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नींद से जुडे़ 7 मिथक तथा उनका स्वास्थ्य पर प्रभाव

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विभिन्न लोगों को नींद के विभिन्न घंटों की आवश्यकता होती है जो उनके जीवन में आने वाले विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। जहाँ नींद के बारे में कई तथ्य ज्ञात हैं वही इसके बारे में कई मिथक भी प्रचलित हैं। इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि नींद के बारे में ये मिथक इस अवधारणा के बारे में हमारे सकारात्मक और नकारात्मक विचारों को बदल सकते हैं। इस लेख में हम नींद के बारे में कुछ प्रचलित मिथक तथा स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे। कई वर्षों से सोने से स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों के बारे चर्चा चली आ रही है। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि इनमें से कई बातें मिथक हैं।

गहरी नींद नहीं आती तो इन्हें अपनाये..

निश्चित रूप से आवश्यकता से कम या अधिक सोने का प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ता है। नींद का पैटर्न शरीर की चयापचय दर को प्रभावित करता है तथा स्वास्थ्य के लिए विभिन्न लाभ के साथ साथ कुछ खतरे भी उत्पन्न करता है। आईये नींद से संबंधित इन मिथकों तथा नींद के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों के बारे में जानें।

 आपको कम से कम 6 घंटे नींद की आवश्यकता होती है

आपको कम से कम 6 घंटे नींद की आवश्यकता होती है

यह सबसे अधिक लोकप्रिय मिथक है जिसके बारे में अधिकाँश लोग बात करते हैं। वास्तव में किसे कितनी नींद की आवश्यकता है यह शरीर की प्रणाली पर निर्भर करता है। यदि किसी को साढ़े चार घंटे सोने की आदत है तो यह ठीक है। अत: कम से कम 6 घंटे नींद की आवश्यकता वाला मिथक सत्य नहीं है।

दोपहर की झपकी आपको थका सकती है

दोपहर की झपकी आपको थका सकती है

दोपहर की झपकी से आप थकान नहीं महसूस करेंगे। बल्कि 15 मिनिट की झपकी लेने से के बाद जब आप उठते हैं तो अपने आपको तरोताज़ा महसूस करते हैं।

सोने के पहले व्यायाम करने से नींद ख़राब हो सकती है

सोने के पहले व्यायाम करने से नींद ख़राब हो सकती है

बहुत से लोग ऐसा सोचते हैं कि सोने से पहले व्यायाम करने से आपकी नींद ख़राब हो सकती है। परंतु सच्चाई यह है कि यदि आप सोने से पहले व्यायाम करते हैं तो अच्छी नींद आने की संभावना बढ़ जाती है।

 सप्ताहांत में नींद पूरी करना

सप्ताहांत में नींद पूरी करना

बहुत से लोग कहते हैं कि आप सप्ताहांत में अपनी नींद पूरी कर सकते हैं। यह वास्तव में पूरी तरह से गलत है। यह उचित नहीं होगा कि आप दैनिक रूप से कम सोयें और सप्ताहांत में अपनी नींद पूरी करें। सप्ताहांत में नींद पूरी करना पूर्ण रूप से व्यर्थ है। इससे कोई लाभ नहीं होता।

इस बात से कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि आप किस समय सोते हैं

इस बात से कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि आप किस समय सोते हैं

यह भी एक बहुत प्रचलित मिथक है। आप किस समय सोते हैं यह बात बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसका सीधा प्रभाव आपके चयापचय पर पड़ता है। वे लोग अधिक समय तक जागते रहते हैं उन्हें तनाव होने की समस्या की संभावना तीन गुना बढ़ जाती है।

नींद की गोलियां केवल नींद की बीमारी के लिए हैं

नींद की गोलियां केवल नींद की बीमारी के लिए हैं

वर्तमान में किये गए एक अध्ययन से पता चला है कि यदि अनिद्रा की बीमारी की पहली अवस्था में स्थिति अधिक ख़राब होने से पहले ही ही नींद की गोलियों का सेवन किया जाए तो ये बहुत प्रभावकारी होती है। इसके अलावा अनिद्रा की बीमारी शुरू होने से पहले ही इसका उपयोग किया जाए तो अच्छा होता है।

 मीटिंग के दौरान नींद आना स्वाभाविक है

मीटिंग के दौरान नींद आना स्वाभाविक है

जब आप कॉलेज में थे तब लंच के बाद के लेक्चर में आपको नींद आती थी। परंतु जब आपका डायरेक्टर मीटिंग ले रहा हो तब नींद आना सामान्य बात नहीं है। यह बहुत अधिक थकान के कारण होता है या कुछ ऐसी बातों के कारण जिनका ध्यान रखना आवश्यक है या जिसका ध्यान नहीं रखा जा रहा है।


English summary

Myths About Sleep And The Impact On Health

The impact of under-sleeping and over-sleeping on one's health are definitely tangible. One's sleep patterns influence the body's metabolism rate and contribute to various health benefits as well as hazards. Let us go ahead and look at these myths about sleep and the subsequent effects of sleep on our health.
Story first published: Monday, October 27, 2014, 15:53 [IST]
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