Just In
- 1 hr ago LokSabha Chunav 2024 : सही करो मतदान तो, हो उत्तम सरकार... इन संदेशों से लोगों को वोटिंग के लिए करें प्रेरित
- 2 hrs ago नारियल पानी Vs नींबू पानी, गर्मियों में हाइड्रेड रहने के लिए क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?
- 4 hrs ago Mukesh Ambani Quotes On Success: हर युवा को प्रेरित करते हैं मुकेश अंबानी के ये विचार
- 4 hrs ago Happy Birthday Mukesh Ambani: बुलंदियों पर पहुंचकर भी जड़ों को न भूलने वाले मुकेश अंबानी को दें जन्मदिन की बधाई
Don't Miss
- Travel दुनिया के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट्स की लिस्ट में दिल्ली का IGI एयरपोर्ट भी शामिल
- News Lok Sabha Election 2024: ब्रेन सर्जरी के बाद एक्टिव दिखे सद्गुरु, कोयंबटूर में जग्गी वासुदेव ने डाला वोट
- Automobiles नई Land Rover Defender के साथ नजर आयी बॉलीवुड सिंगर Neha Kakkar, कीमत जान होश उड़ जाएंगे!
- Movies राजकुमार हिरानी के बेटे वीर हिरानी करने जा रहे हैं अपना एक्टिंग डेब्यू, इस प्रोजेक्ट में आएंगे नजर?
- Technology Samsung Galaxy M35 भारत में 6000mAh बैटरी के साथ होगा लॉन्च, यहां जानें सबकुछ
- Finance Bangalore के लोगों को मिल सकती है चिलचिलाती गर्मी से राहत, आज हो सकती है तेज बारिश
- Education Jharkhand Board 10th Result 2024:कुछ ही देर में आएगा झारखंड बोर्ड 10वीं का परिणाम, कैसे चेक करें JAC Result
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
क्यों कहलाते हैं श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम, जानिये
हिंदू धर्म में श्री राम सबसे श्रद्धेय देवताओं में से एक हैं। ये भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे। हम बचपन से ही रामायण से जुड़ी कई कहानियां सुनते आ रहे हैं और ये सारी कहानियां हमें काफी प्रेरित भी करती हैं। अपने भक्तों के लिए श्री राम पूर्णता का अवतार हैं लेकिन क्या अापने कभी यह सोचा है कि श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम क्यों कहा जाता है। आज हम आपको इसके पीछे का सत्य बताएंगे।
तो चलिए जानते हैं आखिर क्यों कहलाते हैं प्रभु श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम।
मर्यादा पुरुषोत्तम का अर्थ
मर्यादा पुरुषोत्तम संस्कृत का शब्द है मर्यादा का अर्थ होता है सम्मान और न्याय परायण, वहीं पुरुषोत्तम का अर्थ होता है सर्वोच्च व्यक्ति। जब ये दोनों शब्द जुड़ते हैं तब बनता है सम्मान में सर्वोच्च। श्री राम ने कभी भी अपनी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। उन्होंने सदैव अपने माता पिता और गुरु की आज्ञा का पालन किया। साथ ही अपनी समस्त प्रजा का भी ख्याल रखा। वे न सिर्फ एक आदर्श पुत्र थे बल्कि आदर्श भाई, पति और राजा भी थे।
क्यों कहा जाता है श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम
श्री राम अपने सभी भक्तों को बहुत ही प्रिय हैं और सभी उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। इतना ही नहीं श्री राम अपने परिवार और पूरे अयोध्या में भी सबके चहेते थे क्योंकि वह अपने सभी कर्त्तव्यों का पालन पूर्णता के साथ करते थे। श्री राम हर रूप में सभी के लिए एक आदर्श थे।
एक पुत्र के रूप में श्री राम
श्री राम राजा दशरथ के पुत्र थे और अयोध्या के राजकुमार। इस संसार में जहां भाई बहन संपत्ति के लिए आपस में ही लड़ रहे हैं, वहीं श्री राम ने अपने भाई भरत के लिए पूरा अयोध्या राज्य त्याग दिया था जब उनकी सौतेली माता कैकेयी ने उन्हें वनवास जाने का आदेश दिया था।
हालांकि श्री राम के पिता राजा दशरथ ऐसा कभी नहीं चाहते थे लेकिन कैकेयी को दिए हुए अपने वचन के कारण वे विवश थे। अपने पिता के वचन को निभाने की खातिर श्री राम ने वनवास जाने का निर्णय लिया था और चौदह वर्षों तक अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वन में रहे थे। यह इस बात का प्रमाण है कि वह किसी भी हालत में अपने माता पिता का अनादर नहीं कर सकते थे।
श्री राम एक भाई के रूप में
श्री राम के तीन भाई थे भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न। तीनों अपने बड़े भाई का बहुत आदर करते थे। श्री राम इन तीनों के लिए एक आदर्श थे। राम जी के वनवास जाने के पश्चात सारा राजपाट भरत को सौंप दिया था लेकिन फिर भी अपने छोटे भाई के प्रति उनका प्रेम कम नहीं हुआ। वनवास के दौरान जब भी भरत राम जी से मिलने आते श्री राम हमेशा एक बड़े भाई की तरह उनका मार्गदर्शन करते।
श्री राम एक पति के रूप में
श्री राम हमेशा अपने कार्यों में व्यस्त रहते थे। कभी वे ऋषि मुनियों के साथ मिलकर अपने राज्य की उन्नति पर चर्चा करते तो कभी अपने भक्तो को दानवों के अत्याचारों से मुक्त कराने में लगे रहते थे। किन्तु इतनी व्यस्तता के बावजूद वे अपनी पत्नी देवी सीता का पूरा ध्यान रखते।
वे उनकी सुरक्षा को लेकर इतने गंभीर रहते थे कि उन्होंने माता सीता को आदेश दिया था कि उनकी गैर हाजिरी में वे कहीं बाहर न निकलें।
वनवास के दौरान एक दिन जब माता सीता ने सोने के हिरण की मांग की तो श्री राम उनकी इच्छा पूर्ति के लिए अपनी कुटिया से बाहर गए। तब उन्होंने लक्ष्मण जी को माता सीता की रक्षा करने के लिए कहा। लक्ष्मण जी ने एक रेखा खींच कर अपनी भाभी से अनुरोध किया कि वे इसे पार करके बाहर न आएं। इतने में रावण एक साधु का वेश धारण कर वहां पहुंच गया और माता सीता से भिक्षा मांगने लगा जैसे ही माता लक्ष्मण रेखा लांघ कर बाहर निकली रावण ने उनका अपहरण कर लिया।
श्री राम एक राजा के रूप में
बाकी सबसे ज़्यादा, श्री राम एक आदर्श राजा थे। कहा जाता है कि वनवास के बाद जब वे अयोध्या के राजा घोषित हुए तब उनके राज्य में कभी कोई चोरी, डकैती नहीं होती थी न ही कोई भी भूख से मरता था। साथ ही उनके अंदर निर्णय लेने की क्षमता गजब की थी। जब कुछ लोगों ने देवी सीता के चरित्र पर उंगली उठाई और कहा कि उन्हें वापस वनवास भेज दिया जाए तो श्री राम के लिए यह निर्णय लेना बहुत ही कठिन था लेकिन फिर भी उनके लिए अपने रिश्तों से ज़्यादा उनकी प्रजा मायने रखती थी इसलिए उन्होंने अपनी प्रजा को हमेशा ज़्यादा महत्त्व दिया।