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Coronavirus: क्या होता है सीरो सर्वे, जो आपके आसपास के संक्रमण और एंटीबॉडीज के बारे में बताएगा
कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली में सीरोलॉजिकल सर्वे शुरू हो रहा है। इसे शॉर्ट में सीरो सर्वे भी कहा जाता है, जिसकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि क्षेत्र में कोरोना वायरस का संक्रमण कितना फैला है, कितनी बड़ी आबादी इस वायरस की जद में आई है और कितनी आबादी में लोगों के अंदर इस वायरस से लड़ने के लिए इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है या फिर उनके शरीर में एंटीबॉडी बन चुकी है। अभी पिछले दिनों आईसीएमआर ने भी देश के 24 हजार लोगों पर सीरो सर्वे कराया था। देश की राजधानी दिल्ली में तेजी से बढ़ते संक्रमण के बीच सरकार ने सीरो सर्वे कराने का फैसला लिया है। आइए जानते हैं, किस तरह से होगा सीरो सर्वे:
- कोरोना संक्रमण के फैलाव का पता लगाने के लिए दिल्ली के सभी जिलों में सीरोलॉजिकल सर्वे शुरू होने जा रहा है। सभी जिलों के डीएम ने इसके लिए अपने जिले के चीफ मेडिकल ऑफिसर यानी मुख्य स्वास्थ्य पदाधिकारियों के नेतृत्व में टीमें तैयार कर दी हैं।
- जिले की टीमें चुनिंदा इलाकों में जाकर लोगों के सैंपल कलेक्ट करेंगी। इन सैंपलों की जांच के नतीजों के आधार पर यह पता चलेगा कि कोरोना के खिलाफ लोगों में किस तरह एंटीबॉडी विकसित हो रही है और एंटीबॉडी विकसित होने की दर क्या है। सभी सैंपल्स की जांच के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सौंपी जाएगी।
- लोगों के ब्लड सैंपल की जांच करके महज आधे घंटे में यह पता लगाया जा सकेगा कि जिस व्यक्ति का सैंपल लिया गया है, उसके अंदर वायरस से लड़ने के लिए इम्यूनिटी विकसित हुई है या नहीं। सैंपल की जांच के लिए एक विशेष किट का इस्तेमाल किया जाएगा। फिलहाल आईसीएमआर ने भी राज्यों को सभी कर्मियों का एंटीजन टेस्ट कराने का निर्देश दिया है।
- विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित होता है, लेकिन उनमें लक्षण नहीं दिखते, तो ऐसे लोगों में 5-7 दिन के अंदर अपने आप एंटीबॉडी बनना शुरू हो जाती हैं, जो वायरस को शरीर में पनपने नहीं देती हैं। सीरो सर्वे का उद्देश्य इसी की दर पता करना होता है।
- दिल्ली में कौन कौन से ऐसे इलाके हैं, जहां के लोगों में एंटीबॉडी विकसित हुई! ऐसी कितनी आबादी है, जहां लोगों को कोरोना हुआ और अपने आप ठीक भी हो गए... इन बातों का पता सीरो सर्वे के जरिए लगाया जाएगा। इससे वायरस के प्रसार और उसकी क्षमता का पता लगाने में भी मदद मिलेगी।