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Personality Development: इमोशनल इंटेलिजेंस बनने के लिए अपनी फीलिंग्स को कंट्रोल करना सीखें
आपकी लाइफ में ऐसा कई बार हुआ होगा कि जब आप इमोशनली वीक हो जाते हैं और अपनी भावनओं पर आपका कंट्रोल नहीं होता है। लेकिन इसका खामियाजा भी आपका भुगतना पड़ता है, लेकिन आप अपने आप को भावनात्मक तरीके से मजबूत कर सकते हैं और कई बड़ी समस्याओं को आने से पहले ही उसका समाधान करने की क्षमता आप अपने अंदर पैदा कर सकते हैं। इसके लिए आपको इमोशनली इंटेलिजेंट बनना होगा। इसके लिए आपको किसी दूसरे से उपदेश लेने की जरूर नहीं पड़ेगी ना ही कोई और काम करने की। आपको किसी भी एरिया में लीड करने के लिए इमोशनली पॉवरफुल होना काफी ज्यादा जरूरी है। अगर आप ऐसा नहीं करते तो कई बार आप अपने इमोशनल में ऐसे फैसले भी ले सकते हैं जो आपके लिए और अपके काम या कारोबार के लिए सही नहीं है।
इमोशनल इंटेलिजेंस होना आपकी IQ से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। आप इमोशनल इंटेलिजेंट हैं या नहीं इसकी पहचान के लिए आप अपने आप में ये देखें कि आप क्या फील करते हैं, दूसरा ये कि आप अपनी फीलिंग्स को कैसे दूसरों के सामने एक्सप्रेस करते हैं। तीसरा प्वाइंट कि आपके इमोशन दूसरों पर क्या प्रभाव डालते हैं ? सबसे जरूरी है कि अपने इमोशन को आप कैसे समझते हैं, और दूसरों की भावनाओं को आप किस तरह से समझ पाते हैं।
इमोशनली इंटेलिजेंस होने के लिए यहां 5 प्वाइंट्स बताएं गये हैं, जिनको आप फॉलो करके अपने इमोशन को कंट्रोल करके आप हार को जीत में बदल सकते हैं-
सेल्फ अवेयरनेस
इसका मतलब है कि कोई ऐसी सिचुएशन जिससे आप अपना सेल्फ कंट्रोल खो देते हैं, साथ ही आपका गुस्सा भी सातवें आसमान पर होता है। तो ऐसी स्थिति में आपको आपने ऊपर कंट्रोल करना आना चाहिए। क्योंकि ऐसी स्थिति में नकरात्मकाता आपके ऊपर हावी होने लगती है। लेकिन आपको इस सिचुएशन में अपने बारें में ये देखना होगा कि इन वजहों से आपके अंदल क्या-क्या बदलाव आते हैं, और वे बदलाव दूसरों को कैसे हर्ट करते हैं, इस वजह से आपको किन-किन तरीकों से नुकसान देखना पड़ जाता है। इसलिए आपको अपनी इंटरनल पावर से इसे कंट्रोल करना आना चाहिए। सेल्फ अवेयरेस आपकी काम की क्रिएटिविटी और आपकी प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने का काम करता है। इसकी मदद से आप अपनी ताकत और अपनी वीकनेस पर काम करके अपनी परफॉर्मेंस में सुधार ला सकते हैं।
खुद के लिए नियम बनाना
सेल्फ रेगुलेट होना किसी भी परिस्थिति में अपने आप को ढॉल लेने के सबसे बेहतर तरीकों में से एक है। जब आप खुद के लिए नियम बना लेते हैं, साथ ही सेल्फ रेगुलेट होते हैं तो तब आपको ये समझने में आसानी होती है कि अगर कोई काम खराब हो गया है तो क्या उसके लिए दूसरे पर चिल्लाया जाए या उस वक्त में बिगड़े हुए काम को कैसे सही किया जा सकता है। जो ये दिखाता है कि आप इमोशनली इंटेलिजेंस हैं और भावनाओं को काबू करके आप बेहतर प्रोडक्टिव हो सकते हैं।
दूसरों की फीलिंग को समझना
ये भी इमोशनल इंटेलिजेंस होने की एक निशानी है, कि आप दूसरों की फीलिंग्स को कितना समझ पाते हैं। जब आप खुद को उसकी जगह पर रख सोंचते हैं या उस सिचुएशन में अपने आप को रखकर सोंचते हैं तो आप दूसरों की तकलीफ, प्रॉबलम को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। इसलिए आपका सिंपैथी फिलिंग उसके हेल्प करने से उसकी परेशानियों में मानसिक रूप से साथ देने के साथ उसकी वर्किंग एबिलिटी को बढ़ा देती है। सिंपैथी फिलिंग होने से आपके दोस्त और परिवार ये समझ पाते हैं कि आपको उनकी फिक्र है। साथ ही सिंपैथी फिलिंग के लिए ये जरूरी है कि आपकी बॉडी लैंग्वेस सामने वाले के लिए सही हो साथ ही अपनी आवाज में भी नरमी बरतें, जिससे सामने वाला अनकंफर्टेबल ना हो।
जो भी काम करें खुश होकर करें
आप जो भी काम करें पूरे दिल के साथ, खुशी और इंज्वाय होकर करें। जब तक आप किसी भी काम को मन लगाकर नहीं करते तो आप अपने गोल को अचीव करने में पीछे रह जाते हैं, या वक्त पर पूरा नहीं कर सकते। अगर आप कोई छोटा काम भी कर है, वो भी खुशी के साथ और इंज्वाय करते हुए तो वो काम वक्त से पहले ही हो सकता है साथ ही आपको इस बात की तसल्ली रहेगी कि आपने अपना काम पूरे लगन के साथ किया है। अगर वो काम पूरा नहीं हो सका तब भी आपके मन में रिग्रेट नहीं रहेगा कि आपने काम सही तरह से किया होता तो काम बन सकता था। अगर आपमें इंसपिरेशन बनी हुई हैं तो आप प्रोग्रेस करते जाएंगे भले ही स्पीड स्लो हो, लेकिन मंजिल आपको मिलकर रहेगी। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप हमेशा एक बात जरूर याद रखे कि आप अपना काम क्यों कर रहे हैं, इसकी शुरूआत आपने क्यों की, इसके लिए आपके गोल्स क्या थे और आप अबतक कहां तक पहुंच चुके हैं। इसलिए किसी भी काम की शुरूआत में गोल्स बनाना काफी जरूरी है और सबसे जरूरी है हमेशा पॉजिटिव रहिए। जब आप पॉजिटिव रहेंगे आपको हर काम करने के लिए हौंसला मिलता रहेगा।
Emotional Intelligence: सोशल स्किल डेवलप करना जरूरी
आप अपनी सोशल स्किल से हर एरिया में मेहतर परफॉर्म कर सकते हैं, चाहे वो घर हो या ऑफिस, या कोई गैदरिंग, मीटिंग आप हर जगह अपनी इस स्किल से आगे बढ़ सकते हैं। सोशल स्किल नये लोगों के साथ दोस्ती, रिलेशनशिप बनाने में मदद करती है। साथ ही रिस्पेक्ट देने और करने में मदद करेगी, इससे दूसरों के अंदर आपके लिए भरोसा कायम होगा। इसमे आपकी बॉडी लैंग्वेज का भी बड़ा रोल होता है। इसलिए सोशल स्किल के साथ अपनी बॉडी लैंग्वेज पर भी काम करना जरूरी होता है। बातें तो बाद में असर करती है, पहले लोग जो देखते हैं वो है आपके हाव-भाव, आपकी बॉडी लैंग्वेज। अपनी बॉडी लैग्वेंज को उस वक्त भी सहज बना रखें जब आप गुस्से में हो या किसी टेंशन में हों।