Just In
- 10 hrs ago First Date Tips: पहली ही डेट में पार्टनर को करना है इम्प्रेस तो ध्यान रखें ये जरूरी बात
- 11 hrs ago हीरामंडी की प्रीमियर पर सितारों सा झिलमिल वाइट शरारा सेट पहन पहुंची आलिया भट्ट, लाखों में हैं कीमत
- 13 hrs ago Real Vs Fake Shampoo : आपका शैंपू असली है या नकली, इन ट्रिक्स से पता करें अंतर
- 13 hrs ago Eggs Freeze कराएंगी मृणाल ठाकुर, कौन और कब करवा सकता है एग फ्रीज जानें यहां
Don't Miss
- Movies Bollywood News Hindi Live- शादी के बंधन में बंधी आरती सिंह, जीक्यू अवॉर्ड्स में छाईं ये हसीनाएं
- News इस बार पीली साड़ी वाली नहीं, सोशल मीडिया पर छिंदवाड़ा पोलिंग ऑफिसर के हैं जलवे; जानें कौन है ये महिला
- Technology महंगे सॉफ्टवेयर का काम पूरा कर देंगी ये 5 फ्री वेब ऐप
- Education IIT JEE Advanced 2024: जईई एडवांस के लिए 27 अप्रैल से होंगे आवेदन शुरू, देखें परीक्षा तिथि फीस व अन्य डिटेल्स
- Finance Bengaluru Lok Sabha Election 2024: फ्री Rapido,बीयर.! वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए वोटर्स को दिए जा रहे ऑफर्स
- Travel 5 दिनों तक पर्यटकों के लिए बंद रहेगा शिमला का 'द रिट्रीट', क्या है यह और क्यों रहेगा बंद?
- Automobiles करोड़ों की संपत्ति का मालिक, लग्जरी कारों का कलेक्शन, फिर भी Maruti की इस कार में चलते दिखे Rohit Sharma
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
जानिये होलिका दहन की कथा
होली बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है। होली में जितना महत्व रंगों का है उतना ही महत्व होलिका दहन का भी है। क्योंकि ये वही दिन होता है जब आप अपनी कोई भी कामना पूरी कर सकते हैं किसी भी बुराई को अग्नि में जलाकर खाक कर सकते हैं। होलिका दहन या होली भारत के उत्तरी भागों में मनाये जाने वाला त्यौहार है। होलिका दहन को हम होली के नाम से भी जानते हैं। जिस दिन होली जलाई जाती है, उसे हम छोटी होली भी कहते हैं। होलिका दहन से जुड़ी और कई सारी कहानियाँ हैं आइये जानें।
होली मनाने की सबसे बेहतरीन जगह
होलिका
की
कहानी
होलिकादहन
की
कथा
हम
सभी
होली
की
पूर्व
संध्या,
यानी
फाल्गुन
शुक्ल
चतुर्दशी
को
होलिकादहन
मनाते
हैं।
इसके
साथ
एक
कथा
जुड़ी
हुई
है।
कहते
हैं
कि
वर्षो
पूर्व
पृथ्वी
पर
एक
अत्याचारी
राजा
हिरण्यकश्यपु
राज
करता
था।
उसने
अपनी
प्रजा
को
यह
आदेश
दिया
कि
कोई
भी
व्यक्ति
ईश्वर
की
वंदना
न
करे,
बल्कि
उसे
ही
अपना
आराध्य
माने।
लेकिन
उसका
पुत्र
प्रह्लाद
ईश्वर
का
परम
भक्त
था।
उसने
अपने
पिता
की
आज्ञा
की
अवहेलना
कर
अपनी
ईश-भक्ति
जारी
रखी।
इसलिए
हिरण्यकश्यपु
ने
अपने
पुत्र
को
दंड
देने
की
ठान
ली।
उसने
अपनी
बहन
होलिका
की
गोद
में
प्रह्लाद
को
बिठा
दिया
और
उन
दोनों
को
अग्नि
के
हवाले
कर
दिया।
दरअसल,
होलिका
को
ईश्वर
से
यह
वरदान
मिला
था
कि
उसे
अग्नि
कभी
नहीं
जला
पाएगी।
लेकिन
दुराचारी
का
साथ
देने
के
कारण
होलिका
भस्म
हो
गई
और
सदाचारी
प्रह्लाद
बच
निकले।
उसी
समय
से
हम
समाज
की
बुराइयों
को
जलाने
के
लिए
होलिकादहन
मनाते
आ
रहे
हैं।
सार्वजनिक
होलिकादहन
हम
लोग
घर
के
बाहर
सार्वजनिक
रूप
से
होलिकादहन
मनाते
हैं।
होलिका
दहन
की
परंपरा
शास्त्रों
के
अनुसार
होली
उत्सव
मनाने
से
एक
दिन
पहले
आग
जलाते
हैं
और
पूजा
करते
हैं।
इस
अग्नि
को
बुराई
पर
अच्छाई
की
विजय
का
प्रतीक
माना
जाता
है।
होलिका
दहन
का
एक
और
महत्व
है,
माना
जाता
है
कि
भुना
हुआ
धान्य
या
अनाज
को
संस्कृत
में
होलका
कहते
हैं,
और
कहा
जाता
है
कि
होली
या
होलिका
शब्द,
होलका
यानी
अनाज
से
लिया
गया
है।
इन
अनाज
से
हवन
किया
जाता
है,
फिर
इसी
अग्नि
की
राख
को
लोग
अपने
माथे
पर
लगाते
हैं
जिससे
उन
पर
कोई
बुरा
साया
ना
पड़े।
इस
राख
को
भूमि
हरि
के
रूप
से
भी
जाना
जाता
है।
होलिका
दहन
का
महत्व
होलिका
दहन
की
तैयारी
त्योहार
से
40
दिन
पहले
शुरू
हो
जाती
हैं।
जिसमें
लोग
सूखी
टहनियाँ,
सूखे
पत्ते
इकट्ठा
करते
हैं।
फिर
फाल्गुन
पूर्णिमा
की
संध्या
को
अग्नि
जलाई
जाती
है
और
रक्षोगण
के
मंत्रो
का
उच्चारण
किया
जाता
है।
दूसरे
दिन
सुबह
नहाने
से
पहले
इस
अग्नि
की
राख
को
अपने
शरीर
लगाते
हैं,
फिर
स्नान
करते
हैं।
होलिका
दहन
का
महत्व
है
कि
आपकी
मजबूत
इच्छाशक्ति
आपको
सारी
बुराईयों
से
बचा
सकती
है,
जैसे
प्रह्लाद
की
थी।
कहा
जाता
है
कि
बुराई
कितनी
भी
ताकतवर
क्यों
ना
हो
जीत
हमेशा
अच्छाई
की
ही
होती
है।
इसी
लिए
आज
भी
होली
के
त्यौहार
पर
होलिका
दहन
एक
महत्वपूर्ण
हिस्सा
है।