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स्ट्रोक के बारे में कॉमन मिथ, इन फैक्ट्स के बारें में नहीं जानते होंगे आप
स्ट्रोक आना हमारे देश समेत ही दुनिया के कई हिस्सों में एक प्रमुख हेल्थ कन्सर्न बन चुका है। साल 2019 में, ये ग्लोबली डेथ के प्रमुख कारणों में से एक था। आज के टाइम में लोग जागरूक हुए हैं और स्ट्रोक के बारें में जानने लगे हैं, लेकिन फिर भी स्ट्रोक के बारें में कई तरह की गलत धारणाएं तैरती नजर आती रहती हैं।
स्ट्रोक उस कंडीशन को कहते हैं, जब कोई चीज़ दिमाग को ब्लड की सप्लाई को रोकने की कोशिश कर सकती है या जब ब्रेन में ब्लड वेसेल फट सकती है। स्ट्रोक के कुछ प्रकार होते हैं और हालांकि ये एक सामान्य स्थिति हो सकती है, इसे अक्सर गलत समझा जाता है। स्ट्रोक के बारे में फैले मिथ इसके नेचर, ये कहां होती है और इसके ट्रीटमेंट क्या है, की सही जानकारी नही है-
स्ट्रोक दिल की नहीं बल्कि दिमाग की समस्या
एक मौजूदा धारणा है कि स्ट्रोक दिल से संबंधित है, ये हार्ट स्ट्रोक जैसे नॉन-क्लिनिकल शब्दो के आकस्मिक यूज के कारण हो सकता है। हालाँकि, सच में, स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है जो मस्तिष्क को प्रभावित करती है। कभी-कभी लोग स्ट्रोक को दिल का दौरा समझ लेते हैं जो ब्लड वेसेल में रुकावट के कारण भी होता है। स्ट्रोक, जिसे ब्रेन अटैक भी कहा जाता है और ये तब होता है जब ब्रेन को ब्लड की की आपूर्ति बंद हो जाती है या ब्लड वेसेल फट सकती है। दोनों ही मामलों में, ये पर्मानेंट ब्रेन डैमेज, लॉग टर्म डिसएबिलिटी और यहां तक कि मौत का कारण बन सकता है। इसलिए, दिल का दौरा पड़ने की तरह, स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है।
स्ट्रोक तेज और चुपचाप दोनों हो सकता है
दूसरी कंडीशन की तरह, स्ट्रोक कई अलग सिमटम्स के साथ आता है और कभी-कभी इसे पहचान सकते हैं, अगर ये हमारे प्रियजनों के साथ होता है। चेहरे का एक तरफ गिरना, चेहरे का सुन्न होना, हाथ कमजोर या सुन्न होना, बोलने में कठिनाई या अस्पष्ट भाषा, और अन्य कुछ सामान्य लक्षण हैं। हालांकि, इन संकेतों के बारे में पता होना चाहिए, इससे पहले कि वे अपने प्रियजनों में उनका पता लगा सकें। हालांकि, किसी को ये भी पता होना चाहिए कि कई स्ट्रोक बिना लक्षणों के भी हो सकते हैं। इन्हें साइलेंट स्ट्रोक कहते हैं। सिरदर्द या चक्कर आने जैसे कम से कम हल्के लक्षणों के साथ हो सकते हैं। आमतौर पर एमआरआई स्कैन के दौरान उनका पता लगाया जाता है।
ट्रीटमेंट है लेकिन समय महत्वपूर्ण
स्ट्रोक के बारे में कुछ गलत धारणाएं हैं कि एक बार हो जाने के बाद, कोई इससे उबर नहीं सकता है। जब स्ट्रोक का इलाज करने की बात आती है तो समय सबसे महत्वपूर्ण है। स्ट्रोक उलटा हो सकता है और अगर पेशेंट समय पर अस्पताल पहुंचता है तो इसका इलाज किया जा सकता है। इस स्थिति का इलाज करते समय कुछ इमरजेंसी ट्रीटमेंट उपलब्ध हैं, जैसे क्लॉट बस्टिंग ड्रग, थक्का हटाने के लिए मिनिमली इनवेसिव मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी, या सर्जरी। हालांकि, ये सारे काम ज्यादा वक्त होने पर ही किये जा सकते हैं।
स्ट्रोक और एस्पिरिन
बहुत से लोग अपने दिल को ब्लॉकेज से फ्री रखने के लिए एस्पिरिन की कम खुराक का सेवन करते हैं। एस्पिरिन ब्लड प्लेटलेट्स की चिपचिपाहट को कम करता है और थक्का बनने की उनकी क्षमता को कम करता है। बहुत से लोग सोचते हैं कि स्ट्रोक के दौरान एस्पिरिन लेने से उन्हें बचाया जा सकता है। ये उन्हें कुछ मामलों में बचा सकता है लेकिन स्ट्रोक विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। अगर ये इस्केमिक स्ट्रोक है, तो इसका कारण ब्लड का क्लॉट होना चाहिए। कुछ मामलों में एस्पिरिन इन क्लॉट को पतला करने में मदद कर सकती है लेकिन अगर ये ब्लडी स्ट्रोक है, जो ब्लेड वेसेल के फटने के कारण होता है, तो इन मामलों में एस्पिरिन और नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए, दवा लेने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना जरूरी है।
(Reference- www.osfhealthcare.org)