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ये आदतें बना देती हैं आपको बेकार माता-पिता
माता-पिता बनने के बाद जीवन उतना सामान्य नहीं रह जाता है जितना प्रतीत होता है। बच्चे के साथ, दोस्ताना व्यवहार रखते हुए उसकी देखभाल काफी कठिन कार्य होता है।
आपको अपने बच्चे को जीवन के सभी पहलुओं के बारे में शिक्षा देनी चाहिए, उसे इस प्रकार समझाएं कि वह भली-भांति उसे समझ पाएं। बच्चे को जब भी कुछ सिखाएं तो प्यार और देखभाल की भावना के साथ समझाना चाहिए।
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बच्चे को कभी भी बोझ न समझें और न ही उसे ऐसा जताएं कि आपको उसकी वजह से कितनी दिक्कतें होती है। कई बार बच्चों को आपका असल प्यार दिखाई नहीं देता है और उनकी आपसे दूरी बढ़ जाती है।
कुछ मामलों में, आपका बच्चा, आपसे कहीं अधिक परिपक्व हो सकता है। उसका नाजुक सा मन और दिल, उन बातों को भी समझ सकता है जो उसके आसपास घटित हो रहा होता है, बस उसके पीछे की वजह समझने में उसे देर लग सकती है।
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अगर आप अपने बच्चे पर किसी बात को लेकर चिल्लाते हैं तो उसे इसकी वजह समझ न आएं, पर वह आपको मन ही मन बुरा मान सकता है। अपने बच्चे के साथ दोस्ताना व्यवहार रखना, उसकी बातों को अच्छी तरह सुनना बेहद आवश्यक होता है, वरना आप एक खराब अभिभावक के रूप में जाने जाएंगे। इस आर्टिकल में हम आपको बुरे अभिभावकों के लक्षण बता रहे हैं जिनके बारे में आपको भी मालूम होना चाहिए:
निराश करना -
जो माता-पिता अपने बच्चे के प्रयासों की सराहना नहीं करते हैं और न ही उसके कार्यों को देखते हैं वो अपने बच्चों को निराश कर देते हैं। हमेशा याद रखिए, अगर बच्चा प्रयास करता है तो उसकी सराहना करें, उसे प्रोत्साहित करें और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।
प्रतिबंध लगाना-
बच्चों पर पाबंदी या प्रतिबंध न लगाएं। उन्हें दूसरों बच्चों के साथ खेलने दें, तरह-तरह के फूड को खाने दें और नई-नई चीजों की खोज करने दें। इससे उन्हें सीखने को मिलेगा और अच्छी व बुरी चीजों में फर्क पता चलेगा। याद रखें, बच्चा स्वयं से अधिक सीखता है और प्रकृति ही सबसे बड़ी शिक्षक होती है।
बच्चे की राय न पूछना-
कई लोगों को लगता है कि बच्चे से उसकी राय पूछना बेकार होता है। लेकिन ऐसा नहीं है, बच्चे से उसकी राय अवश्य पूछें। उसे क्या पसंद है, वह क्या करना चाहता है, उसे क्या चाहिए आदि...ऐसा करने से बच्चे को अपना महत्व समझ में आएगा और वह परिवार व आपके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी समझेगा।
दोस्ताना व्यवहार न रखना-
माता-पिता अगर सख्त मिजाज के होते हैं तो बच्चों का विकास भयमुक्त वातावरण में नहीं हो पाता है। ऐसे में वो अपनी बात कभी नहीं कह पाते हैं और दब्बू बनकर रह जाते हैं। बच्चे के साथ दोस्ताना व्यवहार रखना बेहद आवश्यक होता है ताकि उसमें आत्मविश्वास आ सकें और वह जीवन में सफल हो सकें। बच्चे के साथ अपनी समस्याएं कहें और उसकी भी समस्या कहें, इस तरह एक प्यारा सा बंधन बनाएं।
हमेशा डांटना या चिल्लाना-
जब आप बच्चे को जन्म देते हैं तो उसे जीवन देते हैं। बेहतर होगा अगर उसका जीवन अच्छा बनाएं। कई अभिभावक अपने बच्चों पर हमेशा चिल्लाते रहते हैं, हर बात में डपटते रहते हैं और हर बात में ताना देते हैं। ऐसा न करें, अपने बच्चे पर हर बात पर न चिल्लाएं। गलती होने पर समझाएं, प्यार से सही गलत का फर्क बताएं। जब बिल्कुल न मानें, तब ही डांट लगाएं।
बच्चे की आलोचना करना-
कई माता-पिता दूसरों के सामने अपने बच्चे का मजाक बनाते हैं और उसकी भावनाओं को नहीं समझते हैं। बच्चे के मन की बात समझें और उसकी हंसी न बनाएं। इससे बच्चे को शर्मिंदगी महसूस होती है और उसके बाल मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे बच्चे बढ़ने होने के बाद भी दब्बू और शर्मीले रहते हैं।
बच्चे के सामने झगड़ा करना-
कई माता-पिता अपने बच्चे के सामने ही झगड़ा करते हैं। ऐसा कतई न करें, इससे बच्चे पर बहुत बुरा असर पड़ता है और उसके मन में अपने माता-पिता की अच्छी छवि नहीं रह जाती है। भले ही आप बहुत अच्छे दम्पत्ति हों लेकिन बच्चा आपको हमेशा बुरा ही मानेगा।