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ईटिंग डिस्आर्डर को ट्रीट करने के उपाय
जीवन में जिंदा रहने के लिए खाना सबसे जरूरी होता है, चाहें कुछ भी हो जाएं, हर इंसान, हर पशु और हर सजीव प्राणी को भोजन की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन कई लोगों की आदत ऐसी होती है कि उन्हे देखकर लगता है कि वह सिर्फ खाने के लिए जीते है। उन्हे आप कहीं भी लाएं, कुछ भी काम दें लेकिन उनका सारा ध्यान खाने पर लगा रहता है।
ज्यादा
खाने
वाले
लोगों
को
खदूस
के
नाम
से
जाना
जाता
है।
मेडीकल
लैंग्वेज
में
वास्तव
में
यह
एक
प्रकार
का
डिस्ऑर्डर
होता
है,
जो
शारीरिक
और
मानसिक
स्तर
पर
प्रभाव
डालता
है।
ऐसे
डिस्ऑर्डर
से
ग्रसित
लोगों
को
भूख
से
ज्यादा
खाना
खाने
की
तलब
लगती
है,
उन्हे
हर
पल
ऐसा
लगता
है
कि
उनका
मुंह
चलता
रहे।
इस
आदत
की
वजह
से
उन्हे
सभी
के
बीच
हंसी
का
पात्र
बनना
पड़ता
है
और
कई
समस्याएं
भी
उठानी
पड़ती
हैं।
आपको
जानकर
ताज्जुब
होगा
कि
रॉक
सिंगर
केशा
भी
इसी
डिस्ऑर्डर
की
शिकार
थी
और
उन्होने
कई
प्रयासों
और
ट्रीटमेंट
के
द्वारा
अपनी
इस
गंदी
आदत
से
छुटकारा
पा
लिया।
ईटिंग
डिस्ऑर्डर
को
दूर
के
कई
सरल
तरीके
निम्म
प्रकार
हैं
:
1) डिस्आर्डर के आधार पर ट्रीटमेंट करना : किसी भी प्रकार के डिस्ऑर्डर का ट्रीटमेंट करने से पहले उसके बारे में जानना जरूरी होता है कि व्यक्ति कितनी गहराई में उसमें है और उसे कितने समय के लिए थेरेपी या उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है। इस बारे में मरीज से खुलकर बातचीत की जाती है और उसके मन के संकोच को भी निकाला जाता है ताकि वह डॉक्टर को हर बात बता सके।
2) मनोवैज्ञानिक उपचार : ईटिंग डिस्ऑर्डर को दूर करने के लिए मनोवैज्ञानिक उपचार किए जाते है इसके लिए डा. एक ट्रीटमेंट लाइन देना शुरू करता है और निर्णय करता है कि उसे कैसे क्या करना है। इसके लिए उसे मरीज के साथ - साथ उसके परिवारजनों को भी शामिल करना पड़ता है, क्योंकि वहीं लोग उसके साथ हमेशा रहते है। ईटिंग डिस्ऑर्डर को दूर करने के लिए कई प्रकार के मनोवैज्ञानिक उपचार होते है : -
परिवार आधारित थेरेपी - यह एक प्रकार का मनोवैज्ञानिक उपचार होता है जो परिवार के सदस्यों की मदद से किया जाता है। इसमें मरीज के घर वालों को थेरेपी प्रॉसेस सिखाया जाता है ताकि वह अपने मरीज को उस हिसाब से ट्रीट कर सकें।
व्यवहार आधारित थेरेपी - यह शॉर्ट टर्म ट्रीटमेंट होता है जो ईटिंग डिस्ऑर्डर को दूर करने में काफी सहायक सिद्ध होता है। इस थेरेपी की मदद से मरीज के व्यवहार में परिवर्तन लाया जाता है ताकि हर समय उसकी खाने की आदत छूट जाएं।
इंटरपर्सनल साईकोथेरेपी - इंटरपर्सनल साईकोथेरेपी, उस प्रकार के डिस्ऑर्डर के लिए होता है जब लोग तनाव में आकर ज्यादा खाने लगते है। इस थेरेपी में लोगों की टेंशन को दूर कर दिया जाता है और उनकी हर समय खाने की आदत को छुडवाया जाता है।
3)
पोषण
के
बारे
में
जानकारी
:
इस
प्रकार
के
उपचार
में
मरीज
को
पोषण
के
बारे
में
बताया
जाता
है,
उसे
समझाया
जाता
है
कि
उसके
स्वास्थ्य
के
लिए
क्या
सही
है
और
क्या
नहीं।
यह
ईटिंग
डिस्ऑर्डर
को
दूर
करने
का
सबसे
अच्छा
तरीका
होता
है,
इस
तरीके
से
मरीज
को
हेल्थ
कॉन्शियस
कर
दिया
जाता
है
ताकि
वह
कम
से
कम
फालतू
की
चीजें
खाएं।