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क्या है पैप स्मीयर टेस्ट, 30 साल के बाद महिलाओं के लिए क्यूं है जरुरी?
पूरी
दुनिया
में
दस
में
एक
महिला
सर्वाइकल
कैंसर
जैसी
खतरनाक
बीमारी
की
शिकार
है।
भारत
में
जागरूकता
और
इलाज
की
कमी
की
वजह
से
यह
बीमारी
जानलेवा
साबित
हो
रही
है।
महिलाओं
को
इस
बीमारी
के
इलाज
की
जानकारी
भी
नहीं
होती
है।
इसे
बच्चादानी,
गर्भाशय
या
फिर
यूट्राइन
सर्विक्स
कैंसर
भी
कहा
जाता
है।
सर्वाइकल
कैंसर
हृयुमन
पैपीलोमा
वायरस
(एचपीवी)
के
कारण
होता
है।
इसके
ज्यादा
तर
केस
40
साल
या
इससे
ऊपर
की
महिलाओं
में
देखे
गये
हैं।
एक
अनुमान
के
मुताबिक
गर्भाशय
कैंसर
हर
साल
दुनिया
में
ढाई
लाख
और
भारत
में
हर
साल
भारत
में
3
में
से
1
महिला
की
मौत
गर्भाशय
कैंसर
के
कारण
हो
रही
है।
अगर
आप
समय
रहते
सर्वाइकल
यानी
गर्भाशय
कैंसर
के
बारे
में
मालूम
कर
लेती
है
तो
इससे
बचाव
भी
मुश्किल
हैं।
यदि
आपकी
उम्र
30
साल
से
ऊपर
है
तो
आपको
पैप
स्मीयर
टेस्ट
या
पैप
टेस्ट
नियमित
रुप
से
कराना
चाहिए।
महिलाओं को यह जांच कराना बहुत जरूरी है। यदि पैप स्मीयर टेस्ट समय पर करा लिया जाये तो महिलाओं में गर्भाशय कैंसर होने से रोका जा सकता है। पैप स्मीयर टेस्ट के जरिए सही समय पर यूटरस कैंसर का पता लगाया जा सकता है। आइए जानते है इस टेस्ट से जरुरी बातें।
क्यों जरूरी है टेस्ट
पैप स्मीयर टेस्ट में गर्भाशय ग्रीवा या सर्विक्स में आए बदलावों की जांच की जाती हैं। इस जांच में माइक्रोस्कोप से गर्भाशय के आंशकित हिस्से से कुछ कोशिकाएं की लेकर कैंसर सेल्स की पहचान करने की कोशिश की जाती है कि यदि वे कैंसर ग्रस्त हैं तो इसका कौन सा स्टेज है।
कैसे होता है पैप स्मीयर टेस्ट
इस टेस्ट में राउंड स्पैचुला को गर्भाशय की बाहरी परत पर धीरे से घिसने के बाद जमा हुए सेल्स की जांच की जाती है। माइक्रोस्कोप से यह जांच किया जाता है कि कहीं इन सेल्स में कोई एबनॉर्मल सेल्स तो नहीं। इसमें यह भी पता चल जाता है कि नए सेल्स सामान्य तरह से बन रहे हैं या नहीं। यदि सेल्स के बनने और उनके डेथ होने में कोई असमान्यता होती है तो इस जांच के जरिये उसकी जानकारी हो जाती है।
जांच के दौरान
जांच के दौरान आपको थोड़ा सा दबाव जैसा महसूस हो सकता है, टेस्ट के बाद थोड़ा बहुत खून भी बह सकता है। टेस्ट के रिजल्ट न आ जाएं तब तक यौन संबंध बनाने से परहेज करें।
30 साल या उससे ज्यादा
यह जांच उन सभी महिलाओं को कराना जरूरी है, जिनकी उम्र 30 या उससे अधिक है। इसके अलावा यह टेस्ट उन महिलाओं के लिए भी जरूरी है, जो सेक्सुअली ज्यादा एक्टिव हैं। इसे एक से तीन साल के बीच में हमेशा कराते रहना चाहिए। यदि कोशिकाओं में किसी तरह के बदलाव पाए जाते हैं, तो यह जांच इससे भी कम समय में दोहराना पड़ सकता है।
गर्भाशय कैंसर के लक्षण
गर्भाशय में एक बार एचपीवी का संक्रमण होने के बाद यह 5-8 साल के बाद यह गतिशील होना शुरू करता है। इस दौरान यह लक्षण नजर में आने लगते है।
- इसमें गर्भाशय के नीचे की तरफ एक दाने की तरह बन जाता है।
- पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाने के दौरान ब्लीडिंग हो तो समस्या हो सकती है।
- इसके अलावा, यौन संबंध के दौरान दर्द, भूख में कमी, वजन में कमी, पीठ में दर्द, एक पैर में सूजन।
- गर्भाशय ये यूरिन निकलना भी एचवीपी वायरस के संक्रमण के संकेत हो सकते हैं।
- जांच के 24 घंटे पहले तक शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करें।
- इस जांच से पहले वजाइना में किसी तरह की क्रीम का प्रयोग न करें।
- ओव्यूलेशन के दौरान सर्विक्स मुलायम होती हैं और खुल जाती हैं, इसलिए टेस्ट के लिए यह बेहतर समय है।
- अगर परिवार में किसी को गर्भाशय कैंसर है तो 40 साल के बाद एक बार मेमोग्राफी जांच जरूर करायें।
21 से 69 उम्र तक की महिलाएं कराए जांच
अगर आपकी उम्र 21 से 29 साल के बीच में है और आप सेक्सुअली एक्टिव है तो हर 3 साल में आपकों पैप टेस्ट एक बार करवा देना चाहिए, अगर आपकी उम्र 30 से 65 के बीच है तो आपको प्रत्येक 3 से 5 साल के बीच टेस्ट करवा लेना चाहिए। अगर आप 65 वर्ष के आसपास है तो डॉक्टर के अनुसार ही ये टेस्ट करवाएं।
इन बातों का रखें ध्यान
पीरियड के दौरान या उससे 4-5 दिन बाद तक पैप स्मीयर टेस्ट नहीं कराना चाहिए।