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जानें प्रेगनेंसी में बच्चे की किक की गिनती रखना क्यों है जरूरी
गर्भ में शिशु की हर हरकत का मां को एहसास होता रहता है। कहते हैं कि मां बनना इस दुनिया में सबसे ज्यादा सुख देता है। प्रेगनेंसी में हर महिला को उस दिन का इंतजार होता है जब वो अपने बच्चे को अपनी गोद में ले सके। शिशु मां के गर्भ में नौ महीने तक सुरक्षित रहता है। आपने कई बार सुना होगा कि शिशु गर्भ में किक यानी लात मारते हैं लेकिन आपको बता दें कि शिशु पहले किक नहीं मारते बल्कि पहले वो गर्दन को झुकाते हैं और फिर उनके शरीर का कोई और हिस्सा मूव करना शुरु करता है। ये प्रेगनेंसी के सातवे हफ्ते के आसपास होता है।
बच्चे के किक मारने से पता चलता है कि गर्भ में उसका विकास सही तरह से हो रहा है। गर्भावस्था के दौरान ये ध्यान रखना जरूरी है कि शिशु कितनी बार किक मार रहा है। अगर शिशु कम किक मारता है तो ये किसी समस्या का संकेत हो सकता है। इसमें कमी आने का मतलब एमनिओटिक फ्लूइड या रप्चर्ड एमनिओटिक सैक में कमी हो सकती है। इसलिए अधिकतर महिलाओं को शिशु के किक मारने की संख्या को याद रखने की सलाह दी जाती है। किसी भी तरह की मुश्किल से बचने के लिए प्रेगनेंसी के 28वें सप्ताह में शिशु के किक मारने की संख्या को लेकर एक चार्ट तैयार करना चाहिए।
कैसे करें गिनती
उस टाइम को नोट करें जब गर्भस्थ शिशु सबसे ज्यादा एक्टिव होता है। ये समय दोपहर या हल्का खाना खाने के बाद हो सकता है। जब आपको पता चले कि बच्चा सो नहीं रहा है बल्कि जाग रहा है तो आराम से पैरों को ऊपर रख कर या करवट लेकर लेट जाएं और अपने बच्चे की मूवमेंट पर ध्यान दें। गर्भ में शिशु की हर मूवमेंट को गिनें। वो कितने समय में कितनी बार मूव कर रहा है, इसे नोट करें। आमतौर पर इसमें 10 से 15 मिनट का समय लगता है लेकिन कई बार आपको दो घंटे तक का भी समय लग सकता है। मोटी महिलाओं को किक नोटिस करने में ज्यादा समय भी लग सकता है।
10 किक काउंट करने में 2 घंटे का समय लगता है। इसके बाद आपको इन सब के बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। शिशु की हार्ट रेट चैक करने के लिए डॉक्टर नॉन स्ट्रेस टेस्ट कर सकते हैं। इस दौरान आपको थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए। अगर आपको शिशु की कोई भी मूवमेंट महसूस नहीं होती है तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।