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कजरी तीज 2018: पति की दीर्घायु के लिए करे ये व्रत, यहां पढ़ें पूरी कथा
भादो माह के कृष्ण पक्ष की तीज को कजरी तीज मनाई जाती है। अन्य तीजों की तरह इस तीज का भी बड़ा ही महत्त्व है। यह व्रत सुहागन औरतें अपने पति की लंबी आयु की कामना करने के लिए करती हैं। इसके अलावा कुँवारी कन्याएं भी अपना मनपसंद वर पाने की इच्छा के साथ इस दिन व्रत और पूजा करती हैं।
आपको बता दें इस बार कजरी तीज 29 अगस्त बुधवार को है। आइए जानते हैं इस पूजा की विधि, कथा और महत्त्व के बारे में।
औरतें खेलती हैं कजरी
कजरी तीज या कजली तीज पर सुहागन औरतें कजरी खेलने अपने मायके जाती हैं। रात भर महिलाएं जागती हैं, साथ ही कजरी खेलती और गाती भी हैं।
औरतें खूब झूमती नाचती हैं इसके अलावा इस अवसर पर घर में झूला डाला जाता है जिस पर बैठकर महिलाएं अपनी ख़ुशी जाहिर करती हैं। इसके अलावा शुद्ध देसी घी के पकवान बनाए जाते हैं और इन्हीं पकवानों से अपना व्रत खोलती हैं।
कजरी तीज पर गायों की भी पूजा करने की विशेष परंपरा है। शाम को व्रत तोड़ने से पहले महिलाएं 7 रोटियों पर चना और गुड़ रखकर गाय को खिलाती हैं।
माना जाता है कि यह व्रत तब तक पूरा नहीं होता जब तक कि इसकी व्रत कथा पढ़ी या सुनी ना जाए।
कजरी तीज का महत्व
हिंदू धर्म में कजरी तीज का बड़ा ही महत्त्व है। इस दिन सुहागन औरतें सोलह श्रृंगार करके माता पार्वती और शिव जी की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी आयु और परिवार में सुख शांति के लिए प्रार्थना करती हैं। कहते हैं माता पार्वती ने भी इसी प्रकार कठोर तपस्या करके शिव जी को पति के रूप में प्राप्त किया था।
ऐसी मान्यता है कि यदि कुंवारी कन्याएं इस दिन पूरे विधि विधान से शिव पार्वती की उपासना करती हैं तो उनकी कुंडली में से विवाह में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और उन्हें मनचाहा वर भी प्राप्त होता है।
कजरी तीज व्रत और पूजन विधि
इस दिन सभी स्त्रियों को पूरे सोलह श्रृंगार करना चाहिए जिसमें मेहँदी और चूड़ी सबसे ज़रूरी है। कजरी तीज पर निर्जला व्रत रखना चाहिए उसके बाद शाम को मंदिर जाकर शिव और पार्वती जी की उपासना करनी चाहिए। भगवान के आगे घी का दीपक जलाकर औरतें व्रत कथा पढ़ती या सुनती हैं। इसके अलावा पार्वती जी और भोलेनाथ के मंत्रों का जप भी करना बेहद शुभ होता है। पूजा समाप्त होने के बाद सुहागन औरतों को दूसरी सौभाग्यवती स्त्री को शृंगार की वस्तुएं दान करनी चाहिए।
इस दिन भूलकर भी काले या सफ़ेद वस्त्र का प्रयोग न करें। हरे और लाल रंग के वस्त्र का ही प्रयोग करें।
कजरी तीज पूजन सामग्री
हल्दी, कुमकुम, काजल, मेहंदी, मौली, शुद्ध देसी घी और धूप
कजरी तीज व्रत कथा
एक गांव में एक निर्धन ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे। एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने अपने पति से कहा कि स्वामी आज मेरा कजरी तीज का व्रत है इसलिए मुझे चने का सत्तू ला दीजिए। इस पर ब्राह्मण बोला की मैं निर्धन तुम्हारे लिए सत्तू कहा से लाऊं किन्तु उसकी पत्नी ज़िद्द करने लगी। थक कर ब्राह्मण को अपनी पत्नी की बात माननी पड़ी और वह रात को सत्तु लेने घर से निकल पड़ा।
चलते चलते वह एक साहूकार की दुकान पर पहुंचा और सत्तू लेकर अपनी पोटली में बांधकर जाने लगा। तभी खटपट की आवाज़ सुनकर साहूकार का नौकर जाग गया और चोर चोर करके चिल्लाने लगा। इतने में साहूकार भी आ गया और सब ने मिलकर उस ब्राह्मण को पकड़ लिया। तब ब्राह्मण ने साहूकार को बताया कि उसकी पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखा है और पूजा के लिए उसे सवा किलो सत्तु की आवश्यकता है।
जब साहूकार ने ब्राह्मण की तलाशी ली तो उसे केवल उसके पास से सत्तू ही मिला तब साहूकार ने ब्राह्मण से कहा कि वह उसकी पत्नी को अपनी धर्म बहन बनाएगा। इतना कह कर साहूकार ने ब्राह्मण को सवा किलो सत्तु के अलावा पूजा की अन्य समाग्री भी देकर ख़ुशी ख़ुशी विदा किया। घर पहुंचकर ब्राह्मण ने अपनी पत्नी को सारी बात बतायी और दोनों ने मिलकर पूरे विधि विधान से पूजा की। इस प्रकार ब्राह्मण की पत्नी की पूजा उस साहूकार की सहायता से पूरी हो गयी।