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जानिए क्यों देरी से बोलते हैं बच्चे और पैरेंट्स किस तरह कर सकते हैं उनकी मदद
छोटे बच्चे कच्ची मिट्टी की भांति होते हैं। वे अमूमन वहीं सीखते हैं, जो आप उन्हें सिखाते हैं। वैसे हर बच्चे की अपनी एक ग्रोथ होती है। चलने से लेकर बोलने तक उनकी अपनी एक उम्र होती है। उदाहरण के लिए, एक सामान्य 2 वर्षीय युवा बच्चा लगभग 50 शब्द कह सकता है और दो- तीन शब्द वाक्यों में बोल सकता है। 3 साल की उम्र तक उनकी शब्दावली विकसित होती है और शब्द की गिनती 1000 तक पहुंच जाती है और वाक्य भी लंबे हो जाते हैं। लेकिन वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जिनकी शब्दावली समय के साथ विकसित नहीं हो पाती। वे अन्य बच्चों की तरह लंबे वाक्य नहीं बोल पाते या फिर संपूर्ण वाक्य बोलने में उन्हें कठिनाई होती है। वे विकसित तो होते हैं, लेकिन दूसरों की तुलना में धीमी गति से सीखते हैं। इस स्थिति में पैरेंट्स उनकी काफी मदद कर सकते हैं। वैसे भी बच्चे के पहले शिक्षक माता-पिता ही कहलाते हैं। ऐसे में आप उनकी परेशानी को समझकर उनकी मदद करें। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको बच्चे के देरी से बोलने के कारणों व पैरेंट्स के रोल पर प्रकाश डाल रहे हैं-

जानिए कारण
हर बच्चे के विकास का अपना एक क्रम होती है। जब बच्चा देरी से बोलता है तो अक्सर पैरेंट्स को लगता है कि ऐसा क्यों हो रहा है। अगर आपके बच्चे को बोलने में देरी होती है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे कोई समस्या है। कुछ बच्चे विकास में काफी समय लगाते हैं। बोलने में देरी मुंह या जीभ के साथ एक समस्या का संकेत भी हो सकती है। वैसे बच्चों में बोलने में देरी के कई कारण हो सकते हैं। जैसे-

एंकलोग्लोसिया
एंकलोग्लोसिया टॉडलर्स के बीच एक बहुत ही सामान्य स्थिति है और इसे टंग टाई के रूप में भी जाना जाता है। अगर बच्चे में यह समस्या है तो इसका अर्थ है कि आपकी जीभ मुंह के बेस से जुड़ी होगी। इस समस्या के कारण बच्चों को कुछ वर्णों का उच्चारण करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

न्यूरोलॉजिकल डिसएबिलिटी
यदि आप बच्चे को बोलने में देरी कर रहे हैं, तो न्यूरोलॉजिकल स्थिति भी एक कारण हो सकती है। मस्तिष्क में विकार भाषण में समस्या पैदा कर सकता है। मस्तिष्क पक्षाघात और मस्तिष्क की चोट जैसी तंत्रिका संबंधी समस्याओं के लिए चिकित्सकीय सलाह और उपचार की आवश्यकता होती है।

ऑटिज्म
यदि आपका बच्चा लोगों के साथ बातचीत करने, भाषा को समझने और बोलने में समस्या का सामना कर रहा है, तो उसे ऑटिज्म डिसऑर्डर हो सकता है। ऑटिज्म भी भाषण में देरी के प्रमुख कारणों में से एक है। वाक्यांशों और गतिविधियों को दोहराना बच्चों में ऑटिस्टिक व्यवहार का संकेत है।

सुनने में परेशानी
बहरापन या कम सुनाई देना भी शब्दों को बोलने और समझने में परेशानी का कारण बनता है। सुनने में होने वाली परेशानी के कारण भी बोलने में समस्या होती है। इस स्थिति में आपको सबसे पहले बच्चे की डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए कि क्या सच में बच्चे को सुनने में कोई परेशानी है या फिर सिर्फ उसका विकास धीमी गति से हो रहा है।

बच्चों की ऐसे करें मदद
ऐसा नहीं है कि बच्चों में विकासात्मक देरी का इलाज नहीं किया जा सकता है। यदि समय पर पहचान और देखभाल की जाती है, तो ऐसी कुछ चीजें हैं जो पैरेंट्स कर सकते हैं और बच्चों में देरी से बोलने की समस्या का काफी हद तक उपचार कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप बच्चे को एक थेरेपिस्ट को दिखाएं। इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है और साथ ही साथ उन्हें स्पीच ट्रीटमेंट में भी मदद मिलेगी। बच्चों में स्पीच और लैंग्वेज थेरेपी को बेहद कम उम्र से ही शुरू कर दिया जाना चाहिए, ताकि जब बच्चों की स्कूलिंग शुरू हो तो उन्हें किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े। इसके अलावा भी आप घर पर भी कुछ छोटे-छोटे स्टेप्स अपनाकर आप बच्चों की स्पीच थेरेपी में हेल्प कर सकते हैं। मसलन,
उन्हें खुद बोलने का समय दें
उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएं
अपने बच्चे के लिए पढ़ें और गाएं
वे जो कहना चाह रहे हैं, उस पर ध्यान दें
उन शब्दों को दोहराने की कोशिश करें जिनके साथ उन्हें समस्या हो रही है
रंग ब्लॉक, खिलौने, आदि जैसी वस्तुओं के बारे में बात करने के लिए शब्दों का उपयोग करें