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अपरा एकादशी: इस दिन मिलता है भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद, जरूर पढ़ें व्रत कथा
हिंदू धर्म मानने वाले लोगों के लिए एकादशी का दिन बहुत खास होता है। अपरा एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन रखा जाता है। अपरा एकादशी के दिन व्रत रखकर लोग भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाते हैं। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। ऐसी मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने से जाने अनजाने में किए पापों से मुक्ति मिल जाती है। अपरा एकादशी का दिन अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल अपरा एकादशी का व्रत 18 मई को रखा जाएगा।
अपरा एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि का आरंभ: 17 मई 2020 को 12:44 बजे
एकादशी तिथि का समापन: 18 मई 2020 को 15:08 बजे
अपरा एकादशी पारण समय: 19 मई 2020 को सुबह 05:27:52 से 08:11:49 बजे तक
कुल अवधि: 2 घंटे 43 मिनट
अपरा एकादशी दिन व्रती बरते ये सावधानियां
अपरा एकादशी के दिन विशेष रूप से व्रत करने वाले जातक को देर तक नहीं सोना चाहिए।
इस दिन घर पर तामसिक भोजन (मांसाहार) न पकाएं और न ही सेवन करें।
अपने भोजन में लहसुन, प्याज का इस्तेमाल न करें।
एकादशी के दिन घर में चावल न बनाएं। आप द्वादशी के दिन चावल ग्रहण कर सकते हैं।
जरूर जानें अपरा एकादशी की व्रत कथा-
अपरा एकादशी की व्रत कथा के अनुसार महीध्वज नाम के एक धर्मात्मा राजा थे। राजा के छोटे भाई का नाम वज्रध्वज था और वो अपने ज्येष्ठ भाई से ईर्ष्या करता था। वज्रध्वज ने एक दिन मौका पाकर राजा की हत्या कर दी। इतना ही नहीं, उसने जंगल में एक पीपल के नीचे शव को गाड़ दिया। असमय मृत्यु होने की वजह से राजा की आत्मा प्रेत बनकर उस पीपल के पेड़ पर ही रहने लगी। राजा की आत्मा उस रास्ते से गुजरने वाले लोगों को परेशान करती थी। एक दिन एक ऋषि उसी मार्ग से गुजरे और उन्होंने अपने तपोबल से उनके प्रेत बनने का कारण जान लिया।
उन ऋषि ने राजा की प्रेत आत्मा को पीपल के पेड़ से नीचे उतारा और उन्हें परलोक विद्या का उपदेश दिया। ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा ताकि राजा को प्रेत योनि से मुक्ति मिल सके। द्वादशी के दिन व्रत पूरा हुआ और एकादशी व्रत का पुण्य ऋषि ने राजा के प्रेत को दे दिया। इस तरह राजा को मुक्ति मिली और वो स्वर्ग की यात्रा के लिए निकल पड़े।