसके बाद भवरें जैसी गुंजन करते हुए लंबी सांस को बाहर निकालें। ऐसा करते समय आवाज लगातार आनी चाहिये। फिर कुछ क्षण के लिए सांस को बाहर ही रोकें। इस आसन को सुबह और शाम पांच बार नियम से करना चाहिये और फिर धीरे-धीरे इसकी संख्या बढ़ाते जाइये।