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लक्ष्मण की मृत्यु के पीछे श्री राम का था हाथ!

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जब भी भाइयों के प्रेम की बात होती है तो प्रभु श्री राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण की मिसाल दी जाती है। लक्ष्मण जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन अपने बड़े भाई श्री राम की सेवा में लगा दिया उनके लिए तो यही परम सुख था। फिर भी ऐसी कौन सी वजह थी जो श्री राम को अपने प्राणों से भी प्रिय भाई को मृत्युदंड देना पड़ा था।

जी हाँ बहुत कम लोग इस बात को जानते होंगे कि श्री राम को अपने एक वचन के कारण लक्ष्मण जी का त्याग करना पड़ा था। आइए जानते हैं क्या है इस कहानी के पीछे का रहस्य।

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जब यमदेव श्री राम से मिलने आए

एक कथा के अनुसार एक दिन यमराज श्री राम से किसी गंभीर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अयोध्या आए। लेकिन बातचीत शुरू करने से पहले एक वचन मांगा कि उनकी चर्चा खत्म होने से पहले कोई भी बीच में आकर उन्हें परेशान न करे। यदि ऐसा हुआ तो श्री राम उसे मृत्युदंड दे दें। श्री राम ने यमदेव की बात मान ली और उन्हें वचन दे दिया, साथ ही लक्ष्मण जी को बाहर द्वारपाल बनकर खड़े रहने का आदेश दिया। उन्होंने लक्ष्मण जी से यह भी कहा कि जब तक वह न कहें किसी को भी अंदर न आने दिया जाए।

क्रोधित हो गए ऋषि दुर्वासा

अपने बड़े भाई की आज्ञा का पालन करते हुए लक्ष्मण जी वहीं द्वार पर खड़े होकर श्री राम के अगले आदेश की प्रतीक्षा करने लगे। थोड़ी देर बाद ऋषि दुर्वासा वहां पधारे और श्री राम से मिलने की बात कहने लगे। यह सुनकर लक्ष्मण जी ने बहुत ही आदरपूर्वक उन्हें श्री राम की कही हुई सारी बात बताई किन्तु ऋषि दुर्वासा को यह सब सुनकर बहुत गुस्सा आ गया और उन्होंने लक्ष्मण जी से कहा कि यह उनका अपमान है इसलिए अगर श्री राम फ़ौरन उनसे मिलने नहीं आए तो वे पूरे अयोध्या को श्राप दे देंगे।

लक्ष्मण जी ने श्री राम की आज्ञा का किया उल्लंघन

कहते हैं लक्ष्मण जी ऋषि दुर्वासा की बात सुनकर चिंतित हो गए अब उनके सामने एक बड़ी दुविधा थी कि वे किसकी बात माने क्योंकि उनके लिए दोनों की आज्ञा का पालन करना बेहद ज़रूरी था। अंत में लक्ष्मण जी ने यह निर्णय लिया कि वे श्री राम के पास जाकर उन्हें ऋषि दुर्वासा के आने की सूचना देंगे इसके लिए चाहे उन्हें अपने प्राणों की आहुति ही क्यों न देनी पड़े पर उनके ऐसा करने से समस्त अयोध्या सुरक्षित हो जाएगा।

श्री राम ने दिया लक्ष्मण जी को श्राप

श्री राम की आज्ञा का करते हुए लक्ष्मण जी फ़ौरन उस कक्ष में प्रवेश कर गए जहां उनके बड़े भाई और यमदेव के बीच चर्चा चल रही थी। लक्ष्मण जी को देख श्री राम हैरान रह गए। तब लक्ष्मण जी ने उन्हें ऋषि दुर्वासा के आने की सूचना दी और सारी बात बताई। ऋषि दुर्वासा के आने की खबर मिलते ही श्री राम उनसे मिलने पहुंचे और उनका खूब आदर सत्कार किया। किन्तु मन ही मन उन्हें लक्ष्मण जी की चिंता सता रही थी पर रघुकुल की रीत के अनुसार भले ही अपने प्राणों से हाथ धोना पड़े लेकिन किसी को दिया हुआ वचन कभी खाली नहीं जाना चाहिए इसलिए श्री राम ने अपने प्रिय अनुज को मृत्युदंड दे दिया।

लक्ष्मण जी ने ली जल समाधी

लक्ष्मण जी को मृत्युदंड देने से पहले श्री राम बहुत ही दुखी और दुविधा में थे। ऐसे वक़्त में उन्होंने अपने गुरु का स्मरण किया और उनसे सही रास्ता दिखाने को कहा तब उनके गुरु ने उनसे कहा कि अपने किसी प्रिय का त्याग करना ही उसकी मृत्यु के समान है और श्री राम को अपने वचन का पालन करने को कहा। लक्ष्मण जी को श्री राम से दूर रहना मंज़ूर नहीं था इसलिए अंत में उन्होंने अपने बड़े भाई के लिए अपने प्राण त्यागने का निर्णय लिया और जल समाधी ले ली।

English summary

know all about laxman death in ramayana

Read on to find out what were the events which led to this mishap and Lord Ram had to get Lakshmana punished in such a severe manner.
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