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Krishna Janmasthmi special: भगवान कृष्ण को अतिप्रिय है बांसुरी, जानें इसे बजाने के फायदे
जब कभी हम बांसुरी की सुरीली धुन सुनते है या इसे किसी के हाथ में देखते है तो हमारे दिमाग में सबसे पहले भगवान कृष्ण की छवि उतर जाती है। बांसुरी भगवान कृष्ण से जुड़ा वाद्ययंत्र है। इसकी धुन हर किसी के मन को रोमांचित कर देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बांसुरी बजाने के कई अलग-अलग फायदे हैं जो आपको और आपके आस-पास के लोगों आनंदित महसूस करवाता है।
फेफड़े होते है मजबूत
आजकल वायु प्रदूषण के कारण हमारी मुख्य मांसपेशियां जैसे फेफड़े और श्वसन नली कमजोर होती जा रही है लेकिन जब आप धीरे-धीरे बांसुरी बजाना शुरू करेंगे तो आपकी मांसपेशियां मजबूत और मजबूत होती जाएंगी। बांसुरी बजाने से फेफड़ों की क्षमता में सुधार होता है। इससे डायफ्राम मजबूत होने के साथ ही इम्यूनिटी बढ़ेगी। बांसुरी बजाने से हमारा समग्र स्वास्थ्य बेहतर होता है।
आपकी याददाश्त क्षमता को बढ़ाता है
अध्ययनों से पता चला है कि संगीत सुनना और संगीत बजाना सीखना दोनों ही आपकी याददाश्त को बढ़ाने का काम करता है। आप न ये आपकी मेमोरी को बूस्ट करता है, बल्कि आप अधिक समय चीजें आराम से याद भी रखेंगे।
आपको संगठित और प्रंबंधित करने में करता है मदद
एक अनुभवी संगीतकार जानता है कि प्रैक्टिस के लिए मात्रा से ज्यादा गुणवत्ता महत्व रखती है। इसलिए संगीतकार प्रत्येक अभ्यास सत्र का अधिकतम लाभ उठाने के लिए अपने समय को व्यवस्थित और योजनाबृद्ध तरीके से प्राथमिकता देते हैं।
बॉडी कॉर्डिनेशन को बनाता है बेहतर
ऑनलाइन बांसुरी सिखाने वाली एक साइट लर्न ऑनलाइन फ्लूट की मानें तो मेमोरी बूस्ट के करने के अलावा बांसुरी बजाने से बॉडी कॉर्डिनेशन बेहतर होती है। बांसुरी सीखने के लिए हाथ से आंख का कॉर्डिनेशन करना जरुरी होता है। क्योंकि लय, ताल, सांस और उंगुलियों के पैर्टन को याद रखने के साथ बांसुरी बजाते हुए हाथों और आंख का कॉर्डिनेशन भी जरुरी होता है।
तनाव और मूड बूस्टर
हजारों लोग आज अवसाद की समस्या से पीड़ित हैं। तबला, बांसुरी या पियानो के माध्यम से सुंदर संगीत की ध्वनि मन को शांति देता है। रोजमर्रा के काम और परेशानियों के तनाव और चिंताओं से छुटकारा दिलाती है। बांसुरी का मधुर संगीत भावनात्मक रुकावटों को दूर करने और तनाव को कम करने में मदद करता है।
बांसुरी से जुड़ा मेनेजमेंट फंडा
बांसुरी में तीन गुण होने की वजह से वे हमेशा श्री कृष्ण को अति प्रिय रही है। एक बांसुरी में कुल आठ छेद होते है जिसमें पहला छेद मुंह के पास होता है, जिससे हवा फूंकी जाती है और छह छेद सरगम के लिए होते हैं। जिन पर उंगलियां रखी जाती है वहीं आठवां छेद है वो सुर या ट्यूनिंग के लिए भी होता है।
बांसुरी बनाना मतलब केवल बांस में छेद करना ही नही होता है, इसके पीछे लाइफ से जुड़ा एक मैनेजमेंट फंडा है। अगर एक भी छेद गलत हो गया तो फिर वह बांसुरी बेसुरी आवाज निकालती है। जिससे पूरी बांसुरी किसी काम की नहीं रहती है। कहने वाली बात ये है कि बांसुरी बनाने में ज्यादा वक्त नहीं लगता है, लेकिन टयूनिंग में बहुत समय लगता है। एक भी गलत जगह छेद आपकी पूरी मेहनत बर्बाद कर देती है।
मेडिटेशन का एक रूप
स्प्रिचुअल साइट स्पीकिंग ट्री ने बांसुरी बजाने को मेडिटेशन करना बताया है। वाद्य यंत्र बजाते समय की जाने वाली श्वास की नियमित गति प्राणायाम के समान होती है। इसलिए, बांसुरी बजाना मेडिटेशन का एक रूप है।