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पित्त दोष बढ़ने पर आजमाएं ये 5 जड़ी बूटियां
आयुर्वेद के अनुसार पित्त दोष शरीर की चयापचय अभिक्रियाओं को नियंत्रित करता है। पानी और अग्नि से बना हुआ यह दोष पाचन की प्रक्रिया को नियमित करने के साथ हमारी इन्द्रियों के माध्यम से दुनिया के प्रति हमारी धारणा को भी नियमित करता है।
बढ़ती पित्त को कम करने के उपाय
जब पित्त बढ़ जाता है तो व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे स्किन रैश, हार्टबर्न, डायरिया, एसिडिटी, बालों का समय से पहले सफ़ेद होना या बाल पतले होना, नींद न आना, चिडचिडापन, पसीना आना और क्रोध आदि।
ऐसी स्थिति में कुछ जड़ी बूटियों का उपयोग करके पित्त दोष को संतुलित किया जा सकता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों के बारे में बताया गया है।
दिल को स्वस्थ रखने में मदद करे ये 15 जड़ी-बूटियां
ब्राह्मी
ब्राह्मी
को
बहुत
ताकतवर
हर्ब
है
जो
शरीर
को
तरोताजा
करती
है
तथा
एक
अनुकूलक
की
तरह
काम
करती
हैं
जो
शारीरिक
तथा
मानसिक
दोनों
तनावों
से
निपटने
में
सहायक
होती
है।
यह
शरीर
में
पित्त
के
दोष
को
संतुलित
करती
है
तथा
शरीर
को
ठंडा
रखती
है।
इसके
परिणामस्वरूप
शरीर
का
चयापचय
तंत्र
ठीक
तरह
से
कार्य
करता
है।
इसके
अलावा
यह
केन्द्रीय
तंत्रिका
तंत्र
पर
भी
प्रभावी
रूप
से
काम
करती
है
जिसके
परिणामस्वरूप
सीखने
की
क्षमता,
एकाग्रता
और
याददाश्त
बढ़ाने
में
सहायक
होती
है।
इलायची
पित्त दोष से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए इलायची ठंडे मसाले की तरह कार्य करती है क्योंकि यह लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाती है तथा प्रोटीन के चयापचय में सहायक होती है।
शतावरी
शतावरी
एक
ऐसी
जड़ी
बूटी
है
जिसका
उपयोग
प्राचीन
काल
से
महिलाओं
के
प्रजनन
अंगों
को
मज़बूत
बनाने
तथा
उनके
अच्छी
तरह
से
काम
करने
के
लिए
किया
जा
रहा
है।
इसमें
पित्त
को
कम
करने
और
पित्त
से
आराम
दिलाने
का
गुण
होता
है
जिसके
कारण
इसका
उपयोग
अपचन,
इरिटेबल
बाउल
सिंड्रोम
और
हार्टबर्न
के
उपचार
में
किया
जाता
है।
इसके
अलावा
यह
प्रतिरक्षा
कोशिकाओं
को
मज़बूत
बनाती
है
जो
रोगजनक
जीवों
और
कैंसर
कोशिकाओं
को
नष्ट
करने
में
सहायक
होती
है।
इस
प्रकार
यह
प्रतिरक्षा
तंत्र
को
मज़बूत
बनाने
तथा
उसे
व्यवस्थित
करने
में
सहायक
होती
है।
त्रिफला
अपनी अनूठी रचना के कारण त्रिफला में सभी प्रकार के दोषों को संतुलित करने की तथा शुद्ध करने का गुण होता है। अमलाकी तरोताजा करने में सहायक होता है तथा यह प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट की तरह कार्य करता है जो आपके प्रतिरक्षा तंत्र को पोषण प्रदान करता है। हरितकी में बंधनकारी और लेक्सेटिव गुण पाए जाते हैं। बिभितकी भी बंधनकारी और तरोताजा करने वाली हर्ब है जो विशेष रूप से श्वसन तंत्र के अच्छी तरह कार्य करने में सहायक होती है। यदि इसे बताई गयी मात्रा में लिया जाए तो त्रिफला अतिरिक्त पित्त दोष को दूर करने में सहायक होता है। त्रिफला : सभी दुखों का इलाज
केसर
केसर
की
विशिष्टता
यह
है
कि
यह
ठंडक
पहुंचाता
है
जबकि
अन्य
रक्त
वाहक
गर्मी
उत्पन्न
करते
हैं।
ऐसे
व्यक्ति
जो
बढे
हुए
पित्त
दोष
के
कारण
ऑर्थराइटिस,
हेपिटाईटिस
और
मुंहासों
की
समस्या
से
परेशान
हैं
उनके
लिए
केसर
बहुत
लाभकारी
होता
है।
खोजों
से
पता
चला
है
कि
इस
हर्ब
में
एंटीऑक्सीडेंट्स
प्रचुर
मात्रा
में
पाए
जाते
हैं
तथा
इसमें
सूजन
और
कैंसर
से
रक्षा
करने
का
गुण
भी
पाया
जाता
है।
इन सब हर्ब्स के अलावा यह भी आवश्यक है कि पित्त दोष को बढ़ने से बचाने के लिए कुछ बातों पर अमल किया जाए। बहुत अधिक गर्म खाना न खाएं; खाने से पहले इसे कमरे के तापमान तक लायें। मीठे, सूखे, कसैले और कडवे पदार्थ खाएं तथा खट्टे, नमक युक्त, चटपटे और तैलीय पदार्थों का सेवन न करें। ठंडक प्रदान करने वाले तेल जैसे नारियल के तेल से नियमित तौर पर मालिश करें।